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भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राएं, पहले से लेनी होती है मंजूरी

भारत में धार्मिक यात्रा का काफी महत्व हैं लेकिन कई धार्मिक यात्राएं इतनी कठिन होती हैं कि इन पर जाना सभी के बस की बात नहीं होती है यहां तक कि कुछ खास परेशानी या खास परिस्थिति के लोगों के इन यात्रा पर जाने की मंजूरी भी नहीं मिलती है। कठिन होने के बावजूद हर साल लाखों की संख्या में तीर्थयात्री इन यात्राओं को पूरा करते हैं।

नवभारतटाइम्स.कॉम 20 Jun 2018, 2:52 pm
भारत में धार्मिक यात्रा का काफी महत्व हैं लेकिन कई धार्मिक यात्राएं इतनी कठिन होती हैं कि इन पर जाना सभी के बस की बात नहीं होती है यहां तक कि कुछ खास परेशानी या खास परिस्थिति के लोगों के इन यात्रा पर जाने की मंजूरी भी नहीं मिलती है। कठिन होने के बावजूद हर साल लाखों की संख्या में तीर्थयात्री इन यात्राओं को पूरा करते हैं। यहां हम आपको भारत की कुछ ऐसी ही सबसे मुश्किल धार्मिक यात्राओं की जानकारी दे रहे हैं। इनमें से कई यात्राओं के लिए पहले से रजिस्ट्रेशन करवाने के साथ सरकार से मंजूरी भी लेनी पड़ती है।
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कैलाश मानसरोवर
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में 28 दिन लगते हैं और यहां सीधे पहुंचने का कोई सड़क या रेलमार्ग नहीं है। इस यात्रा को अधिकतर पैदल ही पूरा करना होता है। इसके अलावा अस्थमा, दिल की बिमारी और ब्लड प्रेशर मरीजों को इस कैलाश मानसरोसवर यात्रा की अनुमति नहीं मिलती है। इस यात्रा के लिए व्यक्ति की उम्र 18 साल से ज्यादा और 70 साल से कम होनी चाहिए।

पढ़ें: कैलाश मानसरोवर यात्रा 2018: मुश्किल यात्रा बनेगी आसान, इन बातों का रखें ध्यान

अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ यात्रा भी भारत की सबसे मुश्किल धार्मिक यात्राओं में से एक है। इसके लिए भी यात्रियों को रजिस्ट्रेशन के साथ अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं को 45 किलोमीटर पैदल चलना होता है और वो भी समतल मैदान पर नहीं बल्कि पहाड़ पर चढ़ाई करनी होती है। इसे पूरा करने में करीब तीन दिन लगते हैं। हालांकि अब यहां यात्रियों की सहूलियत के लिए पवित्र गुफा तक जाने के लिए कई विकल्प हैं लेकिन अधिकतर यात्री इसे पैदल ही पूरा करते हैं।

हेमकुंड साहिब
हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए करीब 14 किलोमीटर की खतरनाक चढ़ाई चढ़नी होती है। गोविंदघाट तक गाड़ी से जा सकते हैं जो दिल्ली से करीब 505 और ऋषिकेश से 255 किलोमीटर दूर है। गोविंदघाट से पैदल रास्ता शुरू होता है। पहाड़ पर बेहद ठंड में चढ़ाई करना आसान नहीं होता है इसमें 12-14 घंटे लगते हैं।

केदारनाथ मंदिर
केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है यह मंदिर बेहद ही ऊंचाई पर स्थित है हालांकि अब यहां पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर सर्विस उपलब्ध है लेकिन यहां पहुंचना अभी भी खतरे से खाली नहीं है। यहां पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को 23 किलोमीटर की कठिन और सीधी चढ़ाई चढ़नी होती है। 2013 में आई त्रासदी के बाद रास्ते की हालत और खराब है। इससे रामबाड़ा और केदारनाथ की दूरी 14 किलोमीटर से बढ़कर 23 किलोमीटर हो गई है।

आदि कैलाश
इसे भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्रा कहा जा सकता है। समुद्र तल से 6638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश तक पहुंचना अपने आप में बड़ी चुनौती है। यहां तक पहुंचने के लिए करीब 76 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। यहा का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन तनकपुर है जो करीब 239 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। हिमालय की पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर के आसपास का नजारा आपको आश्चर्य में डाल देगा। इसे यात्रा को पूरा करने में 18-20 दिन लगते हैं।

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