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धनबाद के जंगल से कॉल सेंटर चला की लाखों की ठगी, गैंग का भंडाफोड़

वे फर्जी दस्तावेजों के साथ लैपटॉप और सिम कार्ड खरीदते और खुद को कस्टमर केयर सर्विस वाले बताकर लोगों से उनके बैंक अकाउंट के वन-टाइस पासवर्ड ले लिया करते थे।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 28 May 2019, 4:29 pm
सिद्धार्थ भारद्वाज, नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम mithun

दिल्ली पुलिस ने दो साल तक चूहे-बिल्ली की दौड़ के बाद आखिरकार झारखंड के निरसाह जंगल में कॉल सेंटर चला रहे एक गैंग का पर्दाफाश किया है, जिसने देशभर में 100 लोगों के साथ ठगी की थी। वे फर्जी दस्तावेजों के साथ लैपटॉप और सिम कार्ड खरीदते और खुद को कस्टमर केयर सर्विस वाला बताकर लोगों से उनके बैंक अकाउंट के वन-टाइस पासवर्ड ले लिया करते थे।

दिल्ली साइबर सेल ने 2017 में जांच शुरू की थी और आखिरकार शनिवार को मिथुन कुमार को अरेस्ट किया गया। इंस्पेक्टर विजय यादव की टीम ने उसे गिरफ्तार किया। उसके पास एक दर्जन से ज्यादा ई-वॉलिट अकाउंट थे, जिसे नकली आईडी के जरिये बनाया गया था और उसका इस्तेमाल पीड़ितों के बैंक अकाउंट से पैसा निकालने में करता था।

डीसीपी (उत्तर-पूर्व) अतुल ठाकुर ने बताया कि मिथुन (25) ज्योति नगर में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में वांछित था। सीबीएसई के सेवानिवृत अधिकारी सुखबीर सिंह ने पुलिसकर्मियों को बताया कि उन्हें एक कॉल आया कि बैंक उनका अकाउंट बंद कर रहा है। बातचीत के दौरान सुखबीर ने अपनी गोपनीय जानकारी और फोन पर आया वन टाइम पासवर्ड भी दे दिया। इसके थोड़ी देर बाद उन्हें मेसेज आया कि अकाउंट से दो लाख रुपये निकाल लिए गए हैं।

एएसआई नरेश दीवान और कॉन्स्टेबल विवेक यादव की टीम ने डिजिटल ट्रेल शुरू किया और पता चला कि ई-वॉलिट के जरिये पैसा ट्रांसफर किया गया है। जांचकर्ताओं ने फोन नंबर का पता लगाया जिसके जरिये पैसे निकाले जाते थे। यह धनबाद सर्कल का नंबर था।

स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी गई और आपराधिक गतिविधियों के बारे में और सूचना जुटाई गई। गर्मी बढ़ते ही गैंग नजदीकी निरसाह जंगल चला गया और वहां से ऑपरेशन शुरू कर दिया। हालांकि, उन्होंने जल्द ही वह इलाका भी छोड़ दिया।

हाल में पुलिस को सूचना मिली कि मिथुन कुमार अपने रिश्तेदार से मिलने दिल्ली आया हुआ था, जिसके बाद उसे पकड़ा गया। पूछताछ के दौरान मिथुन ने बताया कि अपराध में दो और लड़के- मुकेश प्रसाद और अजय शर्मा शामिल हैं। हालांकि, उनका पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने उन्हें अपराधी घोषित कर दिया गया है।

पुलिस ने बताया कि गैंग ने कई बैंक अकाउंट बना रखे थे और इसके लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने दिल्ली-एनसीआर के अलावा मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद में लोगों को निशाना बनाया था।

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