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रिकवरी वाले गुंडों के टॉर्चर की शिकार महिलाओं की दास्तां: किसी ने पिता को खोया, किसी ने गहने और घर बेचा

लोन ऐप्‍स के जरिए कर्ज लेने वालों को किस तरह उनके रिकवरी वाले गुंडे परेशान करते हैं, यह जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। देश के पांच शहरों से ऐसे गुंडों का शिकार हुई महिलाओं की दास्‍तां पढ़‍िए।

Reported byVishal Sharma | नवभारत टाइम्स 25 Jan 2021, 8:31 am

हाइलाइट्स

  • MNC में काम करने वाली लड़की ने इलाज की खातिर लिया था लोन, फिर आई मुसीबत
  • जयपुर की लड़की ने लोन लेकर 7 दिन में नहीं चुकाया तो भेजे गए गंदे-गंदे मेसेज
  • मुंबई में रहने वाली हाउसवाइफ को ऐप्‍स का कर्ज चुकाने के लिए गहने तक बेचने पड़ गए
  • लखनऊ की युवती को इन गुंडों ने खूब परेशान किया, कैंसर से उसके पिता चल बसे
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लोन ऐप्स पर एनबीटी सीरीज ने जहां पुलिस और सरकारी जांच एजेंसियों का ध्यान खींचा है। वहीं, देशभर के तमाम पीड़ितों को इससे अपनी आवाज बुलंद करने की हिम्मत मिली है। सोशल मीडिया पर वायरल एनबीटी सीरीज की खबरों से अलग-अलग राज्यों से पीड़ित लगातार हमसे संपर्क कर रहे हैं। ऐसी ही पीड़ित पांच महिलाओं ने बताई अपनी दर्दनाक आपबीती।
पापा के इलाज के लिए लिया था लोन
25 साल की रूबी (बदला हुआ नाम) पुणे की एक एमएनसी में काम करती हैं। उन्होंने बताया कि पहले हर सुबह डर लगता था कि कब लोन वालों की कॉल आ जाए। अब उठती हूं तो सबसे पहले ट्विटर पर शेयर की गई NBT की स्टोरी देखती हूं कि आज क्या न्यूज है। नवंबर में पापा की तबीयत खराब हुई तो पैसों की जरूरत पड़ी और सैलरी रुक गई थी। एक दोस्त ने प्ले स्टोर से लोन ऐप डाउनलोड करने को कहा और बताया कि तुरंत पैसे मिल जाएंगे। मैंने डाउनलोड किया और 3 हजार रुपए मिले। उसी ऐप के अंदर कुछ और ऐप के लिंक थे। वहां से भी मुझे लगभग 30-40 हजार रुपए मिल रहे थे। इन 30-40 हजार रुपये के बदले मुझे लगभग 70 हजार रुपये 7 दिन में चुकाने थे, लेकिन पापा का इलाज जरुरी था। इसलिए मैंने लोन ले लिए। नहीं पता था कि सातवें दिन मेरे साथ क्या होने वाला है। सुबह से ही कॉल्स आने लगे। शाम होते होते ऐसा लगने लगा कि कुछ भी करके पैसे देने होंगे, लेकिन सैलरी आने में अभी भी 8 दिन बाकी थे। इन्हीं ऐप के लिंक पर जा कर कुछ और लोन ऐप डाउनलोड किया और लगभग 60 हजार का लोन ले लिया। 10 हजार पहले से मेरे पास थे, सबको मिला के पिछला लोन चुका दिया। अब 70 हजार के बदले नया लोन लगभग 1,12,000 का हो गया। पेमेंट करने में एक दिन की देरी हो गई तो इन लोगों ने शाम तक मेरे सभी फोन कांटेक्ट को कॉल कर दिया, सबको मेरी फोटो भेजने लगे ये लिखकर कि मैं फ्रॉड और चोर हूं। सोसायटी के सारे लोग घर आकर पापा को डांटने लगे। तब मैंने मन बना लिया था अब इस जिंदगी का कोई मतलब नहीं। मन में या तो खौफ रहता था या मरने की इच्छा। तभी NBT में गुजरात की नेहा के बारे में पढ़ा और आज इतनी हिम्मत आ गई कि मैंने न केवल एफआई करवाई, बल्कि और भी लोगो को मोटीवेट कर रही हूं।

गुंडों के टॉर्चर के बीच पापा कैंसर से चल बसे
लखनऊ की समीना ने बताया कि 2019 में पापा को कैंसर हो गया था। परिवार में सबसे बड़ी हूं। इलाज़ शुरू कराया। डॉक्टर्स ने बोला कि इनको दिल्ली शिफ्ट करना पड़ेगा। पैसे भी ज्यादा लगेंगे। मैंने पापा को दिल्ली के एक हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। रिश्तेदारों से कुछ पैसे मिले पर और पैसे की जरूरत थी। बैंक में गई लोन के लिए तो बताया कि लखनऊ जाना पड़ेगा लोन के लिए। गूगल में सर्च किया तो कुछ लोन ऐप्स के बारे में पता लगा। कुछ ऐप्स डाउनलोड किए और 5200 के हिसाब से लगभग 15000 रुपए ले लिए। अब भी हॉस्पिटल में करीब 35 हजार रुपये जमा कराने थे। एक हफ्ते बाद कुछ पैसों का इंतज़ाम हो गया, लेकिन तभी लोन वालों का टॉर्चर शुरू हो गया। मैंने उनसे बोला कि पापा हॉस्पिटल में हैं, जल्द ही आपके पैसे लौटा दूंगी। उन लोगो ने कुछ नहीं सुना और दिन रात प्रताड़ित करने लगे। मुझे धमकियां मिलने लगीं कि तुमको बदनाम कर देंगे। सबको बताएंगे कि तुम प्रॉस्टिट्यूट हो। ये लोग मेरे रिश्तेदारों को कॉल करने लगे। मेरी फोटो पर फ्रॉड लिखकर भेजने लगे। इन सबसे डर के मैंने रिश्तेदारों से लिए 35 हजार भी लोन वालों को दे दिए। अब मेरे पास हॉस्पिटल में देने के लिए कुछ नहीं था। पापा बच नहीं सके, लेकिन इन लोन वालों का टॉर्चर चलता रहा और अभी तक चल रहा है। मैंने ऑनलाइन कंप्लेंट की है, लेकिन अभी भी एफआईआर कराने में दिक्कत हो रही है।

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सभी कॉन्टैक्ट को भेजने लगे मेरी फोटो और गंदे मेसेज
जयपुर की सोनम ने बताया कि वह एक प्रतिष्ठित प्राइवेट बैंक में जॉब करती हैं। सैलरी भी आ रही थी। पापा की जॉब नहीं थी, मम्मी की तबीयत खराब हो गई। एक पडोसी ने बताया कि कुछ ऐप्स हैं, जिनसे तुरंत लोन मिल जाता है। बैंक में थी सोचा, थोड़ी पड़ताल करूं। मैंने देखा कि ये लोन कहां से मिल रहा है। ये ऐप्स NBFC का नाम दिखा रहे थे। मैंने कुछ पैसों के लिए अप्लाई किया। तुरंत ही 3000 रुपए मिल गए। एक और ऐप से 3000 ले लिए। 7वें दिन से इनकी प्रताड़ना शुरू हो गई। एक ऐप जो एक रजिस्टर्ड NBFC है, उसके रिकवरी एजेंट ने शाम 5 बजे मेरे सभी कॉन्टैक्ट नंबर्स पर मेरी फोटो और गंदे-गंदे मेसेज भेजना शुरू कर दिया। ऑफिस और सभी रिश्तेदारों के कॉल आने लगे। उसी रात मैंने सोचा कि ये मेरे जीवन की आखिरी रात होगी। रात को यूट्यूब पर मैंने नेहा दीदी का एक विडियो देखा, जिसमें वह इन लोन ऐप वालों की सच्चाई बता रही थीं। मुझे हिम्मत आई। सुबह मैंने दीदी को कॉल किया। उन्होंने मुझसे एनबीटी के कई क्लिपिंग शेयर किए। मैंने पिछले हफ्ते साइबर क्राइम में शिकायत दर्ज करा दी है और सभी ऐप की पेमेंट बंद कर दी है।

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8वें दिन से मिलने लगी धमकी
मुंबई की तनीषा ने बताया कि वह पति और 3 साल के बच्चे के साथ रहती हैं। अप्रैल 2020 में पति की नौकरी चली गई। बच्चे का मुंडन करवाना था। पैसों की दिक्कत थी। पति को समझाया कि बस अपने कुछ खास लोगों के साथ कर लेते हैं। वो तो मान गए पर घरवाले नहीं माने। कोई उपाय नहीं था 50 हजार का इंतज़ाम करने का। एक रिश्तेदार को पैसे के लिए फोन किया। उसने पैसे तो नहीं दिए, लेकिन लोन ऐप्स के बारे में बताया। मैंने और मेरे पति ने 4 लोन ऐप्स डाउनलोड करके लगभग 25 हजार का लोन ले लिया। पता था 7 दिन में देना है। हमने दोबारा कुछ ऐप्स डाउनलोड किए और लगभग 15 हजार और ले लिए। हमारे पास कुल 40 हजार रुपए हो गए, लेकिन चुकाने थे लगभग 72 हजार रुपये। समाज के भय से लोन लेकर बच्चे का मुंडन कर दिया। छठे दिन से कॉल आने शुरू हो गए। 7वें दिन हमने कुछ पैसे का इंतज़ाम करके लगभग 25 हजार रुपए चुका दिए। रिक्वेस्ट की हमें कुछ समय दे दीजिए, लेकिन अगले ही दिन हमें धमकी मिलनी शुरू हो गई। इन्ही लोगों ने अपने और ऐप्स का लिंक भेजा। हमने और लगभग 35 हजार रुपए ले लिए (जिसमें मिले सिर्फ 13400)। अब कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सिलसिला लगभग 2 महीने चलता रहा। हम 6 लाख के कर्ज में आ गए। इन लोगों ने सभी रिश्तेदारों को कॉल करना शुरू कर दिया। मैंने अपने गहने जो पहले ही गिरवी थे, इनको पेमेंट करने के लिए उन्हें बेच दिया। इसके बाद लगभग 1.5 लाख रुपए चुका दिए। लेकिन हर दिन बढ़ते इनके ब्याज और पेनल्टी ने लोन को तब तक 11 लाख कर दिया। हम इतने बुरी तरह से इस जाल में घिर चुके थे कि घर की खुशियां क्लेश में बदल गईं। मुंबई छोड़ कर गांव आ गए। यहां भी सब शक की निगाह से देखते थे, क्योंकि सबके पास एजेंट्स ने मेसेज किये थे। अंत में हमें अपना घर बेचना पड़ा। अब मैंने इनके खिलाफ कंप्लेंट तो कर दी है, लेकिन जो गवां दिया वह वापस शायद ही मिले।

रिकवरी गुंडों ने महिलाओं का वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर भेजीं पोर्न क्लिप्स

ऑनलाइन क्लास की फीस के लिए लिया लोनजलगांव की दीप्ती के अनुसार मैं मेरे पति और छोटी बच्ची मुंबई में रहते थे। लॉकडाउन में जलगांव आ गए। बेटी की ऑनलाइन क्लास के लिए फीस की जरूरत थी। पति ने ऑनलाइन ऐप्स से कुछ 5000 का लोन लिया। मैंने भी ऐप से 3000 रुपए लिए। पति की नौकरी थी, लेकिन आधी सैलरी मिल रही थी। हमने सोंचा की कुछ गहने गिरवी रख के लोन चुका देंगे और जो बचेंगे उनको सैलरी आने पर दे देंगे। हमने पहली बार लगभग 6000 का रीपेमेंट कर दिया। बचे हुए 2000 के लिए एजेंटों के लगातार कॉल आने लगे। उनकी लैंग्वेज सुनकर मुझे और पति को बहुत डर लगा कि कहीं ये घर न आ जाएं। ये लोग सीबीआई और पुलिस के नाम से भी नोटिस भेजते थे। हमने कुछ और ऐप डाउनलोड कर लिए। 3 महीने में इनको पेमेंट करते करते हमारे ऊपर लगभग 3 लाख का लोन चढ़ गया। एक दिन इन्होंने हमारे सभी कॉन्टैक्ट्स को फोन करना शुरू कर दिया। पता चलते ही पति की तबीयत खराब हो गई और वह बेहोश हो गए। डॉक्टर ने बताया कि मेरे पति सीवियर डिप्रेशन के शिकार हैं और उनको कम से कम एक साल इलाज की जरुरत है। 3 लाख रुपये लोन के देने थे। मैं कुछ और लोन ऐप्स खोज रही थी। इसी दौरान मुझे कुछ न्यूज क्लिपिंग मिलीं और पता लगा की मैं एक ट्रैप में फस चुकी हूं। मैंने हिम्मत जुटाई। हमने साइबर क्राइम में कंप्लेंट फाइल की। हमने इनका रीपेमेंट बंद कर दिया। पति का इलाज चल रहा है, लेकिन संतुष्टि है कि मैं हारी नहीं और लड़ रही हूं।
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Vishal Sharma

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