नई दिल्ली : दिल्ली की 146 इंडस्ट्री बंद हो सकती हैं। डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) ने इन इंडस्ट्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। अगर इसका जवाब ये इंडस्ट्री तय समय पर नहीं देती हैं तो इन्हें तुरंत प्रभाव से बंद किया जा सकता है। यह वह इंडस्ट्री हैं, जो अभी तक पीएनजी में कनवर्ट नहीं हुईं हैं।
सर्दियों में हर साल इंडस्ट्रियों को प्रदूषण की बड़ी वजह बताया जाता है। प्रदूषण के पीक के दिनों में इंडस्ट्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसी के चलते इंडस्ट्रियों को क्लीन फ्यूल में शिफ्ट करने की कवायद पिछले दो सालों से चल रही हैं। डीपीसीसी के अनुसार यह इंडस्ट्री पीएनजी में शिफ्ट नहीं हुई हैं और अभी भी प्रदूषित ईंधन का इस्तेमाल कर राजधानी में प्रदूषण बढ़ा रही हैं। डीपीसीसी के अनुसार 31 मार्च 2019 को ही दिल्ली में यह नियम लागू किया गया है कि जहां भी पीएनजी सप्लाई हैं, उस क्षेत्र की इंडस्ट्री ईधन के तौर पर सिर्फ पीएनजी से चलेंगी। डीपीसीसी ने बताया कि उन एरिया की लिस्ट आईजीएल से ली गई और इसके बाद उन एरिया की इंडस्ट्रियों का पता लगाया गया, जो अन्य तरह के ईधन का इस्तेमाल कर रही हैं।
दिल्ली की हवा को साफ बनाने के लिए पीएमओ की टास्क फोर्स ने भी 18 दिसंबर 2018 को यह निर्देश दिए थे। जिसके बाद सीपीसीबी ने 2 जुलाई 2019 की मीटिंग में इसे लेकर चर्चा की थी। यह निर्देश जारी किए थे कि 31 मार्च 2019 तक जिन एरिया में पीएनजी की सप्लाई हैं, वहां की इंडस्ट्री पीएनजी में शिफ्ट हो जाए। इसके बाद भी डिमांड आने के बाद यह समय सीमा क्रमश 30 अप्रैल 2019 तक के लिए बढ़ाया गया था। इसके बावजूद भी यह इंडस्ट्री अभी तक पीएनजी में शिफ्ट नहीं हुई है। जिसकी वजह से डीपीसीसी ने इन्हें 26 जुलाई को यह नोटिस जारी किए हैं। जिसमें इन इंडस्ट्री को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था, जो कि अब अब खत्म होने जा रहा है।
नोटिस में डीपीसीसी ने इंडस्ट्रियों से पूछा है कि क्यों न उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया? हवा को प्रदूषित करने के लिए 5 लाख रुपये का एनवायरमेंट डेमेज कंपनसेशन लिया जाए। आपके बिजली, पानी के बिल काट दिए जाएं और एमसीडी से आपका लाइसेंस रद्द करवा दिया जाए? यह इंडस्ट्री बवाना, बादली, जहांगीरपुरी, उत्तम नगर, झिलमिल, कीर्ति नगर, लॉरेंस रोड, लिबासपुर, मंडोली, मंगोलपुरी, मायापुरी, नजफगढ़, नरेला,ओखला, उद्योग नगर, वजीरपुर आदि क्षेत्रों में स्थित हैं।
सर्दियों में हर साल इंडस्ट्रियों को प्रदूषण की बड़ी वजह बताया जाता है। प्रदूषण के पीक के दिनों में इंडस्ट्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसी के चलते इंडस्ट्रियों को क्लीन फ्यूल में शिफ्ट करने की कवायद पिछले दो सालों से चल रही हैं। डीपीसीसी के अनुसार यह इंडस्ट्री पीएनजी में शिफ्ट नहीं हुई हैं और अभी भी प्रदूषित ईंधन का इस्तेमाल कर राजधानी में प्रदूषण बढ़ा रही हैं। डीपीसीसी के अनुसार 31 मार्च 2019 को ही दिल्ली में यह नियम लागू किया गया है कि जहां भी पीएनजी सप्लाई हैं, उस क्षेत्र की इंडस्ट्री ईधन के तौर पर सिर्फ पीएनजी से चलेंगी। डीपीसीसी ने बताया कि उन एरिया की लिस्ट आईजीएल से ली गई और इसके बाद उन एरिया की इंडस्ट्रियों का पता लगाया गया, जो अन्य तरह के ईधन का इस्तेमाल कर रही हैं।
दिल्ली की हवा को साफ बनाने के लिए पीएमओ की टास्क फोर्स ने भी 18 दिसंबर 2018 को यह निर्देश दिए थे। जिसके बाद सीपीसीबी ने 2 जुलाई 2019 की मीटिंग में इसे लेकर चर्चा की थी। यह निर्देश जारी किए थे कि 31 मार्च 2019 तक जिन एरिया में पीएनजी की सप्लाई हैं, वहां की इंडस्ट्री पीएनजी में शिफ्ट हो जाए। इसके बाद भी डिमांड आने के बाद यह समय सीमा क्रमश 30 अप्रैल 2019 तक के लिए बढ़ाया गया था। इसके बावजूद भी यह इंडस्ट्री अभी तक पीएनजी में शिफ्ट नहीं हुई है। जिसकी वजह से डीपीसीसी ने इन्हें 26 जुलाई को यह नोटिस जारी किए हैं। जिसमें इन इंडस्ट्री को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था, जो कि अब अब खत्म होने जा रहा है।
नोटिस में डीपीसीसी ने इंडस्ट्रियों से पूछा है कि क्यों न उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया? हवा को प्रदूषित करने के लिए 5 लाख रुपये का एनवायरमेंट डेमेज कंपनसेशन लिया जाए। आपके बिजली, पानी के बिल काट दिए जाएं और एमसीडी से आपका लाइसेंस रद्द करवा दिया जाए? यह इंडस्ट्री बवाना, बादली, जहांगीरपुरी, उत्तम नगर, झिलमिल, कीर्ति नगर, लॉरेंस रोड, लिबासपुर, मंडोली, मंगोलपुरी, मायापुरी, नजफगढ़, नरेला,ओखला, उद्योग नगर, वजीरपुर आदि क्षेत्रों में स्थित हैं।