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ईस्ट एमसीडी: 50,000 प्रॉपर्टी मालिकों ने नहीं दिया टैक्स

ईस्ट एमसीडी की आर्थिक स्थिति पहले से खराब थी। रही-सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी। कोरोना कंट्रोल करने के लिए लॉकडाउन करना पड़ा। इसका सीधा असर ईस्ट एमसीडी को अलग-अलग विभागों से मिलने वाले रेवेन्यू पर पड़ा।

Authored byराजेश सरोहा | Navbharat Times 17 Aug 2020, 2:25 pm
पटपड़गंज : ईस्ट एमसीडी की आर्थिक स्थिति पहले से खराब थी। रही-सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी। कोरोना कंट्रोल करने के लिए लॉकडाउन करना पड़ा। इसका सीधा असर ईस्ट एमसीडी को अलग-अलग विभागों से मिलने वाले रेवेन्यू पर पड़ा।
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जुलाई 2019 में ईस्ट एमसीडी को कन्वर्जन और बिल्डिंग प्लान से 32 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। वहीं इस साल जुलाई 2020 में इस विभाग से मुश्किल से 5 करोड़ रुपये ही मिल पाए। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो कन्वर्जन और बिल्डिंग प्लान से मिलने वाले रेवेन्यू में 84.50 पर्सेंट की गिरावट आई है। ट्रांसफर ड्यूटी से मिलने वाले रेवेन्यू में 54 पर्सेंट से अधिक गिरावट हुई है।

ईस्ट एमसीडी के पास रेवेन्यू के संसाधन बेहद सीमित हैं, वहीं खर्च बहुत अधिक है। उसे अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए दिल्ली सरकार से मिलने वाले फंड पर निर्भर रहना पड़ता है। जिन विभागों से ईस्ट एमसीडी को रेवेन्यू मिलता है उनमें सबसे प्रमुख प्रॉपर्ट टैक्स विभाग का है। अकेले इसी विभाग से 250-300 करोड़ रुपये मिलते हैं। इसके बाद नंबर आता है ट्रांसफर ड्यूटी, कन्वर्जन और बिल्डिंग प्लान, आरपी सेल और इलेक्ट्रिसिटी टैक्स का।

प्रॉपर्टी टैक्स विभाग के सीनियर अधिकारी ने इस साल कम रेवेन्यू आने की पीछे मुख्य वजह कोरोना महामारी को बताया। उन्होंने बताया कि पिछले साल जितने लोगों ने प्रॉपर्टी टैक्स जमा कराया था इस साल अभी तक 50,000 प्रॉपर्टी मालिकों ने अपनी प्रॉपर्टी का टैक्स जमा नहीं किया। इसका सीधा असर सीधा एमसीडी के रेवेन्यू पर पड़ा। ज्यादा से ज्यादा लोग प्रॉपर्टी टैक्स जमा करा पाए इसके लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। जिन लोगों ने अपना प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं किया उनकी वॉर्ड के हिसाब से टॉप डिफॉल्टरों की लिस्ट तैयार की जा रही है।

एमसीडी को आरपी सेल के तहत आने वाले पार्किंग और यूनीपोल आदि से भी हर साल अच्छी खासी इनकम होती है। लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर पार्किंग कॉन्ट्रैक्टरों ने अपना किराया कम करने के लिए एमसीडी अधिकारियों और नेताओं पर दबाव बनाया। उनका दावा था कि कोरोना के दौरान पार्किंग से कमाई नहीं हो पाई लिहाजा उनका किराया कम किया जाए। निगम पार्षदों ने पार्किंग ठेकेदारों के इस दावे को गलत बताया था। उनका कहना था कि इस दौरान ज्यादातर गाड़ियों पार्किंग में ही खड़ी रहीं। बावजूद इसके ठेकेदारों के दबाव में किराया कम किया गया। इससे भी एमसीडी के रेवन्यू पर काफी असर पड़ा।
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राजेश सरोहा

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