ऐपशहर

Yamuna Pollution: सर्वे रिपोर्ट में खुलासा, यमुना में अब भी गिर रहा 18 में से 12 नालों का गंदा पानी

दिल्ली में यमुना में गंदगी और प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आपको बता दें कि दिल्ली में रोज करीब 768 मिलियन गैलन सीवर निकलता है। 34 एसटीपी 20 जगहों पर काम कर रहे हैं और इनकी क्षमता 622 एमजीडी के करीब है। ये इस समय अपनी क्षमता का करीब 87 प्रतिशत काम कर रहे हैं।

Edited byसरोज सिंह | नवभारत टाइम्स 23 Apr 2022, 3:33 pm
विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः राजधानी में यमुना को स्वच्छ करने का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन एनएमसीजी (नैशनल मिशन ऑन क्लीन गंगा) की एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में 18 में से 12 नाले अब भी यमुना में गंदा पनाी छोड़ रहे हैं। एनएमसीजी ने यह सर्वे रिपोर्ट डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) और डीजेबी (दिल्ल जल बोर्ड) को भेजी है। राजधानी में यमुना का 22 किलोमीटर का हिस्सा है। यह वजीराबाद से ओखला तक है। इस हिस्से में 18 मुख्य नाले गिरते हैं। हालांकि पूरी यमुना का यह महज दो हिस्सा है, लेकिन इसी हिस्से को सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता है।
नवभारतटाइम्स.कॉम YAMUNA
दिल्ली यमुना (फाइल फोटो)


Delhi Pollution News: गर्मी के साथ अब प्रदूषण का भी अटैक, बेहद खराब स्तर पर पहुंची राजधानी दिल्ली की हवा
गौरतलब है कि फरवरी में डीपीसीसी ने यूनियन जल शक्ति मिनिस्ट्री को अपनी रिपोर्ट जमा की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 18 में से 13 नालों को डीजेबी ने ट्रैप कर लिया है। अब इनके जरिए गंदगा पानी यमुना में नहीं जा रहा है। इसके बाद एनएमसीजी की तरफ से डीपीसीसी और डीजेबी को यह रिपोर्ट भेजी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डीपीसीसी की रिपोर्ट मिलने के बाद एनएमसीजी ने अपनी सर्वे टीम को ट्रैप किए गए नालों का स्तर परखने के लिए 30 व 31 मार्च को भेजा था। इस टीम ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें कहा गया है कि जिन 13 नालों को ट्रैप करने का दावा किया गया है, उनमें से 7 नालों से अब भी गंदा पानी यमुना में जा रहा है। जबकि 5 नालों को अभी तक ट्रैप ही नहीं किया जा सकता है। ऐसे में अभी भी 18 में से 12 नाले यमुना को प्रदूषित कर रहे हैं और गंदा पानी यमुना में छोड़ रहे हैं।

एनएमसीजी ने डीपीसीसी और डीजेबी से इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की बात कही है और दोनों से इसके लिए एक्शन टेकन रिपोर्ट भी मांगी है। वहीं, डीजेबी अधिकारियों के अनुसार 18 में से 13 नालों को इंटरसेप्टिंग सीवर के तहत ट्रैप किया जा चुका है। यह गंदे पानी को एकत्रित कर सीधे एसटीपी में ले जाता है। एसटीपी से पानी ट्रीट होने के बाद यमुना में जाता है। गौरतलब है कि राजधानी में रोज करीब 768 मिलियन गैलन सीवर निकलता है। वहीं, 34 एसटीपी 20 जगहों पर काम कर रहे हैं और इनकी क्षमता 622 एमजीडी के करीब है। ये इस समय अपनी क्षमता का करीब 87 प्रतिशत काम कर रहे हैं।

Noida News: 46 साल में निवेश और निवास का हब बना नोएडा, छोटी कंपनियों से शुरू हुआ सफर अब IT हब तक जा पहुंचा
इन 7 नालों को ट्रैप करने का दावा, लेकिन यमुना में जा रही गंदगी
  • खैबर पास नाला
  • सिविल मिलिट्री नाला
  • दिल्ली गेट नाला
  • ड्रेन नंबर 14
  • तुगलकाबाद नाला
  • कालकाजी नाला
  • सेन नर्सिंग होम नाला
  • इन नालों को नहीं किया जा सका ट्रैप
  • कुदुशिया बाग और मोरी गेट नाला
  • बारापुल्ला नाला
  • महारानी बाग नाला
  • नजफगढ़ नाला
  • शाहदरा आउटफॉल नाला

इन नालों से नहीं जा रही गंदगी
  • मैगजीन रोड नाला
  • स्वीपर कॉलोनी नाला
  • मेटकॉफ हाउस नाला
  • तांगा स्टैंड नाला
  • मोट नाला (विजय घाट)
  • तहखंड नाला
लेखक के बारे में
सरोज सिंह
सरोज सिंह नवभारटाइम्स.कॉम में असिस्टेंट एडिटर हैं. 20 साल से पत्रकारिता में हैं और इनकी विशेषज्ञता ऑनलाइन मीडिया में है। लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट जुड़ी खबरों में इनकी रुचि है और ये फ़ीचर टीम को लीड कर चुकी हैं. फिलहाल यह न्यूज टीम का हिस्सा हैं.... और पढ़ें

अगला लेख

Metroकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर