नई दिल्ली
नॉर्थ ईस्ट जिला पुलिस ने ऑपरेशन 'मिलाप' के जरिए 138 खोए हुए बच्चों को ढूंढकर उनके परिवार से मिलाया। ये बच्चे दिल्ली के अलावा बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के रहने वाले थे। इनमें 101 बच्चों को 2018 में और 37 को 2019 में अब तक उनके परिवारों से मिलाने का काम किया जा चुका है।
डीसीपी (नॉर्थ ईस्ट) अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि जिले की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट एसीपी गजेंद्र कुमार की देखरेख में अनुभवी स्टाफ को जिले में गुमशुदा बच्चों को खोजने के लिए लगाया गया है। पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने गुरुवार को पूरी टीम, खोजे गए बच्चों को सम्मानित किया। एसीपी गजेंद्र कुमार और सब इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह को भी पुरस्कृत किया गया। एसआई राजेंद्र सिंह को गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलाने के लिए असाधारण कार्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
बच्चों की खोजबीन के लिए स्टाफ के लोग कड़ी मेहनत करते हैं। इसके लिए दिल्ली-एनसीआर के शेल्टर होम और जुवेनाइल होम का दौरा किया जाता है। इसी का नतीजा है कि 5 से 18 साल के 108 लड़के और 24 लड़कियां अपने परिजनों से मिल सकीं। छह बच्चे दिव्यांग हैं। इस टीम में इंस्पेक्टर तनवीर अशरफ, सब इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, एएसआई प्रहलाद सिंह, इदरीश खान, हरीश, अख्तर आलम, वीरेंद्र सिंह, सुनीता, सत्यवीर, हेड कॉन्स्टेबल मनोज, मुकेश, कॉन्स्टेबल जावेद अख्तर, राजीव, प्रदीप शामिल हैं, जो अडिशनल डीसीपी आरपी मीणा की निगरानी में बेहतरीन काम कर रही है।
नॉर्थ ईस्ट जिला पुलिस ने ऑपरेशन 'मिलाप' के जरिए 138 खोए हुए बच्चों को ढूंढकर उनके परिवार से मिलाया। ये बच्चे दिल्ली के अलावा बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के रहने वाले थे। इनमें 101 बच्चों को 2018 में और 37 को 2019 में अब तक उनके परिवारों से मिलाने का काम किया जा चुका है।
डीसीपी (नॉर्थ ईस्ट) अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि जिले की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट एसीपी गजेंद्र कुमार की देखरेख में अनुभवी स्टाफ को जिले में गुमशुदा बच्चों को खोजने के लिए लगाया गया है। पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने गुरुवार को पूरी टीम, खोजे गए बच्चों को सम्मानित किया। एसीपी गजेंद्र कुमार और सब इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह को भी पुरस्कृत किया गया। एसआई राजेंद्र सिंह को गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलाने के लिए असाधारण कार्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
बच्चों की खोजबीन के लिए स्टाफ के लोग कड़ी मेहनत करते हैं। इसके लिए दिल्ली-एनसीआर के शेल्टर होम और जुवेनाइल होम का दौरा किया जाता है। इसी का नतीजा है कि 5 से 18 साल के 108 लड़के और 24 लड़कियां अपने परिजनों से मिल सकीं। छह बच्चे दिव्यांग हैं। इस टीम में इंस्पेक्टर तनवीर अशरफ, सब इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, एएसआई प्रहलाद सिंह, इदरीश खान, हरीश, अख्तर आलम, वीरेंद्र सिंह, सुनीता, सत्यवीर, हेड कॉन्स्टेबल मनोज, मुकेश, कॉन्स्टेबल जावेद अख्तर, राजीव, प्रदीप शामिल हैं, जो अडिशनल डीसीपी आरपी मीणा की निगरानी में बेहतरीन काम कर रही है।