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2005 ब्लास्ट के शिकार DTC ड्राइवर कुलदीप का दर्द- बेटा पास पर कभी देखा नहीं

2005 में सीरियल ब्लास्ट के दौरान डीटीसी बस के ड्राइवर कुलदीप सिंह ने कई मुसाफिरों की जान बचाई। इस दर्दनाक हादसे ने कुलदीप को जिंदगीभर का दर्द दिया। ...

विशाल शर्मा | नवभारत टाइम्स 17 Feb 2017, 8:50 am

नई दिल्ली

नवभारतटाइम्स.कॉम 2005 delhi blasts kuldeep singh saved lives but lost his vision
2005 ब्लास्ट के शिकार DTC ड्राइवर कुलदीप का दर्द- बेटा पास पर कभी देखा नहीं

2005 में सीरियल ब्लास्ट के दौरान डीटीसी बस के ड्राइवर कुलदीप सिंह ने कई मुसाफिरों की जान बचाई। इस दर्दनाक हादसे ने कुलदीप को जिंदगीभर का दर्द दिया। उन्हें अफसोस है कि इस दर्द का कोई इलाज नहीं। ब्लास्ट के उस खौफनाक सीन को याद कर कुलदीप की रूह आज भी कांप जाती है।

एक धमाके ने उनकी पूरी जिंदगी को उजाड़ कर रख दिया। कुलदीप की दोनों आंखों की रोशनी चली गई। उनका एक कान भी पूरी तरह खराब हो गया। एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया। बागपत के कुलदीप दिल्ली में पत्नी और 11 साल के बेटे दीपक के साथ शादीपुर डिपो के सरकारी क्वॉर्टर में रहते हैं। कुलदीप के मुताबिक, उस दिन बस सवारियों से भरी हुई थी। अचानक एक सवारी ने सीट के नीचे रखे लावारिस सामान को देखकर ड्राइवर कुलदीप को बताया और बम होने का शक जाहिर किया। उसने जोर दिया कि बस को तुरंत रोककर सभी को उतार दिया जाए।

कुलदीप बस को सुरक्षित जगह पर रोकना चाहते थे। कालकाजी डिपो से आगे ले जाकर बस को एक खाली प्लॉट के सामने रोक दिया। तुरंत सवारियों को उतार दिया। कुलदीप की ड्राइविंग वाली सीट से करीब 5वीं सीट के नीचे एक बैग मिला। उसमें से टिक-टिक आवाज आ रही थी। कुलदीप के मुताबिक उन्होंने बैग में टाइमर से जुड़े लाल, हरे और पीले रंग के तार देखे। बैग उठाया और उसे फेंकने बस से दूर चल दिए। तभी जोरदार धमाका हुआ। जब होश आया और आंखें खोल कर देखा तो कुलदीप अस्पताल में थे। डॉक्टर से पता चला कि अब वह नहीं देख सकते। एक कान से सुन नहीं सकते। एक हाथ खराब हो चुका है।

मेरी पत्नी प्रेग्नेंट थीं। कुलदीप ने जख्मी हालात में भी डॉक्टर्स से गुहार लगाई कि उनकी पत्नी को इसकी भनक न लगे, वरना वह सदमा झेल नहीं पाएगीं। करीब डेढ़ महीने बाद उनके घर बेटे का जन्म हुआ। उन्हें यही मलाल है कि आज तक वह अपने बेटे को देख नहीं पाए। आंखों की रोशनी बेशक चली गई मगर बेटे का नाम दीपक रखा। करीब 11 साल बाद गुरुवार को आए फैसले से कुलदीप नाखुश हैं। असली गुनहगार कौन है? क्यों उन लोगों को सजा नहीं मिली?

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विशाल शर्मा

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