दिल्ली का पहला टेलीफोन एक्सचेंज कौन सा
दिल्ली देश की 1911 में राजधानी बनी तो यहां पर सांकेतिक फोन सेवा चालू हो गई। उस दौर में वायसराय, आला सरकारी अफसरों और असरदार भारतीयों के पास ही फोन होता था। दिल्ली के मशहूर डॉ. एचसी सेन फव्वारा स्थित घर-क्लिक का फोन नंबर 6 था। दिल्ली में 1920 तक मासिक फोन शुल्क 120 रुपया था,जो उस दौर के लिहाज से बहुत अधिक था। दिल्ली में लोथियान एक्सचेंज 1926 में शुरू हुई और फिर कनॉट प्लेस एक्सचेंज 1937 में चालू हुई। 1950 के बाद दिल्ली कैंट, करोल बाग, जोर बाग, शाहदरा, दिल्ली गेट, ओखला एक्सचेंज, ईदगाह एक्सचेंज वगैरह स्थापित हुए। लोथियान एक्सचेंज का स्थान 1953 में तीस हजारी ने ले लिया। ये भारत की मोबाइल क्रांति का जन्म स्थान है। आज से लगभग साठ साल पहली की दिल्ली-6 में गिने-चुने घरों में टेलीफोन लगे होते थे। चावड़ी बाजार के सोशल वर्कर आशीष वर्मा आशु कहते हैं कि तब इलाके के लोग उस व्यक्ति का फोन नंबर सबको दे देते थे, जिसके घर में फोन होता था। उस समय लोग बड़ी शान से पीपी लिखकर टेलीफोन नंबर अपने विजिटिंग कार्ड पर लिखवा लेते थे।
भारत की मोबाइल क्रांति का जन्मस्थान कहां
लोथियान एकसचेंज का स्थान 1953 में तीस हजारी ने ले लिया। ये भारत की मोबाइल क्रांति का जन्मस्थान है। यहां से ही तत्कालीन केन्द्रीय जनसंचार मंत्री राम निवास मिर्धा ने 31 दिसंबर, 1985 को कार फोन सेवा का श्रीगणेश किया था। इन कार फोन की रेंज 15 किलोमीटर हुआ करती थी। उसे तब केंद्रीय मंत्रियों, तीनों सेना के प्रमुखों और अन्य सुपर वीआईपी हस्तियां रखती थीं। इस सेवा को भारत सरकार के उपक्रम सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स (सी-डॉट) ने चालू किया था। सी-डॉट के जनक आजकल विवादों में फंसे हुए सैम पित्रोदा ही थे। दिल्ली में 1992 में लगभग 250 लोगों के पास कार फोन हुआ करते थे। वे जिनके पास होते थे, उन्हें समाज में बहुत सम्मान की नजरों से देखा जाता था। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता एसटीडी सेवा अक्टूबर 1966 में चालू हुई थी। तब दिल्ली के उपराज्यपाल एएन झा ने संचार मंत्री सत्य नारायण सिन्हा से एसटीडी फोन पर मुंबई में और कोलकाता में टेलीफोन विभाग के आला अफसरों से बात की थी।