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विदेश से आने वालों के लिए क्वारंटीन सेंटरों में भी होगी व्यवस्था

विदेश से आने वाले जो व्यक्ति होटलों में अपना खर्च उठाने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें साउथ वेस्ट और वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के बने क्वारंटीन सेंटरों में रखा जा सकता है। इसके लिए इन दोनों जिलों के क्वारंटीन सेंटरों में तैयारियां कर ली गईं हैं।

Navbharat Times 11 May 2020, 10:00 am
नई दिल्ली: विदेश से आने वाले जो व्यक्ति होटलों में अपना खर्च उठाने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें साउथ वेस्ट और वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के बने क्वारंटीन सेंटरों में रखा जा सकता है। इसके लिए इन दोनों जिलों के क्वारंटीन सेंटरों में तैयारियां कर ली गईं हैं। प्रशासन के अनुसार, विदेश से आने वालों के लिए 14 दिन के क्वारंटीन पीरियड की व्यवस्था फाइव स्टार होटलों में की गई है, लेकिन कई लोग हैं, जिन्हें रोज के ठहरने का खर्चा उठाने में परेशानी हो रही है। ऐसे लोगों के लिए अन्य क्वारंटीन सेंटरों में व्यवस्था की जाएगी। अभी होटलों में प्रतिदिन के हिसाब से इनसे 3500 रुपये चार्ज लिया जा रहा है।
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40 दिनों के बाद जमाती अपने-अपने घर रवाना
द्वारका सेक्टर-16 और बक्करवाला में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में रखे गए जमातियों को रविवार को अपने-अपने घरों के लिए रवाना कर दिया गया। करीब 40 दिनों बाद अपने घर जाने की खुशी इन लोगों के चेहरों पर साफ दिखाई दे रही थी। सभी ने सेंटर में मिली सुविधाओं को सराहा। खास तौर पर रमजान के दौरान दी गई सुविधाओं को। बक्करवाला में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर से शनिवार रात 16 जमातियों को 3 गाड़ियों में विदा किया गया। अभी इस सेंटर में 110 जमाती बाकी रह गए हैं। ये विभिन्न राज्यों से हैं, इसलिए दिल्ली सरकार इनके घर लौटने का इंतजाम कर रही है। जमातियों को अभी घरों में 14 दिन के लिए क्वारंटीन रहने को कहा गया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि कुछ जमातियों की रिपोर्ट बीच-बीच में पॉजिटिव आई थी। नोडल ऑफिसर नीरज धवन ने बताया कि क्वारंटीन अवधि के दौरन सभी जमातियों का पूरा ख्याल रखा गया।

दो क्वारंटीन सेंटर हुए खाली
वहीं, रविवार को द्वारका सेक्टर-16 और द्वारका सेक्टर-9 के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल से 110 और 62 जमातियों को उनके घर भेज दिया गया। जिसके बाद अब यह दोनों क्वारंटीन सेंटर खाली हो चुके हैं। अब यहां सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया चल रही है। अब यहां उन लोगों को रखने की प्लानिंग है, जो विदेशों से लौट रहे हैं। इनमें ऐसे कुछ व्यक्ति हैं जो होटल के कमरों का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं हैं।

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