विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
डूसू चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई की जीत से कांग्रेस को संजीवनी मिली है। पिछले 4 सालों से दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही कांग्रेस के लिए डूसू चुनाव की जीत एक राहत भरी है। 2012 के विधानसभा चुनावों के बाद यह कांग्रेस को जीत का स्वाद चखने को मिला है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन इस जीत का क्रेडिट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के 12 सितंबर को बर्कली यूनिवर्सिटी में दिए गए भाषण को भी दे रहे हैं। उनका दावा है कि युवाओं ने राहुल गांधी के भाषण को सराहा है, जबकि 11 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण को नकार दिया है। माकन ने कहा कि चाहे बवाना का उपचुनाव हो या एमसीडी का चुनाव, कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत लगातार बढ़ा है। इस बढ़ते वोटिंग प्रतिशत की सफलता डूसू चुनाव में मिली है।
माकन ने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने सीधे तौर पर दखल देकर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की। पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव शुक्रवार या शनिवार को न होकर मंगलवार यानि 12 सितंबर को कराए गए। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि 11 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण को सभी विश्वविद्यालयों में प्रसारित किया गया। ऐसा करके दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
माकन ने आरोप लगाया कि इससे पहले बदले की भावना से एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रॉकी तुसीद का नामांकन ही रद्द करवा दिया गया था। इसके खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील पी. चिदंबरम ने दिल्ली हाई कोर्ट में रॉकी की पैरवी की। हाई कोर्ट ने नामांकन स्वीकार करवाया। माकन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को युवाओं ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत दिलाई थी। डूसू में एनएसयूआई की जीत से साबित हो गया है युवाओं का मोदी से मोह भंग होने लगा है।