नई दिल्ली
पैसेंजर ट्रेनों को मेल/एक्सप्रेस कैटिगरी में बदलने और पैसेंजर ट्रेनों की संख्या में कटौती करने का खामियाजा अब लाखों दैनिक रेल यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। मंगलवार की सुबह सोशल मीडिया में एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ, जिसमें कुरुक्षेत्र से हजरत निजामुद्दीन आने वाली मेमू ट्रेन के गेट पर लटककर और कपलिंग के बीच की जगह पर खड़े होकर यात्री उस ट्रेन से सफर करते दिखाई दिए। इस वीडियो को ट्वीट कर रेल मंत्री और रेलवे के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने वाले दैनिक रेल यात्री मनीष कुमार गुलिया ने बताया कि हरियाणा के रूट पर दैनिक यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तो ट्रेनों की संख्या कम हैं और जो ट्रेनें चल रहीं हैं, उनमें से भी अधिकतर की टाइमिंग डेली पैसेंजर के शेड्यूल से मेल नहीं खाती है। इस वजह से लोग जान हथेली पर लेकर किसी तरह ट्रेन में सफर कर रहे हैं, ताकि अपने काम पर आ सकें। मंडल रेलवे उपयोगकर्ता सलाहकार समिति के सदस्य और दैनिक रेल यात्री संघ, पटौदी रोड के अध्यक्ष योगेंद्र चौहान ने बताया कि दिल्ली-रेवाड़ी सेक्शन पर पहले जो मुख्य पैसेंजर ट्रेन 54414 चला करती थी, उसे बंद कर रखा है। इसकी वजह से दैनिक यात्रियों को बहुत दिक्कत हो रही है, क्योंकि बाकी ट्रेनों की टाइमिंग लोगों की ऑफिस टाइमिंग से मैच नहीं करती है। वहीं, जिस हरियाणा एक्सप्रेस को पैसेंजर बनाकर चलाया जा रहा है, वह रेवाड़ी के बाद सीधे गुड़गांव रुकती है। ऐसे में बीच के 7-8 स्टेशनों ये दैनिक यात्री ट्रेन में चढ़ ही नहीं पाते हैं। इसी तरह श्रीगंगानगर से तिलक ब्रिज के बीच जो ट्रेन पहले अनरिजर्व चलती थी, उसको एक्सप्रेस बनाकर चलाया जा रहा है। अगर उस ट्रेन को पहले की तरह चलाया जाए, तो शाम को वापस लौटने में आसानी हो जाएगी।
एमएसटी तो लागू कर दी, लेकिन नहीं बढ़ाई ट्रेनों की संख्या
दैनिक यात्री संघ (पालम) के महासचिव बालकृष्ण अमरसरिया ने बताया कि दिल्ली-रेवाड़ी रुट पर चलने वाली हरियाणा एक्सप्रेस का सदर बाजार स्टेशन पर ठहराव नहीं होने के कारण सदर बाजार, चांदनी चौक और आस-पास के थोक बाजारों में काम करने वाले सैकड़ों लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि यहां काम करने वाले ज्यादातर लोग इसी ट्रेन से ही आते-जाते थे। उनका कहना है कि रेलवे ने एमएसटी तो लागू कर दी, लेकिन ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई, जिसकी वजह से यात्रियों को पास बनवाने का भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। वैसे तो सभी रूटों पर पैसेंजर ट्रेनों की संख्या कम ही है, लेकिन सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र और रेवाड़ी के रूट पर समस्या ज्यादा बेहद गंभीर होती जा रही है। भीड़ की वजह से ट्रेनों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं हो पा रहा है।
पहले चलती थीं करीब 325 लोकल ट्रेनें, अभी केवल 80
अनारक्षित पैसेंजर ट्रेनों की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल कोविड की दस्तक से पहले जहां यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान से दिल्ली-आने के लिए करीब 325 लोकल पैसेंजर ट्रेनें चला करती थीं, वहीं अभी केवल 80 ट्रेनें ही चल रहीं हैं, जबकि हालात सामान्य होने के साथ-साथ यात्रियों की आवाजाही पहले से काफी बढ़ गई है। ऐसे में ट्रेनों की संख्या कम होने से डेली पैसेंजर्स को भारी दिक्कत हो रही है।
पैसेंजर ट्रेनों को मेल/एक्सप्रेस कैटिगरी में बदलने और पैसेंजर ट्रेनों की संख्या में कटौती करने का खामियाजा अब लाखों दैनिक रेल यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। मंगलवार की सुबह सोशल मीडिया में एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ, जिसमें कुरुक्षेत्र से हजरत निजामुद्दीन आने वाली मेमू ट्रेन के गेट पर लटककर और कपलिंग के बीच की जगह पर खड़े होकर यात्री उस ट्रेन से सफर करते दिखाई दिए। इस वीडियो को ट्वीट कर रेल मंत्री और रेलवे के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने वाले दैनिक रेल यात्री मनीष कुमार गुलिया ने बताया कि हरियाणा के रूट पर दैनिक यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तो ट्रेनों की संख्या कम हैं और जो ट्रेनें चल रहीं हैं, उनमें से भी अधिकतर की टाइमिंग डेली पैसेंजर के शेड्यूल से मेल नहीं खाती है। इस वजह से लोग जान हथेली पर लेकर किसी तरह ट्रेन में सफर कर रहे हैं, ताकि अपने काम पर आ सकें।
एमएसटी तो लागू कर दी, लेकिन नहीं बढ़ाई ट्रेनों की संख्या
दैनिक यात्री संघ (पालम) के महासचिव बालकृष्ण अमरसरिया ने बताया कि दिल्ली-रेवाड़ी रुट पर चलने वाली हरियाणा एक्सप्रेस का सदर बाजार स्टेशन पर ठहराव नहीं होने के कारण सदर बाजार, चांदनी चौक और आस-पास के थोक बाजारों में काम करने वाले सैकड़ों लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि यहां काम करने वाले ज्यादातर लोग इसी ट्रेन से ही आते-जाते थे। उनका कहना है कि रेलवे ने एमएसटी तो लागू कर दी, लेकिन ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई, जिसकी वजह से यात्रियों को पास बनवाने का भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। वैसे तो सभी रूटों पर पैसेंजर ट्रेनों की संख्या कम ही है, लेकिन सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र और रेवाड़ी के रूट पर समस्या ज्यादा बेहद गंभीर होती जा रही है। भीड़ की वजह से ट्रेनों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं हो पा रहा है।
पहले चलती थीं करीब 325 लोकल ट्रेनें, अभी केवल 80
अनारक्षित पैसेंजर ट्रेनों की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल कोविड की दस्तक से पहले जहां यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान से दिल्ली-आने के लिए करीब 325 लोकल पैसेंजर ट्रेनें चला करती थीं, वहीं अभी केवल 80 ट्रेनें ही चल रहीं हैं, जबकि हालात सामान्य होने के साथ-साथ यात्रियों की आवाजाही पहले से काफी बढ़ गई है। ऐसे में ट्रेनों की संख्या कम होने से डेली पैसेंजर्स को भारी दिक्कत हो रही है।