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नई दिल्ली : हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में भूख से होने वाली मौत की घटनाएं रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए। इस मुद्दे पर दायर एक जनहित याचिका में रखी गई मांगों को मंजूर करते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया। पिछले साल मंडावली इलाके में भूख से तीन बच्चियों की मौत के बाद याचिका दायर की गई थी।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने आप सरकार के साथ अन्य संबंधित अथॉरिटीज को भी यह निर्देश जारी करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। याची वकील के मुताबिक, कोर्ट ने उनकी सभी मांगों को मंजूर कर लिया। इसमें एक मांग गरीब परिवारों के बच्चों के लिए रियायती दरों या मुफ्त में राशन की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने से जुड़ी थी। दूसरी, गरीब लोगों में पोषण के स्तर की नियमित जांच और तीसरी, उनके परिवार में भूख आदि से मौत जैसी घटना होने पर परिजनों को मुआवजे की उठाई गई। याची के वकील मनीष पाठक ने कोर्ट से दिल्ली सरकार के साथ केंद्र को भी इसके लिए नीति बनाने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी। इन सबके अलावा याचिका में सबसे अहम मांग मकान मालिकों को यह निर्देश देने की रखी गई कि वे झुग्गियों में रहने वाले अपने किराएदारों को रेंट अग्रीमेंट या पते का अन्य प्रूफ मुहैया कराएं, जिससे वे लोग अपना राशन कार्ड तो बनवा सकें।
इस मामले में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था। लेकिन वहां से हाई कोर्ट जाने के लिए कहा गया। याचिकाकर्ता के मुताबिक भूख से मौत की ज्यादातर घटनाएं झुग्गियों में रहने वालों के साथ होती हैं, क्योंकि उनके पास सस्ती दरों पर राशन पाने के लिए राशन कार्ड भी नहीं हैं। याचिका में पिछले साल जुलाई में तीन बच्चियों की मौत का हवाला दिया गया, जिनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भूख को मौत का कारण बताया गया था। याचिका के अनुसार, झुग्गियों में रहने वालों के पास आवासीय प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण उनका राशन कार्ड नहीं बन पाता है। रेजिडेंस प्रूफ नहीं होना किसी को रियायत दर पर राशन देने से इनकार करने का आधार नहीं होना चाहिए। संविधान के तहत राशन उपलब्ध कराने में शर्त लगाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।