नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को हरियाणा सरकार से कहा कि वह दिल्ली में साफ पानी की सप्लाई में रुकावट पैदा करने वाले पुश्तों को हटा दे। दिल्ली सरकार के मुताबिक, इन पुश्तों की वजह से साफ पानी के प्रवाह में रुकावट पैदा हो रही है। इससे सप्लाई होने वाले पानी में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। हरियाणा सरकार ने अपने जवाब में पुश्ते हटाने के लिए हामी तो भर दी लेकिन कोर्ट के सामने आरोप लगाया कि नदी में प्रदूषित पानी के लिए वह नहीं, दिल्ली सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
हरियाणा सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड की अर्जी पर दायर अपने जवाब में यह बात कही और भरोसा दिलाया कि वह पुश्ते हटवा देगी। इस पर चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. के. राव की बेंच ने उसे यह निर्देश जारी किया। अपने हलफनामे में हरियाणा सरकार ने कहा है कि ये पुश्ते डीडी-8 नहर पर इसीलिए बनवाए गए थे, जिससे यमुना में प्रदूषित पानी न बहे।
हरियाणा सरकार ने दिल्ली पर लगाए यमुना को गंदा करने का आरोप
उन्होंने दिल्ली सरकार के आरोपों का भी खंडन किया कि इनकी वजह से दिल्ली में सप्लाई होने वाला पानी और प्रदूषित हो रहा है। दिल्ली सरकार के इन आरोपों से जुड़ी अर्जी का जवाब देते हुए हरियाणा सरकार ने कहा कि दिल्ली को प्रति दिन 1000 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की जरूरत पड़ती है, जिसमें से 500 एमजीडी कच्चे पानी की सप्लाई वह नहरों के जरिए कर रहा है। 440 एमजीडी पानी का जुगाड़ गंगा और ट्यूबवेल के जरिए किया जा रहा है। राज्य सरकार के मुताबिक, यमुना से सीधे तौर पर जाने वाले सिर्फ 60 एमजीडी पानी में ही भारी मात्रा में अमोनिया पाया गया, इसके लिए दिल्ली खुद सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
जल बोर्ड ने हरियाणा सरकार के इस हलफनामे का जवाब देने के लिए समय दिए जाने की मांग की, जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 मार्च की तारीख तय की। पड़ोसी राज्य ने अपने हलफनामे में यह भी दावा किया है कि उसकी ओर से दिल्ली के लिए पानी की सप्लाई में कभी कोई कमी नहीं की गई, यहां तक की खराब मौसम में भी नहीं। उसका कहना है कि दिल्ली सरकार को ट्रीटमेंट के दौरान 10 फीसदी और उसके बाद 30 फीसदी पानी की बर्बादी रोकने के तुरंत जरूरी कदम उठाने होंगे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को हरियाणा सरकार से कहा कि वह दिल्ली में साफ पानी की सप्लाई में रुकावट पैदा करने वाले पुश्तों को हटा दे। दिल्ली सरकार के मुताबिक, इन पुश्तों की वजह से साफ पानी के प्रवाह में रुकावट पैदा हो रही है। इससे सप्लाई होने वाले पानी में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। हरियाणा सरकार ने अपने जवाब में पुश्ते हटाने के लिए हामी तो भर दी लेकिन कोर्ट के सामने आरोप लगाया कि नदी में प्रदूषित पानी के लिए वह नहीं, दिल्ली सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
हरियाणा सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड की अर्जी पर दायर अपने जवाब में यह बात कही और भरोसा दिलाया कि वह पुश्ते हटवा देगी। इस पर चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. के. राव की बेंच ने उसे यह निर्देश जारी किया। अपने हलफनामे में हरियाणा सरकार ने कहा है कि ये पुश्ते डीडी-8 नहर पर इसीलिए बनवाए गए थे, जिससे यमुना में प्रदूषित पानी न बहे।
हरियाणा सरकार ने दिल्ली पर लगाए यमुना को गंदा करने का आरोप
उन्होंने दिल्ली सरकार के आरोपों का भी खंडन किया कि इनकी वजह से दिल्ली में सप्लाई होने वाला पानी और प्रदूषित हो रहा है। दिल्ली सरकार के इन आरोपों से जुड़ी अर्जी का जवाब देते हुए हरियाणा सरकार ने कहा कि दिल्ली को प्रति दिन 1000 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की जरूरत पड़ती है, जिसमें से 500 एमजीडी कच्चे पानी की सप्लाई वह नहरों के जरिए कर रहा है। 440 एमजीडी पानी का जुगाड़ गंगा और ट्यूबवेल के जरिए किया जा रहा है। राज्य सरकार के मुताबिक, यमुना से सीधे तौर पर जाने वाले सिर्फ 60 एमजीडी पानी में ही भारी मात्रा में अमोनिया पाया गया, इसके लिए दिल्ली खुद सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।
जल बोर्ड ने हरियाणा सरकार के इस हलफनामे का जवाब देने के लिए समय दिए जाने की मांग की, जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 मार्च की तारीख तय की। पड़ोसी राज्य ने अपने हलफनामे में यह भी दावा किया है कि उसकी ओर से दिल्ली के लिए पानी की सप्लाई में कभी कोई कमी नहीं की गई, यहां तक की खराब मौसम में भी नहीं। उसका कहना है कि दिल्ली सरकार को ट्रीटमेंट के दौरान 10 फीसदी और उसके बाद 30 फीसदी पानी की बर्बादी रोकने के तुरंत जरूरी कदम उठाने होंगे।