नई दिल्ली: सोमवार को डेंगू की वजह से इस साल पहली मौत की पुष्टि हुई। एक महीने से अस्पतालों में कोरोना से कहीं ज्यादा डेंगू के केस हैं, लोगों में अब इसे लेकर डर बढ़ गया है। डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू से घबराने की नहीं, इसके प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। नॉर्मल डेंगू में मौत के चांस एक प्रतिशत से भी कम है। इलाज में देरी से स्थिति बिगड़ सकती है। स्थिति गंभीर हो जाए या फिर डेंगू हेमरेजिक फीवर हो, तो चिंता की बात है।
डॉक्टरों के मुताबिक, पहले ज्यादातर नॉर्मल डेंगू फीवर होता है। व्यक्ति समय पर इलाज से ठीक हो जाता है, लेकिन अगले साल यदि फिर डेंगू होता है, तो ज्यादातर चांस हैं कि वह डेंगू हेमरेजिक फीवर होगा। सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. जुगल किशोर कहते हैं कि अगर किसी को नॉर्मल डेंगू होता है तो मौत के चांस एक प्रतिशत से भी कम हैं। अगर हेमरेजिक फीवर होता है और समय से इलाज नहीं मिलता, तो मौत के चांस काफी ज्यादा हो जाते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी तब आती है, जब लोग सेल्फ मेडिकेशन करने लगते हैं। तबियत बिगड़ती है, तो अस्पताल जाते हैं। अगर 100 से ज्यादा बुखार है तो आपको डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। दूसरी अहम बात, लोग प्लेटलेट्स पर ध्यान देते हैं कि अगर यह कम होगी तो स्थिति खराब हो जाएगी, जबकि ऐसा नहीं है। प्लेटलेट्स कम होने से तब तक परेशानी नहीं होती, जब तक कहीं से ब्लीडिंग न होने लगे।
एम्स में मेडिसिन डिपार्टमेंट के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज निश्चल कहते हैं कि ओवरऑल देखें तो डेंगू से डेथ रेट एक प्रतिशत से भी कम है, लेकिन स्थिति क्रिटिकल है तो यह तीन से चार प्रतिशत तक पहुंच जाता है। डेंगू होने पर जब लोग घरेलू इलाज करते हैं या फिर इंटरनेट से देखकर ट्रीटमेंट लेते हैं तो उससे प्लेटलेट्स गिरने लगता है। हालांकि प्लेटलेट्स गिरने से तब तक डर नहीं है, जब तक आपके मसूढ़े, यूरिन, स्टूल आदि से ब्लीडिंग न होने लगे। ये खतरनाक संकेत हैं।
इस वजह से ज्यादा आते हैं डेंगू के केस
डॉ. नीरज निश्चल का कहना है कि मलेरिया का मच्छर रात के वक्त काटता है। रात को हम सो रहे होते हैं इसलिए उसे जितना ब्लड चाहिए, वह अपने डंक के जरिए ले जाता है। डेंगू का एडिज मच्छर दिन के वक्त काटता है। दिन में हम उठे रहते हैं, इसलिए काटने पर तुरंत मच्छर को भगा देते हैं। ऐसे में उसे जितना खून चाहिए, नहीं मिल पाता। वह एक के बाद एक लोगों को काटता है। एक मच्छर कम-से-कम चार से पांच लोगों को काटकर अपना कोटा पूरा करता है। यही वजह है कि डेंगू के मामले ज्यादा आते हैं।
सावधानी है जरूरी
लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, प्लेटलेट्स कम होना, मसूढ़े, यूरिन, स्टूल में ब्लीडिंग होना, लाल चकते होना
इलाज: इसका कोई पक्का इलाज नहीं है, केवल लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है
कब है दाखिले की जरूरत: अगर बुखार 102 या इससे ज्यादा है। ब्लीडिंग हो रही है। बीपी भी ऊपर-नीचे हो रहा है
सावधान होने के संकेत: बहुत ज्यादा कमजोरी, बार-बार उल्टी, डिहाइड्रेशन, कुछ खा नहीं पाना
डॉक्टरों के मुताबिक, पहले ज्यादातर नॉर्मल डेंगू फीवर होता है। व्यक्ति समय पर इलाज से ठीक हो जाता है, लेकिन अगले साल यदि फिर डेंगू होता है, तो ज्यादातर चांस हैं कि वह डेंगू हेमरेजिक फीवर होगा। सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. जुगल किशोर कहते हैं कि अगर किसी को नॉर्मल डेंगू होता है तो मौत के चांस एक प्रतिशत से भी कम हैं। अगर हेमरेजिक फीवर होता है और समय से इलाज नहीं मिलता, तो मौत के चांस काफी ज्यादा हो जाते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी तब आती है, जब लोग सेल्फ मेडिकेशन करने लगते हैं। तबियत बिगड़ती है, तो अस्पताल जाते हैं। अगर 100 से ज्यादा बुखार है तो आपको डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। दूसरी अहम बात, लोग प्लेटलेट्स पर ध्यान देते हैं कि अगर यह कम होगी तो स्थिति खराब हो जाएगी, जबकि ऐसा नहीं है। प्लेटलेट्स कम होने से तब तक परेशानी नहीं होती, जब तक कहीं से ब्लीडिंग न होने लगे।
एम्स में मेडिसिन डिपार्टमेंट के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज निश्चल कहते हैं कि ओवरऑल देखें तो डेंगू से डेथ रेट एक प्रतिशत से भी कम है, लेकिन स्थिति क्रिटिकल है तो यह तीन से चार प्रतिशत तक पहुंच जाता है। डेंगू होने पर जब लोग घरेलू इलाज करते हैं या फिर इंटरनेट से देखकर ट्रीटमेंट लेते हैं तो उससे प्लेटलेट्स गिरने लगता है। हालांकि प्लेटलेट्स गिरने से तब तक डर नहीं है, जब तक आपके मसूढ़े, यूरिन, स्टूल आदि से ब्लीडिंग न होने लगे। ये खतरनाक संकेत हैं।
इस वजह से ज्यादा आते हैं डेंगू के केस
डॉ. नीरज निश्चल का कहना है कि मलेरिया का मच्छर रात के वक्त काटता है। रात को हम सो रहे होते हैं इसलिए उसे जितना ब्लड चाहिए, वह अपने डंक के जरिए ले जाता है। डेंगू का एडिज मच्छर दिन के वक्त काटता है। दिन में हम उठे रहते हैं, इसलिए काटने पर तुरंत मच्छर को भगा देते हैं। ऐसे में उसे जितना खून चाहिए, नहीं मिल पाता। वह एक के बाद एक लोगों को काटता है। एक मच्छर कम-से-कम चार से पांच लोगों को काटकर अपना कोटा पूरा करता है। यही वजह है कि डेंगू के मामले ज्यादा आते हैं।
सावधानी है जरूरी
- सेल्फ मेडिकेशन यानी खुद से दवा खाने से बचें
- खुद को हाइड्रेट रखें क्योंकि इसमें लिक्विड की अच्छी मात्रा की जरूरत होती है
- अपने आसपास सफाई रखें, पानी इकट्ठा न होने दें
- दिन में पूरे कपड़े पहनें
लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, प्लेटलेट्स कम होना, मसूढ़े, यूरिन, स्टूल में ब्लीडिंग होना, लाल चकते होना
इलाज: इसका कोई पक्का इलाज नहीं है, केवल लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है
कब है दाखिले की जरूरत: अगर बुखार 102 या इससे ज्यादा है। ब्लीडिंग हो रही है। बीपी भी ऊपर-नीचे हो रहा है
सावधान होने के संकेत: बहुत ज्यादा कमजोरी, बार-बार उल्टी, डिहाइड्रेशन, कुछ खा नहीं पाना