प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
रात 10 बजे रहे थे। एम्स की इमरजेंसी में 33 साल का एक मरीज पहुंचा। उनकी आंत में छेद था। साथ में फीवर और कफ भी था। बीपी मेंटेन की दवा दी गई थी। मरीज पूरी तरह से कोविड संदिग्ध की तरह लग रहा था। सर्जरी नहीं करने पर जान जाने का खतरा था। बिना जांच कराए सर्जरी करने पर डॉक्टर को कोरोना होने का खतरा था। कोविड की जांच कराने और रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है। ऐसे में एम्स के डॉक्टरों ने रिस्क कवर करते हुए मरीज की जान बचाने का फैसला किया। 10 डॉक्टरों व टेक्निशियन की टीम ने रात एक बजे सर्जरी शुरू की और सर्जरी को सफल बनाकर मरीज को नई जिंदगी दी और नई मिसाल पेश की। देश में कहां कितने कोरोना मरीज, पूरी लिस्ट
सर्जरी में शामिल एक डॉक्टर ने बताया कि मरीज वैशाली से आया था। आंत में छेद की वजह से स्टूल पेट में आ रहा था। वह शॉक में था। सर्जरी तुरंत करने की जरूरत थी। लेकिन उनके लक्षण कोविड वाले थे। हमारे पास समय कम था। कोविड का टेस्ट कराने जाते तो उसकी रिपोर्ट आने तक जान जा सकती थी, लेकिन सर्जरी करने हम डॉक्टर जाते तो हमें भी खतरा था। हमने इस रिस्क को उठाते हुए मरीज की जान बचाने का फैसला किया। उसके बाद सर्जरी से संबंधित उसकी अन्य जांच की गई। हमने यह भी पता लगाने की कोशिश की कि आंत में छेद कैसे हुआ? जांच में पाया गया कि टीबी या टाइफाइड की वजह से ऐसा नहीं हुआ है। इसकी वजह का पता नहीं चल पाया।
कोरोना: गरीबों का पेट भरने के लिए बेच दी जमीन
डॉक्टर ने कहा कि हम सभी ने पीपीई किट्स पहने। पूरी तरह से अपने आप को कवर किया, ताकि अगर संक्रमण हो तो बचा जा सके। रात एक बजे सर्जरी शुरू की गई। सर्जरी के दौरान भी इस बात का खास खयाल रखा गया। इस सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम में 3 डॉक्टर जरनल सर्जरी के थे, 2 एनेस्थीसिया के डॉक्टर के अलावा 5 अन्य स्टाफ थे। सुबह छह बजे सर्जरी पूरी हुई। छेद बंद करने में सफलता मिली। सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। सुबह होते होते मरीज में सुधार हुआ और वह वेंटिलेटर से बाहर आ गया है। अभी बीपी की दवा दी जा रही है। अब उनकी कोरोना की जांच भी होनी है।
रात 10 बजे रहे थे। एम्स की इमरजेंसी में 33 साल का एक मरीज पहुंचा। उनकी आंत में छेद था। साथ में फीवर और कफ भी था। बीपी मेंटेन की दवा दी गई थी। मरीज पूरी तरह से कोविड संदिग्ध की तरह लग रहा था। सर्जरी नहीं करने पर जान जाने का खतरा था। बिना जांच कराए सर्जरी करने पर डॉक्टर को कोरोना होने का खतरा था। कोविड की जांच कराने और रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है। ऐसे में एम्स के डॉक्टरों ने रिस्क कवर करते हुए मरीज की जान बचाने का फैसला किया। 10 डॉक्टरों व टेक्निशियन की टीम ने रात एक बजे सर्जरी शुरू की और सर्जरी को सफल बनाकर मरीज को नई जिंदगी दी और नई मिसाल पेश की।
सर्जरी में शामिल एक डॉक्टर ने बताया कि मरीज वैशाली से आया था। आंत में छेद की वजह से स्टूल पेट में आ रहा था। वह शॉक में था। सर्जरी तुरंत करने की जरूरत थी। लेकिन उनके लक्षण कोविड वाले थे। हमारे पास समय कम था। कोविड का टेस्ट कराने जाते तो उसकी रिपोर्ट आने तक जान जा सकती थी, लेकिन सर्जरी करने हम डॉक्टर जाते तो हमें भी खतरा था। हमने इस रिस्क को उठाते हुए मरीज की जान बचाने का फैसला किया। उसके बाद सर्जरी से संबंधित उसकी अन्य जांच की गई। हमने यह भी पता लगाने की कोशिश की कि आंत में छेद कैसे हुआ? जांच में पाया गया कि टीबी या टाइफाइड की वजह से ऐसा नहीं हुआ है। इसकी वजह का पता नहीं चल पाया।
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डॉक्टर ने कहा कि हम सभी ने पीपीई किट्स पहने। पूरी तरह से अपने आप को कवर किया, ताकि अगर संक्रमण हो तो बचा जा सके। रात एक बजे सर्जरी शुरू की गई। सर्जरी के दौरान भी इस बात का खास खयाल रखा गया। इस सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम में 3 डॉक्टर जरनल सर्जरी के थे, 2 एनेस्थीसिया के डॉक्टर के अलावा 5 अन्य स्टाफ थे। सुबह छह बजे सर्जरी पूरी हुई। छेद बंद करने में सफलता मिली। सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। सुबह होते होते मरीज में सुधार हुआ और वह वेंटिलेटर से बाहर आ गया है। अभी बीपी की दवा दी जा रही है। अब उनकी कोरोना की जांच भी होनी है।