25 फीट तक बड़ी होगी माता की मूर्ति
इस बार ना सिर्फ पूजा भव्य होगी बल्कि महिषासुर का विनाश करती दुर्गा माता की मूर्ति का साइज भी बड़ा होगा। सीआर पार्क में दुर्गा पूजा का आयोजन करने वाली नवपल्ली दुर्गा पूजा समिति के एडिशनल जनरल सेक्रेटरी रविकांत सिंघा कहते हैं, 'इस बार पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह है क्योंकि दो साल बाद दुर्गा माता की पूजा होने जा रही है।’ मूर्ति के साइज पर वह कहते हैं, ‘हमारी मूर्ति का साइज कुल मिलाकर लगभग 15 फीट होगा। इसके बाद वह जब स्टेज पर रखी जाएगी जो कि चार-पांच फीट का होता है, तो उसका साइज लगभग 20 फीट तक हो सकता है।’ काली मंदिर पूजा सोसायटी की मूर्ति की ऊंचाई लगभग 25 फीट तक होगी। प्रदीप गांगुली कहते हैं कि लोगों का उत्साह देखते हुए हमने मूर्ति का साइज बढ़ा दिया है। अब सब मिलाकर हमारी मूर्ति लगभग 25 फीट तक ऊंची होगी।’ मूर्ति के विसर्जन पर लगभग सभी पूजा समितियों का कहना है कि वह अपना प्राइवेट पॉन्ड बनाकर मूर्ति का विसर्जन करेंगे और इसलिए ऑर्गेनिक मूर्ति बनवाई है।
थीम समाज को जोड़ने की
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा बहुत बड़े स्तर पर आयोजित की जाती है और आमतौर पर कुछ ना कुछ नया करती हैं। दिल्ली की पूजाएं भी इसमें पीछे नहीं हैं। आरामबाग पूजा समिति के चेयरमैन अभिजीत बोस बताते हैं कि इस बार वो अपनी पूजा में सुंदरबन से टाइगर विक्टिम को बुलाएंगे। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन में बाघ कई बार इंसानों पर हमले कर देते हैं। इससे कई लोगों की मौत हो जाती है तो वहीं इन हमलों की वजह से कई लोग काम नहीं कर पाते। बकौल अभिजीत बोस, ‘वहां टाइगर विक्टिम की हालत बहुत खराब होती है, इसलिए हम टाइगर विक्टिम के 10 परिवारों को दिल्ली बुला रहे हैं। यहां हम उनकी सेवा करेंगे, उन्हें दिल्ली घुमाएंगे और उन्हें फाइनेंशियल सपोर्ट देंगे। इसके अलावा वहां कुछ आश्रम हैं, हम उन्हें भी कंबल-मच्छरदानी की मदद करेंगे।’ रविकांत सिंघा के मुताबिक, नवपल्ली पूजा समिति की थीम इस बार ब्रह्मांड के पंचतत्वों पर होगी जिसमें अग्नि, जल, आकाश, वायु और धरती शामिल हैं। वह बताते हैं, ‘हमारे पंडाल की डेकोरेशन इसी पर आधारित होगी। हम इसमें पेड़, वायु, धरती सबको दिखाएंगे। इसके अलावा हमारा पूरा पंडाल ऑर्गेनिक तैयार हो रहा है। हम इस साल बुजुर्गों के दर्शन के लिए इलैक्ट्रिक रिक्शा चलाने की योजना भी बना रहे हैं जो उन्हें सिर्फ हमारी पूजा ही नहीं बल्कि इलाके की अन्य पूजा भी घुमाकर लाएगी ताकि उन्हें कम से कम दिक्कत हो। इसके अलावा ढाकी बोरोन (पूजा के दिनों में सुबह बड़े ढोल बजाने वाले) को भी सम्मानित किया जाएगा।’ प्रदीप गांगुली कहते हैं कि दुर्गा पूजा को अब यूनेस्को ने सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दे दिया है तो हम इसे प्रचारित करेंगे ताकि लोग पूजा को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरुक हों।
मगर बजट में करनी पड़ रही कटौती?
भले ही पूजा को लेकर शानदार तैयारियां हो रही हैं लेकिन कुछ आयोजक यह भी बताते हैं कि कोरोना काल के बाद इस बार उन्हें अपने बजट में कटौती करनी पड़ी है। मूर्तिकारों का भी कुछ ऐसा ही कहना है। कोलकाता से कारीगर लाकर मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार गोविंद नाथ कहते हैं, ‘लोगों की जेब में पैसा नहीं है, यही वजह है कि अब उतनी मूर्तियों के ऑर्डर नहीं आए हैं जितने पहले आ जाया करते थे। पहले 35-40 मूर्तियों के ऑर्डर आया करते थे लेकिन इस बार सिर्फ 25 मूर्ति के ऑर्डर ही आए हैं। लोग इस समय 6-7 फीट तक की मूर्ति ज्यादा पसंद कर रहे हैं। कोरोना से पहले वाली स्थिति आने में अभी दो साल का समय लग जाएगा।' एक आयोजक का भी कहना है कि हमारी मूर्ति का साइज घटा है क्योंकि बजट की समस्या थी। ना इस समय बाजार में पैसा है और ना लोगों के पास अब उतना पैसा रह गया है। इस वजह से हमें अपने बजट में कटौती करनी पड़ी।