नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन कर रहे फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स ऑनलाइन ओपनबुक एग्जाम्स देने के लिए तैयार रहें। दिल्ली हाई कोर्ट ने फिर से दोहराया है कि वह न तो दृष्टिहीन और न किसी और स्टूडेंट के लिए इन परीक्षाओं को रद्द करने वाला है। हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी से यह जरूर कहा है कि वह अपने सेकंड राउंड के एग्जाम्स सितंबर की बजाए अगस्त महीने के सेकंड हाफ में कराने पर विचार करे, ताकि जो स्टूडेंट्स 2 जुलाई से शुरू हो रहे एग्जाम्स देने में असमर्थ हों, वे कम से कम सेकंड राउंड में ऐसा कर पाएं।
जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने नैशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड नाम के एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अभी हमें नहीं पता कि स्टूडेंट्स को इसमें क्या दिक्कत पेश आएगी, क्योंकि जिनके फायदे के लिए यह याचिका दायर की गई है, वे हमारे सामने नहीं हैं।
हमें जैसा बताया जा रहा है कि मौजूदा हालात में ऐसे 4 से 5 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही एग्जाम दे पाएंगे, कितनों को टेक्स्ट बुक और सहायक उपकरण मिलने में दिक्कत होगी, कितनों को स्क्राइब्स को लेकर दिक्कतें पेश आएंगी, कितने दिल्ली में है और कितने देश के दूर दराज इलाकों में हैं, जहां से उन्हें इन एग्जाम्स को देने में दिक्कत होगी, नहीं पता।
डीयू में 1 जुलाई से घर बैठे बुक खोलकर एग्जाम!
कोर्ट ने आगे कहा, हमने पिछले आदेश में भी कहा था कि याचिका पर सुनवाई हो रही है, इसीलिए कोई स्टूडेंट यह सोच कर तैयारी करना बंद न कर दे कि एग्जाम कैंसिल या डेफर किए जा सकते हैं। हम फिर से दोहरा रहे हैं कि हम एग्जामिनेशन शेड्यूल में दखल नहीं देंगे, न तो दृष्टिहीन छात्रों के लिए और न किसी दूसरे छात्र के लिए।
हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि डीयू को ऐसे 200 स्टूडेंट्स ने अपनी समस्याओं से जुड़े सवाल भेजे हैं, जिन पर विचार हो रहा है। हाई कोर्ट ने डीयू को निर्देश दिया कि वह इस दौरान सेकंड राउंड के अपने एग्जाम सितंबर की बजाए अगस्त में कराने को लेकर भी सोचे, ताकि जो स्टूडेंट्स 2 जुलाई से शुरू हो रहे एग्जाम दे पाने मे असमर्थ हों, वे अगस्त के सेकंड हाफ में एग्जाम दे सकें। इस पर याची संघ ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि तब तक डीयू और अन्य पक्षों के साथ मिलकर दृष्टिहीन स्टूडेंट्स की काफी मुश्किल हल हो जाएंगी। मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होगी।
जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने नैशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड नाम के एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अभी हमें नहीं पता कि स्टूडेंट्स को इसमें क्या दिक्कत पेश आएगी, क्योंकि जिनके फायदे के लिए यह याचिका दायर की गई है, वे हमारे सामने नहीं हैं।
हमें जैसा बताया जा रहा है कि मौजूदा हालात में ऐसे 4 से 5 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही एग्जाम दे पाएंगे, कितनों को टेक्स्ट बुक और सहायक उपकरण मिलने में दिक्कत होगी, कितनों को स्क्राइब्स को लेकर दिक्कतें पेश आएंगी, कितने दिल्ली में है और कितने देश के दूर दराज इलाकों में हैं, जहां से उन्हें इन एग्जाम्स को देने में दिक्कत होगी, नहीं पता।
डीयू में 1 जुलाई से घर बैठे बुक खोलकर एग्जाम!
कोर्ट ने आगे कहा, हमने पिछले आदेश में भी कहा था कि याचिका पर सुनवाई हो रही है, इसीलिए कोई स्टूडेंट यह सोच कर तैयारी करना बंद न कर दे कि एग्जाम कैंसिल या डेफर किए जा सकते हैं। हम फिर से दोहरा रहे हैं कि हम एग्जामिनेशन शेड्यूल में दखल नहीं देंगे, न तो दृष्टिहीन छात्रों के लिए और न किसी दूसरे छात्र के लिए।
हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि डीयू को ऐसे 200 स्टूडेंट्स ने अपनी समस्याओं से जुड़े सवाल भेजे हैं, जिन पर विचार हो रहा है। हाई कोर्ट ने डीयू को निर्देश दिया कि वह इस दौरान सेकंड राउंड के अपने एग्जाम सितंबर की बजाए अगस्त में कराने को लेकर भी सोचे, ताकि जो स्टूडेंट्स 2 जुलाई से शुरू हो रहे एग्जाम दे पाने मे असमर्थ हों, वे अगस्त के सेकंड हाफ में एग्जाम दे सकें। इस पर याची संघ ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि तब तक डीयू और अन्य पक्षों के साथ मिलकर दृष्टिहीन स्टूडेंट्स की काफी मुश्किल हल हो जाएंगी। मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होगी।