नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में गुरुवार सुबह भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। नैशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 2.8 रही। भूकंप का केंद्र नई दिल्ली से 2.8-8 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था। इससे पहले, 26 जनवरी को साउथ-वेस्ट दिल्ली में झटके महसूस किए गए थे जिनकी तीव्रता 1.9 थी। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में ही 22 जनवरी को भी इतनी ही तीव्रता का भूकंप आया था। पिछले साल आए थे करीब 50 भूकंप
NCS की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक, दिल्ली या उसके 200 किलोमीटर के दायरे में पिछले साल कुल 51 छोटे-मध्यम तीव्रता के भूकंप आए थे। पिछले महीने, क्रिसमस की सुबह भी 2.3 तीव्रता का भूकंप आया था। उससे पहले, 17 दिसंबर को भी दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने झटके महसूस किए थे। तब रिक्टर स्केल तीव्रता 4.2 दिखा रहा था।
NCS कर रहा है खास सर्वे
पिछले साल आए भूकंपों के बाद, NCS ने दिल्ली-एनसीआर में एक भूभौतिकीय सर्वेक्षण शुरू किया है। पृथ्वी की सतह की खामियों का पता लगाने के लिए उपग्रह की तस्वीरों और भूगर्भीय क्षेत्र की जांच का एनालिसिस करेगा। इन दोनों सर्वे के 31 मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है। भूकंप और उनके झटकों के सटीक स्रोतों का पता लगाने के लिए 11 अस्थायी अतिरिक्त स्टेशनों को तैनात किया गया है। इन स्टेशनों से डेटा लगभग रियलटाइम में हासित होता है।
बड़े भूकंप की वजह बन सकते हैं ये झटकेदिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से संवदेनशील जोन 4 में आता है। 2014 में NCS ने दिल्ली-एनसीआर की माइक्रो जोन स्टडी की थी। इसके मुताबिक राजधानी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा जोन-5 में है, जो भूकंप को लेकर सबसे अधिक संवेदनशील है। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. के सेन ने पिछले साल कहा था कि 'एनसीआर क्षेत्र मे लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं, जो राजधानी में बड़े भूकंप की वजह बन सकते हैं।'
राजधानी दिल्ली में गुरुवार सुबह भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। नैशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 2.8 रही। भूकंप का केंद्र नई दिल्ली से 2.8-8 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था। इससे पहले, 26 जनवरी को साउथ-वेस्ट दिल्ली में झटके महसूस किए गए थे जिनकी तीव्रता 1.9 थी। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में ही 22 जनवरी को भी इतनी ही तीव्रता का भूकंप आया था।
NCS की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक, दिल्ली या उसके 200 किलोमीटर के दायरे में पिछले साल कुल 51 छोटे-मध्यम तीव्रता के भूकंप आए थे। पिछले महीने, क्रिसमस की सुबह भी 2.3 तीव्रता का भूकंप आया था। उससे पहले, 17 दिसंबर को भी दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने झटके महसूस किए थे। तब रिक्टर स्केल तीव्रता 4.2 दिखा रहा था।
NCS कर रहा है खास सर्वे
पिछले साल आए भूकंपों के बाद, NCS ने दिल्ली-एनसीआर में एक भूभौतिकीय सर्वेक्षण शुरू किया है। पृथ्वी की सतह की खामियों का पता लगाने के लिए उपग्रह की तस्वीरों और भूगर्भीय क्षेत्र की जांच का एनालिसिस करेगा। इन दोनों सर्वे के 31 मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है। भूकंप और उनके झटकों के सटीक स्रोतों का पता लगाने के लिए 11 अस्थायी अतिरिक्त स्टेशनों को तैनात किया गया है। इन स्टेशनों से डेटा लगभग रियलटाइम में हासित होता है।
बड़े भूकंप की वजह बन सकते हैं ये झटकेदिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से संवदेनशील जोन 4 में आता है। 2014 में NCS ने दिल्ली-एनसीआर की माइक्रो जोन स्टडी की थी। इसके मुताबिक राजधानी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा जोन-5 में है, जो भूकंप को लेकर सबसे अधिक संवेदनशील है। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. के सेन ने पिछले साल कहा था कि 'एनसीआर क्षेत्र मे लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं, जो राजधानी में बड़े भूकंप की वजह बन सकते हैं।'