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बाइक्स से आग बुझाने का फंडा, पड़ गया 'ठंडा'

फायर डिपार्टमेंट ने मॉडिफाइ कराई थीं 10 बाइक्स, क्षमता के कारण 'पिटीं'

नवभारत टाइम्स 9 Jun 2018, 4:07 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम bikes

फायर डिपार्टमेंट को आग बुझाने में सबसे ज्यादा मशक्कत पुरानी दिल्ली समेत उन इलाकों में करनी पड़ती है, जहां संकरी गलियां हैं। इसके चलते कुछ साल पहले डिपार्टमेंट ने 10 बाइक्स को मोडिफाइ करवाया था। इन पर 9-9 लीटर के पानी के दो छोटे टैंक फिट करवाए गए थे, ताकि संकरी गलियों वाले इलाकों में शुरुआती मदद फौरन पहुंचाई जा सके। लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं मिल पाया। अब इन बाइक्स का इस्तेमाल न के बराबर हो रहा है।

बाइक्स को कनॉट प्लेस, तेलीवाड़ा और दरियागंज समेत पुरानी दिल्ली की कुछ जगहों पर तैनात किया गया था। यहां के ज्यादातर एरिया में फायर की गाड़ियों को ले जाने में दिक्कत होती है। संकरी गलियों के अलावा जाम में बड़ी गाड़ियां फंस जाती हैं। इसीलिए बाइक्स को उतारा गया था। बाद में सामने आया कि बाइक्स जहां भी भेजी जाती थीं, पहुंचने के चंद मिनटों में उनके टैंक का पानी खत्म हो जाता था। दमकल कर्मचारियों को लौटना पड़ता था और नजदीक से पानी टैंक में भरना होता था। आग बुझाने की यह टेक्निक प्रभावी नहीं रही।

कई बार यह भी देखने में आया कि पानी खत्म होने के बाद आग और भड़क गई। इससे स्थानीय लोग नाराज हो गए। उन्होंने दमकल कर्मचारियों पर अपना गुस्सा निकाला। इसी वजह से दकमल कर्मी भी आग की कॉल आने पर इन बाइक्स को ले जाने में हिचकिचाते हैं। हालांकि अब भी जहां जरूरत होती है या आग की छोटी घटना होती है, इन बाइकों को भेजा जाता है।

प्रयोग तो नया था, लेकिन एक कमी रह गई
इन बाइक्स का कोई खास फायदा आग बुझाने में नहीं मिला। अधिकारियों का कहना है कि जिस समय ये बाइक्स खरीदी गई थीं, उस वक्त यह एक नया प्रयोग था। क्योंकि गलियों में इन्हें ले जाना आसान होता है और आग की छोटी-मोटी घटनाओं के दौरान तुरंत मौके पर पहुंचा जा सकता है। दिक्कत क्षमता से आई। पानी या फोम ले जाने की कम क्षमता और कम समय के लिए ही इस्तेमाल हो पाने के कारण यह बाइक्स कारगर नहीं हुईं।

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