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पैसे की कमी के कारण दुर्लभ बीमारियों से बच्चे मर रहे हैं...सरकार के पास में फंड पड़ा हुआ है, कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार का हलफनामा इस बात का भी पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं देता है कि दवाओं और दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए शुरू किए गए ‘डिजिटल क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म’ पर याचिकाकर्ता बच्चों के नाम आज तक शामिल क्यों नहीं किए गए।

Edited byVineet Tripathi | भाषा 7 Dec 2021, 11:47 pm
नयी दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम delhi-high-court-agencies

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बच्चों के लिए दुर्लभ रोग कोष में अप्रयुक्त 193 करोड़ रुपये पड़े होने को लेकर केंद्र ने कोई पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं दिया है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि धन उपलब्ध होने के बावजूद वह ऐसी बीमारियों से बच्चों को मरने नहीं देगी। उच्च न्यायालय ने पूरी बात का मजाक बनाने के लिए अधिकारियों की खिंचाई की और कहा कि यह अजीब है कि आवंटित धन उपलब्ध है लेकिन दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों पर खर्च नहीं किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि केन्द्र की ओर से दायर हलफनामा पिछले तीन वर्षों में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों पर अव्ययित राशि का इस्तेमाल न करने का कोई कारण या पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं देता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार का हलफनामा इस बात का भी पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं देता है कि दवाओं और दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए शुरू किए गए ‘डिजिटल क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म’ पर याचिकाकर्ता बच्चों के नाम आज तक शामिल क्यों नहीं किए गए।

इसने अधिवक्ता को सरकार से इसपर निर्देश लेने के लिए कहा कि क्या याचिकाकर्ता बच्चों का इलाज करना संभव है और खर्च को फिर ‘क्राउड फंडिंग’ के माध्यम से एकत्र की गई राशि में समायोजित किया जा सकता है। अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा को इस मुद्दे पर निर्देश लेने के लिए समय दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 14 दिसंबर को सूचीबद्ध किया।

न्यायाधीश ने कहा, “यह क्या है? पैसे की कमी के कारण बच्चे मर रहे हैं... उस कोष का क्या जो यहां की सरकार के पास उपलब्ध है। धन उपलब्ध होने के बावजूद मैं इन बच्चों को मरने नहीं दूंगा। जब धन है तो दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों को क्यों न मिले? अदालत दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
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Vineet Tripathi

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