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प्राइवेट अस्पतालों के लिए आएगा कड़ा कानून

ज्यादा सख्तीअस्तपालों की मनमानी और लूट रोकने के लिए फैसलाअगले 2 महीने में इस एक्ट को लागू कर दिया जाएगालूट और लापरवाही को स्वीकार नहीं कर सकते : ...

Navbharat Times 14 Dec 2017, 8:00 am

ज्यादा सख्ती

अस्तपालों की मनमानी और लूट रोकने के लिए फैसला

अगले 2 महीने में इस एक्ट को लागू कर दिया जाएगा

लूट और लापरवाही को स्वीकार नहीं कर सकते : जैन

प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली

प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को रेगुलेट करने के लिए दिल्ली सरकार ने भी क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट को अपनाने का फैसला किया है। अस्तपालों की मनमानी पर कंट्रोल करने और मरीजों के साथ हो रही लूट को खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार ने इस एक्ट को लागू करने का फैसला किया है। सरकार इसे दिल्ली हेल्थ एक्ट के रूप में लाएगी। हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने बुधवार को कहा कि इस पर काम शुरू कर दिया गया है। अगले 2 महीने में इस एक्ट को लागू कर दिया जाएगा।

पिछले दिनों फोर्टिस और मैक्स हॉस्पिटल पर लगे इलाज में लापरवाही के आरोपों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी कहा था कि राज्यों सरकारों को क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 को अपनाना और लागू करना चाहिए। फिलहाल 10 राज्य इस कानून को अपना चुके हैं।

इसी को देखते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि हम इस पर पिछले डेढ़ साल से काम कर रहे हैं, हम दिल्ली हेल्थ एक्ट लेकर आएंगे। इस पर काम चल रहा है, अगले 2 महीने में इस कानून लेकर आएंगे। मंत्री ने कहा कि सरकार किसी भी सूरत में मरीजों के साथ हो रही लूट और लापरवाही को स्वीकार कर नहीं कर सकती। इसलिए हम इस एक्ट को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं।

कानून के प्रावधान

हॉस्पिटल के लिए 3 लेवल बनाए गए हैं। पहले लेवल पर प्राइमरी हेल्थकेयर, दूसरे में सर्जरी और एनेस्थीसिया, तीसरे लेवल पर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सुविधाएं और चौथे लेवल पर इंस्टिट्यूशनल टीचिंग और ट्रेनिंग को शामिल किया गया है।

हर मरीज का प्रिस्क्रिप्शन 3 से 5 साल तक डॉक्टर को अपने पास रखना होगा। सभी रिकॉर्ड कंप्यूटराइज्ड रखने होंगे।

मरीजों को खुद रिकॉर्ड रखने की जरूरत नहीं होगी। यह जिम्मेदारी डॉक्टर या अस्पताल की होगी।

अस्पतालों को इलाज के लिए क्वॉलिटी बनाए रखनी होगी। मरीजों की बीमारी के बारे में पूरी जानकारी परिजनों को देनी होगी।

क्वॉलिफाइड डॉक्टर, नर्सें और पैरामेडिकल स्टाफ होना चाहिए। सिर्फ पर्दे डालकर आईसीयू नहीं बनाया जा सकेगा।

कलेक्टर नोडल अधिकारी होगा।

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