नई दिल्ली
एक कपल ने करीब 10 साल पहले भारत में शादी के सात फेरे लिए और एक दशक बाद विदेश में उनका यह संबंध टूटने जा रहा है। पति-पत्नी के बीच समझौते के आधार पर अदालत ने उनके बीच तलाक की मंजूरी दे दी है, जो अमेरिका में होगा। ऐसा इसीलिए क्योंकि महिला का पति सालों से वहीं रहता है। अदालत ने पत्नी की घरेलू हिंसा कानून के तहत दायर अर्जी का निपटारा करते हुए यह आदेश सुनाया।
कोर्ट ने पाया कि पति-पत्नी के बीच संबंध इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि उनके दोबारा से साथ रहने की कोई संभावना नहीं है। महिला की ओर से एडवोकेट मनीष भदौरिया ने यह केस दायर किया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनकी क्लाइंट ने रमेश सिंह (बदला हुआ नाम) के साथ साल 2009 में यहां शादी की थी। शादी के एक साल बाद ही उनके यहां एक बेटा पैदा हुआ।
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शादी के बाद कुछ समय तक दंपति अमेरिका में एक साथ रहे, लेकिन आपसी मतभेदों के चलते महिला बच्चे के साथ यहां वापस चली आईं। उन्होंने अपने पति और उसके घरवालों के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस भी दायर किया। दोनों साल 2014 से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं। वर्तमान में महिला अपने बेटे के साथ अपनी मां के घर में रह रही हैं।
अदालत ने मामले में समझौते के लिए इसे मिडिएशन के पास भेजा था। इस बीच पति एक बार भी भारत नहीं आया। समझौते का पूरा अधिकार अपनी बहन को दे दिया। कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों के बीच 45 लाख रुपये में समझौता हुआ है। इसमें से 15 लाख रुपये ही महिला के लिए होंगे। बाकी के 30 लाख बच्चे के लिए हैं जो उसके बालिग होने पर उसे मिलेंगे। तब तक पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी उसके एनआरआई पिता ने ली है।
महिला ने वादा किया है कि वह इस समझौते के बाद अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज कराए गए अपने केस वापस ले लेगी। पति यहां आने में असमर्थ है, इसीलिए अदालत ने उसे अमेरिका में ही दो महीने के भीतर तलाक के लिए आवेदन देने की इजाजत दे दी है। महिला को सिर्फ उस आवेदन पर नो ऑब्जेक्शन लिखकर देना है।
एक कपल ने करीब 10 साल पहले भारत में शादी के सात फेरे लिए और एक दशक बाद विदेश में उनका यह संबंध टूटने जा रहा है। पति-पत्नी के बीच समझौते के आधार पर अदालत ने उनके बीच तलाक की मंजूरी दे दी है, जो अमेरिका में होगा। ऐसा इसीलिए क्योंकि महिला का पति सालों से वहीं रहता है। अदालत ने पत्नी की घरेलू हिंसा कानून के तहत दायर अर्जी का निपटारा करते हुए यह आदेश सुनाया।
कोर्ट ने पाया कि पति-पत्नी के बीच संबंध इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि उनके दोबारा से साथ रहने की कोई संभावना नहीं है। महिला की ओर से एडवोकेट मनीष भदौरिया ने यह केस दायर किया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनकी क्लाइंट ने रमेश सिंह (बदला हुआ नाम) के साथ साल 2009 में यहां शादी की थी। शादी के एक साल बाद ही उनके यहां एक बेटा पैदा हुआ।
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शादी के बाद कुछ समय तक दंपति अमेरिका में एक साथ रहे, लेकिन आपसी मतभेदों के चलते महिला बच्चे के साथ यहां वापस चली आईं। उन्होंने अपने पति और उसके घरवालों के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस भी दायर किया। दोनों साल 2014 से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं। वर्तमान में महिला अपने बेटे के साथ अपनी मां के घर में रह रही हैं।
अदालत ने मामले में समझौते के लिए इसे मिडिएशन के पास भेजा था। इस बीच पति एक बार भी भारत नहीं आया। समझौते का पूरा अधिकार अपनी बहन को दे दिया। कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों के बीच 45 लाख रुपये में समझौता हुआ है। इसमें से 15 लाख रुपये ही महिला के लिए होंगे। बाकी के 30 लाख बच्चे के लिए हैं जो उसके बालिग होने पर उसे मिलेंगे। तब तक पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी उसके एनआरआई पिता ने ली है।
महिला ने वादा किया है कि वह इस समझौते के बाद अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज कराए गए अपने केस वापस ले लेगी। पति यहां आने में असमर्थ है, इसीलिए अदालत ने उसे अमेरिका में ही दो महीने के भीतर तलाक के लिए आवेदन देने की इजाजत दे दी है। महिला को सिर्फ उस आवेदन पर नो ऑब्जेक्शन लिखकर देना है।