विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
7 साल बाद समाजसेवी अन्ना हजारे एक बार फिर दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला में अनशन पर बैठ गए हैं। वह किसानों के मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। अन्ना ने पहले ही दिन यह साफ कर दिया कि आम आदमी पार्टी समेत किसी भी राजनीतिक दल के नेता, सदस्य, कार्यकर्ता या समर्थक उनके आंदोलन के मंच पर नहीं आ सकते।
बताया जा रहा है कि इस सत्याग्रह के आयोजन के लिए बनाई गई 26 सदस्यों कोर कमिटी के प्रत्येक सदस्य से 100 रुपये के स्टांप पेपर पर यह लिखकर साइन करवाए गए हैं कि वे किसी भी राजनीतिक स्वार्थ के चलते इस आंदोलन से नहीं जुड़ रहे हैं। आजीवन न तो खुद कोई पार्टी बनाएंगे और न ही किसी राजनीतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। बताया जा रहा है कि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए दूसरे राज्यों में बनाई गई कमिटियों के भी साढ़े 6 हजार से ज्यादा सदस्यों ने इसी तरह का हलफनामा अन्ना को भेजा है। आंदोलन में शामिल हो रहे किसान के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है।
शुक्रवार से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने से पहले अन्ना सुबह 9 बजे राजघाट गए और बापू को श्रद्धांजलि दी। वह करीब आधा घंटा रुके। इस दौरान उनके कुछ समर्थक भी मौजूद थे। वहां से अन्ना शहीदी पार्क गए और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वह गाड़ी से रामलीला मैदान पहुंचे।
रामलीला मैदान में जो पक्का मंच है, उस पर सिर्फ अन्ना बैठे। उसके नीचे कम हाइट का एक और मंच बनाया गया है, जिस पर किसानों के प्रतिनिधियों और आयोजकों के बैठने की व्यवस्था की गई है। मंच के बैकग्राउंड में जो बैनर लगाया गया है, उस पर सिर्फ गांधी जी तस्वीर है। इस आंदोलन को अन्ना ने 'जन आंदोलन सत्याग्रह' नाम दिया है। बैनर पर सक्षम किसान, सशक्त लोकपाल और चुनाव सुधार जैसी तीन प्रमुख मांगें भी लिखी हुई हैं। भारतीय किसान यूनियन समेत देश के कई दूसरे किसान संगठनों ने अन्ना के इस आंदोलन को समर्थन दिया है। अन्ना का अनशन कब तक चलेगा, यह अभी साफ नहीं है।
रामलीला मैदान में माहौल जनलोकपाल आंदोलन के समय जैसा नहीं है। फिर भी देश के कई हिस्सों से 5 हजार से ज्यादा किसान पहले दिन रामलीला मैदान पहुंच चुके हैं। इनमें सबसे बड़ी तादाद महाराष्ट्र के किसानों की थी। साथ ही पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और उड़ीसा से भी किसान आए हैं। नोएडा के होम बायर्स भी मौजूद थे।
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'सरकार ने नहीं की पानी की व्यवस्था'
आंदोलन की समन्वय समिति के सदस्य और मीडिया प्रभारी जयकांत मिश्रा ने बताया कि आयोजन स्थल पर पीने के पानी और टॉइलट की व्यवस्था करने के लिए दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी और एमसीडी कमिश्नर को चिट्ठी लिखी गई थी, लेकिन सरकार और एमसीडी ने कोई व्यवस्था नहीं की। कुछ लोगों ने पैसे इकट्ठा करके कुछ मोबाइल टॉइलट्स और पीने के पानी की व्यवस्था की। खाने की व्यवस्था के लिए अन्ना रसोई लगाई गई है, जिसमें रोज करीब 8 हजार लोगों का खाना बनेगा।