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Delhi Metro: 'चोरी या गुम होने पर मेट्रो स्मार्ट कार्ड को भी ब्लॉक कराने की हो सुविधा'

मेट्रो स्मार्ट कार्ड के लिए खरीदने वाले का नाम, पता, फोन नंबर, आधार कार्ड नंबर, वोटर आईडी नंबर, बायोमैट्रिक्स जैसी कोई डीटेल नहीं ली जाती है। इसी वजह से फिलहाल ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे कार्ड के कार्डधारक की पहचान स्थापित की जा सके।

नवभारत टाइम्स 13 Feb 2021, 12:00 pm
विस, नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम Metro smart card

इस समय दिल्ली मेट्रो में टोकन से यात्रा का सिस्टम पूरी तरह बंद है। यात्री केवल मेट्रो के स्मार्ट कार्ड के जरिए ही यात्रा कर सकते हैं। इससे पहले जब टोकन सिस्टम जारी था, तब भी 80 पर्सेंट से ज्यादा यात्री स्मार्ट कार्ड के जरिए ही यात्रा करते थे। मेट्रो में यात्रा करते वक्त अक्सर यात्रियों के पर्स/वॉलेट आदि खो जाते हैं या चोरी हो जाते हैं। ऐसे में लोग फोन करके अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड को तो फौरन ब्लॉक करवा देते हैं, लेकिन मेट्रो के स्मार्ट कार्ड के मामले में ऐसा नहीं होता। कार्ड गुम या चोरी हो जाने के साथ ही उसमें जमा रकम भी चली जाती है और यात्री को कोई रीफंड या छूट नहीं मिलती है। सबसे ज्यादा नुकसान रोजमर्रा की जिंदगी में मेट्रो में सफर करने वाले लोगों को उठाना पड़ता है, क्योंकि ये लोग बार-बार कार्ड रिचार्ज कराने की बजाय एक बार में 500 से लेकर 3000 रुपए तक डलवा लेते हैं। ऐसे में अगर किसी का कार्ड रिचार्ज कराने के तुरंत बाद कहीं खो जाए या चोरी हो जाए, तो उसे उतनी ही बड़ी चपत लगती है। अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के मामले में अव्वल रहने के बावजूद डीएमआरसी अभी तक इस समस्या का समाधान निकाल कर ऐसा कोई सिस्टम डिवेलप नहीं कर पाई है, जिससे यात्रियों को कार्ड खो जाने पर उसमें बकाया रकम वापस मिल सके।

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इसी को ध्यान में रखते हुए एक स्वयंसेवी संस्था ने डीएमआरसी को पत्र लिखकर मांग की है कि ऐसा कोई सिस्टम डिवेलप किया जाए, जिससे यात्रियों के कार्ड गुम हो जाने पर भी उन्हें आर्थिक नुकसान न झेलना पड़े। समयपुर बादली के रहने वाले और जनहित प्रयास समिति के महासचिव हितेश शर्मा ने बुधवार को इस संबंध में डीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. मंगू सिंह को एक चिट्ठी लिखी है और उसकी प्रति पीएम, सीएम, एलजी, स्थानीय सांसद, विधायक और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को भी भेजी है। पत्र के जरिए मांग की है कि मेट्रो के स्मार्ट कार्ड के चोरी या गुम हो जाने पर एटीएम या क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर उसे ब्लॉक करने और उसमें जमा राशि को नए कार्ड में ट्रांसफर करने की सुविधा दी जाए, ताकि यात्रियों को आर्थिक नुकसान न झेलना पड़े।

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उन्होंने लिखा है कि आज दिल्ली में मेट्रो का चौथे फेज का काम चल रहा है। रोज 40 लाख से ज्यादा लोग मेट्रो यात्रा करते हैं और उनमें से करीब 30 लाख लोग स्मार्ट के जरिए यात्रा करते हैं। मेट्रो में लगातार आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। टोकन से लेकर एएफसी गेट तक में कई बदलाव किए हैं और अब तो वन नेशन, वन कार्ड योजना के तहत कॉमन मोबिलिटी कार्ड भी लागू होने वाला है। ऐसे में स्मार्ट कार्ड के पुराने सिस्टम को अपग्रेड करना भी बेहद जरूरी है, ताकि अगर कार्ड गुम हो जाए या चोरी हो जाए, तो उसे भी एटीएम की तर्ज पर ब्लॉक किया जा सके और यात्री का जमा पैसा जाया ना हो। हितेश शर्मा ने डीएमआरसी से इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करने का अनुरोध किया है।

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वहीं, मेट्रो प्रवक्ता का कहना है कि स्मार्ट कार्ड बेचते वक्त उसे खरीदने वाले का नाम, पता, फोन नंबर, आधार कार्ड नंबर, वोटर आईडी नंबर, बायोमैट्रिक्स जैसी कोई डीटेल नहीं ली जाती है। मेट्रो का स्मार्ट कार्ड ट्रांसफरेबल होता है और किसी के भी कार्ड का कोई भी इस्तेमाल कर सकता है। इसी वजह से फिलहाल ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे कार्ड के धारक की पहचान स्थापित की जा सके। इसी वजह से मेट्रो कार्ड रीफेंडबल नहीं होता है। गौरतलब है कि डीएमआरसी रोज करीब 22 हजार नए स्मार्ट कार्ड बेचती है और 80 लाख से ज्यादा स्मार्ट कार्ड चलन में हैं।

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