नई दिल्ली
मैं गुरु नानक हॉस्पिटल के पास झुग्गियों में रहती हूं। आज सुबह अपनी एक महिला रिश्तेदार को गिरधारी लाल अस्पताल में डिलिवरी के लिए लेकर आई थी। बड़ी कोशिशों के बाद किसी तरह उनको भर्ती कराया, लेकिन बेड पर उन्हें कोई दवाई देने वाला नहीं है। दर्द से उनका हाल बेहाल है। पूरे वॉर्ड में एक भी नर्स नहीं है। यह कहना है गुड्डी देवी का। कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल और हिंदुराव अस्पताल के मैटरनिटी सेंटर में भी यही हाल है। मरीज दूर -दूर से आ रहे हैं, लेकिन उन्हें परेशान होकर वापस लौटना पड़ रहा है।
सीलमपुर की रहने वाली नाजिया का कहना है कि वह अपनी बहन को दिखाने के लिए कस्तूरबा गांधी अस्पताल आईं थीं। डॉक्टर ने देखने के बाद कुछ दवाइयां लिख दीं और एक इंजेक्शन भी लगाने के लिए कहा। लेकिन, नर्सों की हड़ताल के चलते कोई यहां इंजेक्शन लगाने को तैयार नहीं है। बाहर धरने पर बैठी नर्सों से उन्होंने इंजेक्शन लगाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया। नर्सों के हड़ताल के चलते सभी अस्पतालों में यही हाल है। वॉर्डों में जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें देखने वाला कोई नहीं है।
नॉर्थ एमसीडी के मैटरनिटी हॉस्पिटल में गिरधारी लाल और कस्तूरबा गांधी बड़े अस्पतालों में से एक हैं। गिरधारी लाल हॉस्पिटल में 100 और कस्तूरबा गांधी में करीब 450 बेड्स की सुविधा है। गिरधारी लाल अस्पताल में रोजाना करीब 8 - 10 डिलिवरी केस और 3 - 4 सिजेरियन केस आते हैं। इसी तरह से हिंदुराव में 20 - 25 डिलिवरी केस और करीब 10 सिजेरियन डिलिवरी केस आते हैं। कस्तूरबा गांधी में रोजाना 30 - 35 ऐसे केस आते हैं। लेकिन, पिछले दो दिनों से नर्सों के हड़ताल के चलते इन अस्पतालों में महिलाओं को परेशानी हो रही है। हिंदुराव अस्पताल में अलग-अलग डिपार्टमेंट ओपीडी मे आने वाले मरीज भी काफी परेशान हैं।
मैं गुरु नानक हॉस्पिटल के पास झुग्गियों में रहती हूं। आज सुबह अपनी एक महिला रिश्तेदार को गिरधारी लाल अस्पताल में डिलिवरी के लिए लेकर आई थी। बड़ी कोशिशों के बाद किसी तरह उनको भर्ती कराया, लेकिन बेड पर उन्हें कोई दवाई देने वाला नहीं है। दर्द से उनका हाल बेहाल है। पूरे वॉर्ड में एक भी नर्स नहीं है। यह कहना है गुड्डी देवी का। कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल और हिंदुराव अस्पताल के मैटरनिटी सेंटर में भी यही हाल है। मरीज दूर -दूर से आ रहे हैं, लेकिन उन्हें परेशान होकर वापस लौटना पड़ रहा है।
सीलमपुर की रहने वाली नाजिया का कहना है कि वह अपनी बहन को दिखाने के लिए कस्तूरबा गांधी अस्पताल आईं थीं। डॉक्टर ने देखने के बाद कुछ दवाइयां लिख दीं और एक इंजेक्शन भी लगाने के लिए कहा। लेकिन, नर्सों की हड़ताल के चलते कोई यहां इंजेक्शन लगाने को तैयार नहीं है। बाहर धरने पर बैठी नर्सों से उन्होंने इंजेक्शन लगाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया। नर्सों के हड़ताल के चलते सभी अस्पतालों में यही हाल है। वॉर्डों में जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें देखने वाला कोई नहीं है।
नॉर्थ एमसीडी के मैटरनिटी हॉस्पिटल में गिरधारी लाल और कस्तूरबा गांधी बड़े अस्पतालों में से एक हैं। गिरधारी लाल हॉस्पिटल में 100 और कस्तूरबा गांधी में करीब 450 बेड्स की सुविधा है। गिरधारी लाल अस्पताल में रोजाना करीब 8 - 10 डिलिवरी केस और 3 - 4 सिजेरियन केस आते हैं। इसी तरह से हिंदुराव में 20 - 25 डिलिवरी केस और करीब 10 सिजेरियन डिलिवरी केस आते हैं। कस्तूरबा गांधी में रोजाना 30 - 35 ऐसे केस आते हैं। लेकिन, पिछले दो दिनों से नर्सों के हड़ताल के चलते इन अस्पतालों में महिलाओं को परेशानी हो रही है। हिंदुराव अस्पताल में अलग-अलग डिपार्टमेंट ओपीडी मे आने वाले मरीज भी काफी परेशान हैं।