नई दिल्ली
दिल्ली में सीलिंग के मामले में मास्टर प्लान में बदलाव के लिए एडहॉक फैसले लेने पर संसद की स्थायी समिति ने नाराजगी जताई है। समिति ने कहा है कि दिल्ली के लिए बनने वाले मास्टर प्लान को व्यावहारिक तौर पर लागू करने की बजाय कागजी कार्यवाही बनाकर रख दिया है। समिति ने यह भी कहा है कि दिल्ली में सीलिंग की वजह सरकारी महकमों के बीच ही कोऑर्डिनेशन न होने का नतीजा है।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय से जुड़ी स्टैंडिंग कमिटी की यह रिपोर्ट समिति की सदस्य मीनाक्षी लेखी ने सोमवार को लोकसभा में पेश की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन एजेंसियों की जिम्मेदारी मास्टर प्लान लागू करने की थी, उनमें ही आपसी तालमेल नहीं है। जिसकी वजह से सीलिंग की नौबत आयी। समिति ने यह भी कहा है कि दिल्ली को विश्वस्तरी शहर बनाने के मकसद से मास्टर प्लान 2021 बनाया गया था लेकिन सरकारी एजेंसियां इस प्लान से लोगों को जोड़ने में नाकाम रही है।
कमिटी ने यह भी कहा है कि 1962 से ही मास्टर प्लान बनाने और उसे लागू करने में कहीं कोई संतुलन नहीं था। लेकिन कुछ कमर्शल एरिया में सीलिंग पर अब मास्टर प्लान मे संशोधन किए गए हैं। समिति का कहना है कि सरकारी एजेंसियां जिस तरह से इस मामले में एडहॉक फैसले लेती आ रही हैं, वही दिल्ली के डेवलपमेंट में एक बड़ी अड़चन बना है। इसी का ही नतीजा है कि दिल्ली में अव्यवस्था की स्थिति है।
समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि मास्टर प्लान चाहे 2021 का हो या फिर 2045 का है, लेकिन यह व्यावहारिक होना चाहिए ताकि उस पर अमल किया जा सके। इसमें न सिर्फ शहर के परिवेश और आबादी का ध्यान रखा जाए बल्कि इसमें लोगों की राय को भी शामिल करने वाला होना चाहिए। कमिटी ने यह भी कहा है कि दिल्ली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच तालमेल होना चाहिए।
दिल्ली में सीलिंग के मामले में मास्टर प्लान में बदलाव के लिए एडहॉक फैसले लेने पर संसद की स्थायी समिति ने नाराजगी जताई है। समिति ने कहा है कि दिल्ली के लिए बनने वाले मास्टर प्लान को व्यावहारिक तौर पर लागू करने की बजाय कागजी कार्यवाही बनाकर रख दिया है। समिति ने यह भी कहा है कि दिल्ली में सीलिंग की वजह सरकारी महकमों के बीच ही कोऑर्डिनेशन न होने का नतीजा है।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय से जुड़ी स्टैंडिंग कमिटी की यह रिपोर्ट समिति की सदस्य मीनाक्षी लेखी ने सोमवार को लोकसभा में पेश की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन एजेंसियों की जिम्मेदारी मास्टर प्लान लागू करने की थी, उनमें ही आपसी तालमेल नहीं है। जिसकी वजह से सीलिंग की नौबत आयी। समिति ने यह भी कहा है कि दिल्ली को विश्वस्तरी शहर बनाने के मकसद से मास्टर प्लान 2021 बनाया गया था लेकिन सरकारी एजेंसियां इस प्लान से लोगों को जोड़ने में नाकाम रही है।
कमिटी ने यह भी कहा है कि 1962 से ही मास्टर प्लान बनाने और उसे लागू करने में कहीं कोई संतुलन नहीं था। लेकिन कुछ कमर्शल एरिया में सीलिंग पर अब मास्टर प्लान मे संशोधन किए गए हैं। समिति का कहना है कि सरकारी एजेंसियां जिस तरह से इस मामले में एडहॉक फैसले लेती आ रही हैं, वही दिल्ली के डेवलपमेंट में एक बड़ी अड़चन बना है। इसी का ही नतीजा है कि दिल्ली में अव्यवस्था की स्थिति है।
समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि मास्टर प्लान चाहे 2021 का हो या फिर 2045 का है, लेकिन यह व्यावहारिक होना चाहिए ताकि उस पर अमल किया जा सके। इसमें न सिर्फ शहर के परिवेश और आबादी का ध्यान रखा जाए बल्कि इसमें लोगों की राय को भी शामिल करने वाला होना चाहिए। कमिटी ने यह भी कहा है कि दिल्ली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच तालमेल होना चाहिए।