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Queen Elizabeth II: यादगार बन गई थी महारानी की वह पहली भारत यात्रा, दिल्ली के रामलीला मैदान में दिया था भाषण

क्वीन एलिजाबेथ के निधन से पूरी दुनिया में शोक पसरा है। हर कोई उन्हें अपने तरीके से याद कर रहा है। बता दें कि क्वीन का दिल्ली से खास रिश्ता रहा है। वह पहली बार भारत आईं तो दिल्ली के रामलीला मैदान में उन्होंने भाषण दिया था।

Authored byविवेक शुक्ला | Edited byसरोज सिंह | नवभारत टाइम्स 10 Sep 2022, 12:14 pm
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु से सच में एक युग का अंत का अंत हो गया। यह सचाई है। दुनियाभर की कई पीढ़ियों ने उन्हें ब्रिटेन की महारानी के रूप में देखा। सबने उनके प्रति एक आदर का भाव रखा। महारानी एलिजाबेथ पहली बार अपने पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप के साथ सन् 1961 में भारत आईं थीं। उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने निमंत्रण दिया था। उस यात्रा के समय उनके सम्मान में ऐतिहासिक रामलीला मैदान में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। प्रिंस फिलिप दो साल पहले 1959 में भी दिल्ली आए थे। उन्होंने तब आईआईटी दिल्ली की आधारशिला रखी थी।
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Queen Elizabeth II: यादगार बन गई थी महारानी की वह पहली भारत यात्रा, दिल्ली के रामलीला मैदान में दिया था भाषण


रामलीला मैदान में भाषण

महारानी एलिजाबेथ के पहले भारत दौरे का पहला महत्वपूर्ण कार्यक्रम 21 जनवरी, 1961 को रामलीला मैदान में हुआ था। उस दिन राजधानी में कड़ाके की सर्दी थी। इसके बावजूद बड़ी तादाद में लोग रामलीला मैदान आए थे। यूपी और पंजाब के ग्रामीण इलाकों से भी हजारों लोग महारानी का भाषण सुनने आए थे। तब हरियाणा देश के मानचित्र में नहीं था। महारानी के कार्यक्रम के लिए ही तब रामलीला मैदान में एक स्थायी चबूतरे का निर्माण हुआ था। उनके अंग्रेजी में दिए जा रहे भाषण का हिंदी में अनुवाद हुआ था। कार्यक्रम समाप्ति के बाद वह लोगों से मिलीं थीं। उस दौर में राजा और प्रजा के बीच बहुत दूरियां नहीं होती थीं। सुरक्षा के नाम पर जनता को धक्के भी नहीं खाने पड़ते थे।

​गणतंत्र दिवस परेड में

महारानी उस दौरे के दौरान गणतंत्र दिवस परेड और फिर बीटिंग रीट्रिट में भी शामिल हुईं। प्रधानमंत्री नेहरू ने सेना मुख्यालय में मिलिट्री म्यूजिक विभाग के प्रमुख जीए रॉबर्ट्स को निर्देश दिए थे कि वे महारानी भव्य बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की तैयारी करें। रॉबर्ट्स ने भी पंडित नेहरू को निराश नहीं किया और बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को शानदार तरीके से कोरियोग्राफ किया। महारानी एलिजाबेथ बरार स्क्वायर पर दिल्ली वॉर सेमेट्री भी गई थीं। वहां पहले और दूसरे दूसरे विश्व युद्ध में शहीद हुए योद्धाओं की सैकड़ों कब्रें हैं। महारानी ने उस यात्रा के दौरान वॉर सेमेट्री में जाकर दूसरे विश्व युद्ध के योद्धाओं को खिराजे अकीदत भी पेश की थी। यहां पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर भी आई हैं।

(फाइल फोटो में क्वीन एलिजाबेथ, इंदिरा गांधी के साथ)

​प्रिंस फिलिप आईआईटी दिल्ली में

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप का भी भारत से करीबी संबंध रहा। उन्होंने 27 जनवरी, 1959 को आईआईटी दिल्ली की आधारशिला रखी थी। उनका कुछ समय पहले निधन हो गया था। वह 99 वर्ष के थे। आईआईटी की आधारशिला रखते हुए प्रिंस फिलिप ने उम्मीद जताई थी कि यहां से आगे चलकर भारत और दुनिया को श्रेष्ठतम इंजीनियर मिलेंगे। उनकी सद्इच्छा सच साबित हुई। प्रिंस फिलिप के स्वागत में केंद्रीय मंत्री हुमायूं कबीर, आईआईटी के डिजाइनर प्रो.जे.सी. चौधरी वगैरह मौजूद थे। आईआईटी दिल्ली बिरादरी के प्रत्येक सदस्य के मन में प्रिंस फिलिप को लेकर एक आदर और कृतज्ञता का भाव रहता है। आईआईटी में कुछ कक्षाएं 1961 से चालू हो गई थीं। हालांकि इसका विस्तार होता रहा। महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप सन् 1983 और 1997 में भी भारत आए थे। वह उनकी भारत की अंतिम यात्रा थी। पर शाही जोड़े की पहली भारत यात्रा अविस्मरणीय रही थी।

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विवेक शुक्ला

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