नई दिल्ली
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए इस बार और सख्ती बढ़ाने की बात करते हुए दिल्ली मेट्रो का परिचालन भी अगले आदेश तक पूरी तरह बंद रखने का ऐलान कर दिया, जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सरकार के निर्णय ने उन डॉक्टरों, नर्सों, हेल्थवर्करों, सफाई कर्मचारियों को भारी चिंता में डाल दिया है, जो अस्पतालों या कोविड केयर सेंटरों में ड्यूटी कर रहे हैं और अभी तक मेट्रो से ही अपने घर से कार्यस्थल तक आ-जा रहे थे। जिन टीचरों व अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी वैक्सीनेशन सेंटरों पर लगी हुई है, वे भी इस फैसले से हैरान हैं। साथ ही सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स, दिल्ली पुलिस का स्टाफ, डीटीसी के ड्राइवर-कंडक्टर और आवश्यक सेवाओं से जुड़े अन्य लोग भी इस चिंता में पड़ गए हैं अब वे अपने घर से अपनी ड्यूटी की जगह तक का सफर कैसे तय करेंगे? मेट्रो सेव बंद करने को लेकर उठ रहे ये सवाल
लोगों को सबसे हैरानी इस बात से भी है कि जब इतने दिनों से मेट्रो में केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को ही सफर करने की अनुमति मिली हुई थी और आम लोगों के लिए पहले से पाबंदी लगी हुई थी, तो फिर मेट्रो का परिचालन पूरी तरह बंद करने की क्या जरूरत थी और अगर संक्रमण के खतरे की वजह से यह कदम उठाया जा रह है, तो अब तो हालात पिछले दो-तीन हफ्तों के मुकाबले बेहतर ही हैं। अगर मेट्रो बंद करनी ही थी तो उस वक्त करनी चाहिए थी, जब संक्रमण का खतरा ज्यादा था। कई लोग इसके पीछे मेट्रो को हो रहे भारी आर्थिक नुकसान को भी एक वजह मान रहे हैं, लेकिन डीएमआरसी हमेशा ही इससे इनकार करती रही है।
सरकार के निर्देश पर डीएमआरसी ने लॉकडाउन के बावजूद मेट्रो का परिचालन जारी रखा था। हालांकि, मेट्रो की फ्रीक्वेंसी में जरूर बदलाव किया गया था। पिछले कुछ हफ्तों से सभी लाइनों पर पीक आवर्स के दौरान यानी सुबह 7 बजे से 11 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक पर 15-15 मिनट की फ्रीक्वेंसी पर ट्रेनें चलाई जा रही थीं, वहीं दिन के बाकी समय 30-30 मिनट के अंतराल पर ट्रेनें चल रहीं थीं।
अस्पताल में काम करने वालों को दिक्कत
पूर्वी दिल्ली के एक अस्पताल में काम करने वाली अनीता नेगी का कहना था कि अभी तक तो वह मेट्रो से ही ड्यूटी पर आ-जा रहीं थीं, मगर अब बेहद मुश्किल हो जाएगी। उनका कहना था कि मुझे अस्पताल प्रशासन से बात करनी पड़ेगी या तो हमें अपने परिवार के किसी सदस्य को बोलना पड़ेगा कि वे दोनों टाइम हमें अस्पताल छोड़ने और लेने आएं या फिर स्टाफ के किसी अन्य सदस्य की मदद लेनी पड़ेगी।
सरकारी ऑफिस जाने वाले भी परेशान
वहीं बीएसईएस के लिए काम करने वाले राहुल कुमार ने बताया कि अभी तक तो वह मेट्रो से ही ऑफिस आ-जा रहे थे, लेकिन अब मेट्रो भी बंद हो जाएगी, तो वह कैसे ऑफिस जाएंगे, इस सवाल का जवाब अभी उनके खुद के पास भी नहीं है। अब वे अपने ऑफिस में बात करेंगे कि वे कैसे ऑफिस आएं, क्योंकि उनके पास आने-जाने का कोई और साधन नहीं है।
कुछ ने फैसले को बताया सही
हालांकि वित्त मंत्रालय में काम करने वाले अजीत कुमार ने सरकार के इस फैसले को सही ठहराते हुए बताया कि फ्रीक्वेंसी बेहद कम होने की वजह से लॉकडाउन के बावजूद सुबह और शाम के वक्त मेट्रो में इतनी भीड़ हो जा रही थी कि उसकी वजह से संक्रमण का खतरा और बढ़ गया था। ऐसे में मेट्रो को बंद करके सरकार ने अच्छा ही किया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए इस बार और सख्ती बढ़ाने की बात करते हुए दिल्ली मेट्रो का परिचालन भी अगले आदेश तक पूरी तरह बंद रखने का ऐलान कर दिया, जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सरकार के निर्णय ने उन डॉक्टरों, नर्सों, हेल्थवर्करों, सफाई कर्मचारियों को भारी चिंता में डाल दिया है, जो अस्पतालों या कोविड केयर सेंटरों में ड्यूटी कर रहे हैं और अभी तक मेट्रो से ही अपने घर से कार्यस्थल तक आ-जा रहे थे। जिन टीचरों व अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी वैक्सीनेशन सेंटरों पर लगी हुई है, वे भी इस फैसले से हैरान हैं। साथ ही सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स, दिल्ली पुलिस का स्टाफ, डीटीसी के ड्राइवर-कंडक्टर और आवश्यक सेवाओं से जुड़े अन्य लोग भी इस चिंता में पड़ गए हैं अब वे अपने घर से अपनी ड्यूटी की जगह तक का सफर कैसे तय करेंगे?
लोगों को सबसे हैरानी इस बात से भी है कि जब इतने दिनों से मेट्रो में केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को ही सफर करने की अनुमति मिली हुई थी और आम लोगों के लिए पहले से पाबंदी लगी हुई थी, तो फिर मेट्रो का परिचालन पूरी तरह बंद करने की क्या जरूरत थी और अगर संक्रमण के खतरे की वजह से यह कदम उठाया जा रह है, तो अब तो हालात पिछले दो-तीन हफ्तों के मुकाबले बेहतर ही हैं। अगर मेट्रो बंद करनी ही थी तो उस वक्त करनी चाहिए थी, जब संक्रमण का खतरा ज्यादा था। कई लोग इसके पीछे मेट्रो को हो रहे भारी आर्थिक नुकसान को भी एक वजह मान रहे हैं, लेकिन डीएमआरसी हमेशा ही इससे इनकार करती रही है।
सरकार के निर्देश पर डीएमआरसी ने लॉकडाउन के बावजूद मेट्रो का परिचालन जारी रखा था। हालांकि, मेट्रो की फ्रीक्वेंसी में जरूर बदलाव किया गया था। पिछले कुछ हफ्तों से सभी लाइनों पर पीक आवर्स के दौरान यानी सुबह 7 बजे से 11 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक पर 15-15 मिनट की फ्रीक्वेंसी पर ट्रेनें चलाई जा रही थीं, वहीं दिन के बाकी समय 30-30 मिनट के अंतराल पर ट्रेनें चल रहीं थीं।
अस्पताल में काम करने वालों को दिक्कत
पूर्वी दिल्ली के एक अस्पताल में काम करने वाली अनीता नेगी का कहना था कि अभी तक तो वह मेट्रो से ही ड्यूटी पर आ-जा रहीं थीं, मगर अब बेहद मुश्किल हो जाएगी। उनका कहना था कि मुझे अस्पताल प्रशासन से बात करनी पड़ेगी या तो हमें अपने परिवार के किसी सदस्य को बोलना पड़ेगा कि वे दोनों टाइम हमें अस्पताल छोड़ने और लेने आएं या फिर स्टाफ के किसी अन्य सदस्य की मदद लेनी पड़ेगी।
सरकारी ऑफिस जाने वाले भी परेशान
वहीं बीएसईएस के लिए काम करने वाले राहुल कुमार ने बताया कि अभी तक तो वह मेट्रो से ही ऑफिस आ-जा रहे थे, लेकिन अब मेट्रो भी बंद हो जाएगी, तो वह कैसे ऑफिस जाएंगे, इस सवाल का जवाब अभी उनके खुद के पास भी नहीं है। अब वे अपने ऑफिस में बात करेंगे कि वे कैसे ऑफिस आएं, क्योंकि उनके पास आने-जाने का कोई और साधन नहीं है।
कुछ ने फैसले को बताया सही
हालांकि वित्त मंत्रालय में काम करने वाले अजीत कुमार ने सरकार के इस फैसले को सही ठहराते हुए बताया कि फ्रीक्वेंसी बेहद कम होने की वजह से लॉकडाउन के बावजूद सुबह और शाम के वक्त मेट्रो में इतनी भीड़ हो जा रही थी कि उसकी वजह से संक्रमण का खतरा और बढ़ गया था। ऐसे में मेट्रो को बंद करके सरकार ने अच्छा ही किया।