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दूसरा जंतर-मंतर बन गया शाहीन बाग, शिक्षा से लेकर रोजगार तक बात

Navbharat Times 21 Jan 2020, 8:00 am

प्रियंका सिंह, शाहीन बागभेदभाव से, जातिवाद से, भ्रष्टचार से, बेरोजगारी से, भुखमरी से और पक्षवाद से आजादी जैसे नारे शाहीन बाग में सुनने को मिल रहे ...

shaheen bagh becomes the second jantar mantar from education to employment
दूसरा जंतर-मंतर बन गया शाहीन बाग, शिक्षा से लेकर रोजगार तक बात

प्रियंका सिंह, शाहीन बाग

भेदभाव से, जातिवाद से, भ्रष्टचार से, बेरोजगारी से, भुखमरी से और पक्षवाद से आजादी जैसे नारे शाहीन बाग में सुनने को मिल रहे हैं। विरोध की आवाज को बुलंद करने के लिए लोग दूर-दूर से समर्थन के लिए पहुंच रहे हैं। यहां पर इंडिया गेट से लेकर भारत का नक्शा देखने को मिल रहा है और उस पर लिखे नारे भी। महिलाओं की आवाज और भी बुलंद है। हर तरह के मुद्दे यहां उठाए जा रहे हैं, चाहे वह रोजगार का मुद्दा हो, या कर्ज से मर रहे किसानों का। सभी के लिए शाहीन बाग दूसरा जंतर-मंतर बन गया है। यही वजह है कि यहां पर छात्र से लेकर हर वर्ग के लोगों का समर्थन मिल रहा है।

मुंबई से आए अनुज कौशिक कहते है कि वर्तमान समय में केंद्र सरकार एक व्यापारी बन गई है और सरकार जब व्यापारी बन जाती है, तो वहां की जनता भिखारी बन जाती है। विकास के नाम पर सिर्फ बिल्डिंगें खड़ी की जा रही हैं। गांव-कस्बों में आज भी किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। विरोध की आवाज के बीच एक तीन साल की बच्ची धीमी आवाज में क से कबूतर पढ़ रही है। बच्ची की मां शहनाज हुसैन ने कहा, स्कूल से आने के बाद बच्चों के साथ सीधे यहां आ जाती हूं और होमवर्क करवाती हूं। जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती, तब तक इसी तरह मेरे बच्चे विरोध करके अपना भविष्य संवारेंगे। डीयू की छात्रा सीमा ने बताया कि देश के युवा के पास डिग्री है, लेकिन रोजगार नहीं है। लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। अर्थव्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है। इसके बाद भी इन विषयों पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। कई बार अपने भाषण में गृह मंत्री और अन्य लोगों ने सीएए कानून को शणार्थियों का पक्षधर बताया है। यह नहीं बताया कि वहां से आनेवाले लोगों को रोजगार और शिक्षा सरकार कहां से देगी। इस पर कोई बात नहीं हो रही है।

फातिमा शेख और सावित्री बाई फुले के नाम से बनाई लाइब्रेरी

शाहीन बाग के बस स्टैंड पर कुछ दिन पहले लोग बस का इंतजार करते थे। पिछले चार दिनों से यहां फातिमा शेख और सावित्री बाई फुले के नाम से लाइब्रेरी बनाई गई है। इसमें कई यूनिवर्सिटी के छात्र किताब डोनेट कर रहे हैं। जानकारी देते हुए मो. आसिफ ने बताया कि शाहीन बाग में महिलाएं सड़कों पर हैं और महिलाओं की शिक्षा की लड़ाई में इन दोनों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यही वजह है कि उनके नाम से यह लाइब्रेरी बनाई गई है।

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