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भाई की जिंदगी बचाने के लिए बहन ने डोनेट किया लिवर

45 साल के भाई का लिवर खराब था और ऐक्सिडेंट के कारण सर्जरी नहीं हो सकती थी। ऐसे वक्त में भाई की जिंदगी बचाने के लिए 36 साल की बहन आगे आईं और अपना लिवर डोनेट किया।

नवभारत टाइम्स 14 Aug 2019, 12:23 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम सांकेतिक चित्र
सांकेतिक चित्र

श्रीनगर के रहनेवाले 45 साल के बिलाल लिवर फेल की स्थिति से गुजर रहे थे। इसी बीच उनका ऐक्सिडेंट हो गया। हाथ-पैर में फ्रैक्चर से सर्जरी की स्थिति आ गई, लेकिन लिवर की बीमारी होने से सर्जरी नहीं की जा सकती थी। बिलाल का जॉन्डिस खराब स्तर पर पहुंच गया था। शरीर की खून का थक्का जमाने की क्षमता भी खत्म हो गई थी। दिन गुजरने के साथ-साथ उनकी जिंदगी चुनौतीपूर्ण होती जा रही थी।

बहन ने बचाई भाई की जिंदगी

जिंदगी बचाने का एक ही तरीका था- लीवर ट्रांसप्लांट। परिवार के 2 लोगों का ब्लड ग्रुप मैच नहीं हुआ। तब बहन जुबैदा आगे आईं, उनका ब्लड ग्रुप मैच हो गया। उन्होंने अपने भाई की जान बचाने के लिए अपना लिवर डोनेट कर दिया। लिवर ट्रांसप्लांट सफल होने के बाद बिलाल ने कहा कि भाई, बहन की रक्षा करता है लेकिन इस रक्षाबंधन पर बहन ने अपने भाई को नई जिंदगी दी है।

13 अगस्त को मनाया जाता है अंगदान दिवस

हर साल 13 अगस्त को अंगदान दिवस मनाया जाता है, लेकिन अंगदान के प्रति जागरूकता में काफी कमी है। डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर है। तब लाइव डोनेशन ही तरीका बच जाता है। इसमें एक की जान बचाने के लिए दो लोगों की सर्जरी करनी पड़ती है। बिलाल के केस में यही हुआ। बहन जुबैदा की सर्जरी भी हुई। दोनों की जिंदगी दांव पर थी।

13 घंटे चली सर्जरी, 36 साल की बहन ने दिया लिवर

अपोलो अस्पताल के सर्जन डॉक्टर नीरव गोयल ने बताया कि जब मरीज अस्पताल पहुंचा तो वह क्रोनिक लिवर की बीमारी से पीड़ित था। बीमारी बहुत ही गंभीर स्थिति में पहुंच गई थी। मरीज की जान भी जा सकती थी। यही नहीं, ऐक्सिडेंट होने से शरीर में मल्टीपल फ्रैक्चर भी थे। बीमारी अडवांस स्टेज में पहुंच गई थी। ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट के बगैर फ्रैक्चर की सर्जरी नामुमकिन था। ऐसे में तुरंत लिवर ट्रांसप्लांट का फैसला लिया गया। 36 साल की जुबैदा अपने भाई को लिवर डोनेट करने के लिए तैयार थीं। सर्जरी 13 घंटे चली। मरीज और डोनर दोनों ठीक हैं।

मरीज और डोनर दोनों का लिवर अब ठीक है

बिलाल को सर्जरी के 21 दिन बाद छुट्टी दे दी गई। मरीज और डोनर दोनों के लिवर फंक्शन भी अब सामान्य हैं। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद बिलाल ने कहा, मैं अपनी बहन के प्रति आभारी हूं। उसने मुझे नया जीवन दिया है। यह रक्षाबंधन मेरे लिए बेहद खास है, जब मेरी बहन ने अपना लिवर देकर मेरी जान बचाई है।

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