नई दिल्ली
राजधानी में भले ही मॉनसून देरी से पहुंचा हो लेकिन पिछले कुछ दिन से हो रही लगातार बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दी है। हालांकि, अधिक अधिक बारिश की वजह से निचले इलाकों में जलभराव और ट्रैफिक जाम के कारण राजधानी के लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा रहा है। भारतीय मौसम विभाग ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में 'मध्यम से भारी' बारिश की संभावना जताते हुए ओरेंज अलर्ट जारी किया है।
निचले इलाकों में जलभराव की चेतावनी
मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में ट्रैफिक बाधित होने और निचले इलाकों में जलभराव की चेतावनी दी है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में मानसून के कारण एक हफ्ते तक 'हल्की से मध्यम' बारिश हो सकती है। राजधानी में इस महीने अभी तक 386.3 मिमी तक बारिश हुई है जो सामान्य 190.4 मिमी बारिश से 103 प्रतिशत अधिक है। यह 2003 के बाद से जुलाई में हुई सर्वाधिक बारिश है तथा अब तक की दूसरी सबसे अधिक बारिश है।
18 साल पहले जुलाई में हुई थी 632 एमएम बारिश
दिल्ली में 13 जुलाई को पहुंचे मानसून से अब बारिश होने लगी है, निचले इलाकों में जलभराव हो गया है तथा यातायात बाधित हो गया है। सामान्य तौर पर दिल्ली में जुलाई में 210.6 मिमी. बारिश हुई है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पिछले साल 236.9 मिमी, 2019 में 199.2 मिमी और 2018 में 286.2 मिमी बारिश हुई। 2013 में दिल्ली में 340.5 मिमी बारिश हुई थी। जुलाई में 2003 में सबसे अधिक 632.2 मिमी बारिश हुई थी।
अस्थिर हुआ मॉनसून, हो रही है लगातार बारिश
स्काईमेट वेदर के मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने कहा कि मॉनसून अस्थिर हो गया है और हम मॉनसून के मौसम के पैटर्न में बड़ा बदलाव देख रहे हैं। यह अब मौसम विशेषज्ञों का डोमेन नहीं है और इसके लिए मल्टी-स्पेशियलिटी फ़ोकस की जरूरत है। स्काईमेट वेदर के महेश पलावत ने कहा कि वायुमंडल के गर्म होने से हवा की नमी धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे तीव्र क्यूम्यलोनिम्बस बादल बनते हैं। इससे लगातार भारी बारिश होती रहती है।
जानें क्या है अलग-अलग अलर्ट का मतलबआईएमडी बारिश के लिए चार रंगों के कोड का इस्तेमाल करता है। ग्रीन का मतलब होता है सब ठीक है। येलो का मतलब होता है बहुत खराब मौसम। ऑरेन्ज अलर्ट अत्यधिक खराब मौसम के लिए जारी किया जाता है। इसमें रोड ट्रैफिक के बाधित होने तथा नालों के भर जाने और बिजली सप्लाई डिस्टर्ब होने की चेतावनी होती है। रेड अलर्ट तब जारी किया हजाता है जब अत्यधिक खराब मौसम से ट्रैफिक और बिजली सर्विस बाधित हो जाती हैं। इसमें जीवन को खतरा होता है।
राजधानी में भले ही मॉनसून देरी से पहुंचा हो लेकिन पिछले कुछ दिन से हो रही लगातार बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दी है। हालांकि, अधिक अधिक बारिश की वजह से निचले इलाकों में जलभराव और ट्रैफिक जाम के कारण राजधानी के लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा रहा है। भारतीय मौसम विभाग ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में 'मध्यम से भारी' बारिश की संभावना जताते हुए ओरेंज अलर्ट जारी किया है।
निचले इलाकों में जलभराव की चेतावनी
मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में ट्रैफिक बाधित होने और निचले इलाकों में जलभराव की चेतावनी दी है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में मानसून के कारण एक हफ्ते तक 'हल्की से मध्यम' बारिश हो सकती है। राजधानी में इस महीने अभी तक 386.3 मिमी तक बारिश हुई है जो सामान्य 190.4 मिमी बारिश से 103 प्रतिशत अधिक है। यह 2003 के बाद से जुलाई में हुई सर्वाधिक बारिश है तथा अब तक की दूसरी सबसे अधिक बारिश है।
18 साल पहले जुलाई में हुई थी 632 एमएम बारिश
दिल्ली में 13 जुलाई को पहुंचे मानसून से अब बारिश होने लगी है, निचले इलाकों में जलभराव हो गया है तथा यातायात बाधित हो गया है। सामान्य तौर पर दिल्ली में जुलाई में 210.6 मिमी. बारिश हुई है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पिछले साल 236.9 मिमी, 2019 में 199.2 मिमी और 2018 में 286.2 मिमी बारिश हुई। 2013 में दिल्ली में 340.5 मिमी बारिश हुई थी। जुलाई में 2003 में सबसे अधिक 632.2 मिमी बारिश हुई थी।
अस्थिर हुआ मॉनसून, हो रही है लगातार बारिश
स्काईमेट वेदर के मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने कहा कि मॉनसून अस्थिर हो गया है और हम मॉनसून के मौसम के पैटर्न में बड़ा बदलाव देख रहे हैं। यह अब मौसम विशेषज्ञों का डोमेन नहीं है और इसके लिए मल्टी-स्पेशियलिटी फ़ोकस की जरूरत है। स्काईमेट वेदर के महेश पलावत ने कहा कि वायुमंडल के गर्म होने से हवा की नमी धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे तीव्र क्यूम्यलोनिम्बस बादल बनते हैं। इससे लगातार भारी बारिश होती रहती है।
जानें क्या है अलग-अलग अलर्ट का मतलबआईएमडी बारिश के लिए चार रंगों के कोड का इस्तेमाल करता है। ग्रीन का मतलब होता है सब ठीक है। येलो का मतलब होता है बहुत खराब मौसम। ऑरेन्ज अलर्ट अत्यधिक खराब मौसम के लिए जारी किया जाता है। इसमें रोड ट्रैफिक के बाधित होने तथा नालों के भर जाने और बिजली सप्लाई डिस्टर्ब होने की चेतावनी होती है। रेड अलर्ट तब जारी किया हजाता है जब अत्यधिक खराब मौसम से ट्रैफिक और बिजली सर्विस बाधित हो जाती हैं। इसमें जीवन को खतरा होता है।