प्रस, नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति की पत्नी, पति या बच्चे ही कानूनी अभिभावक हो सकते हैं जो कोमा में है और उन्हें मरीज की सभी तरह की संपत्ति की जानकारी का खुलासा करना होगा। अदालत ने कहा कि कोमा में व्यक्ति का कोई पति, पत्नी या बच्चे नहीं हैं या उसके परिवार ने उसे छोड़ दिया है तो उसके दोस्त को किसी अदालत से मंजूरी लेने के बाद अभिभावक बनाया जा सकता है। हाई कोर्ट ने अभिभावक एवं संरक्षक कानून, 1890, मानसिक स्वास्थ्य कानून, 1987 (निरस्त) सहित विभिन्न कानूनों के प्रावधानों पर विचार के बाद कहा कि इन कानूनों के प्रावधानों से यही पता चलता है कि जो व्यक्ति कोमा में है वह इसके दायरे में नहीं आता है। जस्टिस राजीव शकधर ने कहा कि इसी तरह की स्थिति 2019 में केरल हाई कोर्ट के सामने भी आई थी, जिसने ऐसे मामलों से निपटने के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किये थे जो सही लगते हैं और दिल्ली में भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
‘कोमा में मरीज की पत्नी, पति या बच्चे ही हो सकते हैं कानूनी अभिभावक’
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति की पत्नी, पति या बच्चे ही कानूनी अभिभावक हो सकते हैं जो कोमा में है और उन्हें मरीज की सभी तरह की संपत्ति ...
Navbharat Times 9 Jan 2020, 8:00 am