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एमसीडी में नई लीडरशिप तैयार करेगी बीजेपी

बीजेपी एमसीडी के अंदर एक नई और अनुभवी लीडरशिप तैयार करना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि पहली बार चुनकर आए आम आदमी पार्टी के पार्षदों के आक्रामक रवैये का जवाब देने के लिए भी सदन में कोई मजबूत नेता नहीं था।

नवभारत टाइम्स 25 Apr 2018, 8:41 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम BJP

तीनों एमसीडी में मेयर, स्टैंडिंग कमिटी चेयरमैन और नेता सदन के पदों के लिए नए कैंडिडेट को चुनने में बीजेपी को खूब माथापच्ची करनी पड़ी थी। नॉमिनेशन की तारीख भी दो बार बढ़ानी पड़ी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को इनवॉल्व होना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कोई भी ऐसा अनुभवी और पुराना नेता लीडर ऑफ द हाउस के पद पर मौजूद नहीं था, जो पार्टी नेतृत्व और पार्षदों के बीच एक ब्रिज का काम कर सके और निगम के कामों को जनता के सामने रख सके।

इसी को देखते हुए अब बीजेपी एमसीडी के अंदर एक नई और अनुभवी लीडरशिप तैयार करना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि पहली बार चुनकर आए आम आदमी पार्टी के पार्षदों के आक्रामक रवैये का जवाब देने के लिए भी सदन में कोई मजबूत नेता नहीं था। शिखा राय, जयेंद्र डबास और संतोष पाल सदन के नेता होने के बावजूद निगम के अंदर और बाहर एक नेता के रूप में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज नहीं करा पाए। एमसीडी में सुभाष आर्य, मीरा अग्रवाल, महेंद्र नागपाल, हर्ष मल्होत्रा, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद जैसे निगम के पुराने और अनुभवी नेताओं की कमी को पूरा करने के लिए ही नई लीडरशिप पर जोर है।

यही वजह है कि इस बार पार्टी ने ऐसे लोगों को नेता सदन के पद पर बैठाया है, जो सदन के अंदर पुरजोर तरीके से पार्टी की नीतियों का बचाव कर सकें और निगम के कामों को हाइलाइट कर सकें। साउथ एमसीडी में यह जिम्मा कमलजीत सहरावत को सौंपा गया है। वह पिछले एक दशक से पार्टी के साथ जमीनी स्तर पर जुड़ी हुई हैं, जिले से लेकर प्रदेश तक कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकीं हैं। नॉर्थ एमसीडी में यह जिम्मा तिलकराज कटारिया को दिया गया है। कटारिया के पास भी पार्टी के कामकाज का खासा अनुभव है। पिछले लोकसभा चुनावों में उनके बूथ मैनेजमेंट से पार्टी के कई नेता खासे प्रभावित हुए थे। ईस्ट एमसीडी में सदन के नए नेता निर्मल जैन की भी पार्टी और संगठन में अच्छी पकड़ मानी जाती है और कुशल वक्ता भी हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछले साल कॉर्पोरेशन के कामकाज से पार्टी नेतृत्व नाखुश था और चाहता था कि निगम के अंदर भी अच्छी लीडरशिप डिवेलप हो, ताकि आने वाले चुनावों में वार्ड स्तर पर पार्टी को फायदा हो। पार्टी लंबे समय से निगम में कद्दावर नेताओं की कमी महसूस करती आ रही थी। अब सीनियर नेताओं की कमी को दूर करने के मकसद से ही नई लीडरशिप तैयार की जा रही है।

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