नई दिल्ली
वैलंटाइंस डे यानी 14 फरवरी को दिल्ली की केजरीवाल सरकार को सत्ता में आए 2 साल हो रहे हैं। विधानसभा की 70 में से 67 सीट जीतकर धमाका करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के इन 2 सालों के कामकाज पर लोगों की क्या राय है, यह जानने के लिए 'सान्ध्य टाइम्स' टीम ने दिल्ली में 550 लोगों से बात की। 61% लोगों ने कहा कि वे सरकार के काम से खुश नहीं हैं। 34% दिल्लीवालों ने कहा कि वह खुश हैं। 4% लोग अभी इस पर कोई राय नहीं जाहिर करना चाहते।
सर्वे में भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा, जनलोकपाल, केंद्र से टकराव पर सवाल पूछे गए थे। एक सवाल दिल्ली में अभी चुनाव होने की सूरत में पसंदीदा सीएम फेस बताने को लेकर था। इस सवाल के जवाब में सीएम अरविंद केजरीवाल और बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी को बराबर वोट मिले।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय माकन को 18% वोट मिले। करीब 19% लोगों ने तीनों को नकार दिया। केंद्र से दिल्ली सरकार के टकराव पर मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली। करीब 38% लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रही, जबकि करीब 42% ने कहा कि ऐसा नहीं है। 20% लोगों ने कहा कि उन्हें इसका जवाब मालूम नहीं।
सर्वे के सवाल
सवाल : क्या अरविंद केजरीवाल सरकार के 2 साल के कामकाज से आप खुश हैं?
सवाल: क्या जनलोकपाल के मुद्दे पर सरकार की ओर से उठाए गए कदम काफी हैं?
सवाल : क्या आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार कम हुआ है?
सवाल: क्या आपको लगता है कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रही?
सवाल: महिला सुरक्षा पर उठाए गए सरकार के कदमों से आप संतुष्ट हैं?
सवाल: अगर अभी चुनाव हों तो आपका पसंदीदा सीएम कौन होगा?
अरविंद केजरीवाल
मनोज तिवारी
अजय माकन
पता नहीं
सर्वे : एक नज़र
• सान्ध्य टाइम्स के 11 Reporters ने दिल्ली के 550 वोटर्स से बात की। पूरी दिल्ली को इसके लिए चुना गया। यह रैंडम सैंपल था।
• मेट्रो, बस, ट्रेन, बाजार, रेजिडेंशल कॉलोनियों और राह चलते लोगों से बात की गई।
• सवाल 1 फरवरी से 6 फरवरी के बीच पूछे गए।
• इनमें 185 यानी 33.64% महिलाएं और 365 यानी 66.36% पुरुष थे।
• आधे (करीब 50%) लोग 35 साल से कम और आधे इससे ज्यादा उम्र के थे।
• बिजनेस क्लास के 19.45%, नौकरीपेशा 41.27% और अन्य 39.27% थे।
• 20.91% यानी 115 लोग 10वीं क्लास से कम पढ़े लिखे जबकि 79.09% यानी 435 लोग इससे ज्यादा पढ़े लिखे थे।
• महिलाओं और पुरुषों की राय एक जैसी
10 फरवरी 2015 को जब दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग के नतीजे आए और आम आदमी पार्टी को जबरदस्त बहुमत मिला तो कहा जा रहा था कि महिलाओं ने भी पार्टी को जमकर वोट किया। इसलिए सर्वे में पुरुषों और महिलाओं की राय का अलग से विश्लेषण जरूरी था। कुछ मसलों पर जरा से अंतर को छोड़ दें, तो बाकी सवालों पर महिलाओं की राय पुरुषों से मिलती-जुलती ही दिखाई दी :
पुरुषों का रुझान
पहले सवाल के जवाब में 365 पुरुषों की राय भी महिलाओं से अलग नहीं है। 61.37% पुरुषों ने कहा कि वह सरकार के काम से संतुष्ट नहीं हैं। करीब 34% पुरुषों ने संतुष्टि जताई जबकि 5% अभी तय नहीं कर पा रहे कि वह संतुष्ट हैं कि नहीं। भ्रष्टाचार के मसले पर करीब पर्सेंट 59% पुरुष सरकार के कदमों से खुश नहीं हैं। 29% ने कहा कि भ्रष्टाचार कम हुआ है जबकि करीब 12% को अंदाजा नहीं है कि भ्रष्टाचार कम हुआ या नहीं। महिला सुरक्षा के सवाल पर करीब 67% पुरुषों की राय है कि सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए। केवल 19% पुरुष सरकार के प्रयासों से संतुष्ट हैं जबकि करीब 14% ने पता नहीं में जवाब दिया। जनलोकपाल के मुद्दे पर करीब 66% पुरुष सरकार के प्रयासों से असंतुष्ट दिखे। महिलाओं की तरह यहां भी सिर्फ 14% पुरुषों को लग रहा है कि सरकार ने इस मसले पर उचित कदम उठाए हैं। 20% पुरुषों को इसका कोई अंदाजा नहीं है। केंद्र से टकराव के सवाल पर करीब 38% को लगता है कि केंद्र दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहा तो 41% को ऐसा नहीं लगता। बाकी को इसका जवाब नहीं मालूम। पुरुषों के फेवरेट सीएम फेस में अरविंद केजरीवाल पहले पायदान पर हैं। करीब 33% पुरुषों ने AK के पक्ष में जबकि 30% ने मनोज तिवारी के पक्ष में राय जाहिर की है। यहां भी 18% ने माकन के पक्ष में झुकाव दिखाया जबकि इतनों ने ही तीनों चेहरों को नकार दिया।
महिलाओं का रुझान
185 महिलाओं से बात की गई जिनमें 61% महिलाएं सरकार के 2 साल के काम से संतुष्ट नहीं हैं। 35% ने संतुष्टि जताई जबकि करीब 4% महिलाओं का जवाब ‘पता नहीं’ रहा। भ्रष्टाचार के मसले पर भी करीब 60 पर्सेंट महिलाएं सरकार के कदमों से खुश नहीं दिखीं, जबकि 12% ने कहा कि वह नहीं बता सकतीं कि भ्रष्टाचार कम हुआ या नहीं। महिला सुरक्षा के सवाल पर पुरुषों से ज्यादा असंतोष महिलाओं में दिखा। करीब 71% महिलाओं की राय है कि सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए। केवल 16% महिलाएं ही सरकार के कदमों से संतुष्ट हैं जबकि 13% ने पता नहीं में जवाब दिया। जनलोकपाल के मुद्दे पर भी करीब 61% महिलाएं सरकार से असंतुष्ट हैं, सिर्फ 14 पर्सेंट को लगता है कि सरकार ने इस मसले पर उचित कदम उठाए। 25% महिलाओं को इसका कोई अंदाजा नहीं है। केंद्र से टकराव के सवाल पर वे बंटी हुई नजर आईं। करीब 40% को लगता है कि केंद्र दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहा तो 43% को ऐसा नहीं लगता। बाकी को इसका जवाब नहीं मालूम। महिलाओं के फेवरेट सीएम फेस में मनोज तिवारी अरविंद केजरीवाल से कुछ आगे नजर आ रहे हैं। करीब 35% महिलाओं ने तिवारी के पक्ष में जबकि 29% ने मौजूदा दिल्ली सीएम के पक्ष में राय जाहिर की है। 18% ने माकन के पक्ष में झुकाव दिखाया जबकि इतनी ही महिलाओं को तीनों में से कोई चेहरा पसंद नहीं है।
‘इस सरकार को और काम करने देना चाहिए’
सान्ध्य टाइम्स की ओर से किए गए सर्वे में 14 साल के एक किशोर ने जिद करके सर्वे फॉर्म भरा। यमुना विहार निवासी सिद्धार्थ सोनी नाम का यह छात्र बाल भारती स्कूल में सातवीं क्लास में पढ़ता है। जब उसके परिजनों से इस सर्वे के बारे में बात की जा रही थी तो उसने भी फॉर्म लिया और आप सरकार पर अपने सुझाव दिए। सर्वे में हां, नहीं, पता नहीं ऑप्शन थे। उसने अपने सभी सवालों के जवाब तो दिए, साथ ही एक सवाल (क्या आप अरविंद केजरीवाल सरकार के 2 साल के कामकाज से खुश हैं?) के जवाब में हां के साथ लिखा, ‘इस सरकार को और काम करने देना चाहिए।’ सिद्धार्थ के वोटर नहीं होने के कारण इस फॉर्म को सर्वे में शामिल नहीं किया गया है।
सर्वे पर यह बोले नेता
सांध्य टाइम्स के सर्वे के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आई हैं। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, 'दिल्ली की जनता जो चाहती है, इस सर्वे में उसका सटीक वर्णन मिलता है। जनता वाकई केजरीवाल सरकार से परेशान है।' वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने सर्वे को बोगस करार देते हुए दावा किया कि आगामी एमसीडी चुनाव में कांग्रेस नंबर वन पार्टी बनकर उभरेगी। दूसरी ओर दिल्ली सरकार के मीडिया सलाहकार नागेन्द्र शर्मा ने सैंपल पर सवाल उठाते हुए सर्वे को भ्रम पैदा करने वाला करार दिया। उन्होंने कहा, 'मैं कोई टिप्प्णी नहीं करूंगा। ऐसे सर्वे का आधार क्या है, यह जानना जरूरी है। अगर इसे निष्पक्ष मान भी लें तो दो करोड़ की आबादी वाले शहर में महज 550 लोगों की राय पर कोई नतीजा निकालना भ्रम पैदा करने जैसा है।'
550 लोगों का मतलब
दिल्ली चुनाव आयोग के अनुसार, 2011 की जनगणना के आधार पर दिल्ली की आबादी 1.86 करोड़ है और मतदाताओं की संख्या 1.3 करोड़ है। इतने में केवल 550 लोगों से बात करके कैसे यह नतीजा निकाला जा सकता है कि इनकी राय ही पूरी दिल्ली की राय है? यह वाजिब सवाल है। इसका जवाब इस तरह से समझा जा सकता है। सैंपल का मतलब होता है जिसके बारे में अंदाजा लगाना है, उसका कहीं से भी उठाया गया एक छोटा हिस्सा जांच लिया जाए। अगर आपको एक बोरी चावल की क्वॉलिटी का अंदाजा लगाना है, तो आप बोरी में हाथ डालकर कहीं से भी एक मुट्ठी चावल निकाल लेंगे। उसी से अनुमान लगाएंगे कि बोरी में जो चावल हैं, उनकी क्वॉलिटी कैसी है।
वैलंटाइंस डे यानी 14 फरवरी को दिल्ली की केजरीवाल सरकार को सत्ता में आए 2 साल हो रहे हैं। विधानसभा की 70 में से 67 सीट जीतकर धमाका करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के इन 2 सालों के कामकाज पर लोगों की क्या राय है, यह जानने के लिए 'सान्ध्य टाइम्स' टीम ने दिल्ली में 550 लोगों से बात की। 61% लोगों ने कहा कि वे सरकार के काम से खुश नहीं हैं। 34% दिल्लीवालों ने कहा कि वह खुश हैं। 4% लोग अभी इस पर कोई राय नहीं जाहिर करना चाहते।
सर्वे में भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा, जनलोकपाल, केंद्र से टकराव पर सवाल पूछे गए थे। एक सवाल दिल्ली में अभी चुनाव होने की सूरत में पसंदीदा सीएम फेस बताने को लेकर था। इस सवाल के जवाब में सीएम अरविंद केजरीवाल और बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी को बराबर वोट मिले।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय माकन को 18% वोट मिले। करीब 19% लोगों ने तीनों को नकार दिया। केंद्र से दिल्ली सरकार के टकराव पर मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली। करीब 38% लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रही, जबकि करीब 42% ने कहा कि ऐसा नहीं है। 20% लोगों ने कहा कि उन्हें इसका जवाब मालूम नहीं।
सर्वे के सवाल
सवाल : क्या अरविंद केजरीवाल सरकार के 2 साल के कामकाज से आप खुश हैं?
सवाल: क्या जनलोकपाल के मुद्दे पर सरकार की ओर से उठाए गए कदम काफी हैं?
सवाल : क्या आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार कम हुआ है?
सवाल: क्या आपको लगता है कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रही?
सवाल: महिला सुरक्षा पर उठाए गए सरकार के कदमों से आप संतुष्ट हैं?
सवाल: अगर अभी चुनाव हों तो आपका पसंदीदा सीएम कौन होगा?
अरविंद केजरीवाल
मनोज तिवारी
अजय माकन
पता नहीं
सर्वे : एक नज़र
• सान्ध्य टाइम्स के 11 Reporters ने दिल्ली के 550 वोटर्स से बात की। पूरी दिल्ली को इसके लिए चुना गया। यह रैंडम सैंपल था।
• मेट्रो, बस, ट्रेन, बाजार, रेजिडेंशल कॉलोनियों और राह चलते लोगों से बात की गई।
• सवाल 1 फरवरी से 6 फरवरी के बीच पूछे गए।
• इनमें 185 यानी 33.64% महिलाएं और 365 यानी 66.36% पुरुष थे।
• आधे (करीब 50%) लोग 35 साल से कम और आधे इससे ज्यादा उम्र के थे।
• बिजनेस क्लास के 19.45%, नौकरीपेशा 41.27% और अन्य 39.27% थे।
• 20.91% यानी 115 लोग 10वीं क्लास से कम पढ़े लिखे जबकि 79.09% यानी 435 लोग इससे ज्यादा पढ़े लिखे थे।
• महिलाओं और पुरुषों की राय एक जैसी
10 फरवरी 2015 को जब दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग के नतीजे आए और आम आदमी पार्टी को जबरदस्त बहुमत मिला तो कहा जा रहा था कि महिलाओं ने भी पार्टी को जमकर वोट किया। इसलिए सर्वे में पुरुषों और महिलाओं की राय का अलग से विश्लेषण जरूरी था। कुछ मसलों पर जरा से अंतर को छोड़ दें, तो बाकी सवालों पर महिलाओं की राय पुरुषों से मिलती-जुलती ही दिखाई दी :
पुरुषों का रुझान
पहले सवाल के जवाब में 365 पुरुषों की राय भी महिलाओं से अलग नहीं है। 61.37% पुरुषों ने कहा कि वह सरकार के काम से संतुष्ट नहीं हैं। करीब 34% पुरुषों ने संतुष्टि जताई जबकि 5% अभी तय नहीं कर पा रहे कि वह संतुष्ट हैं कि नहीं। भ्रष्टाचार के मसले पर करीब पर्सेंट 59% पुरुष सरकार के कदमों से खुश नहीं हैं। 29% ने कहा कि भ्रष्टाचार कम हुआ है जबकि करीब 12% को अंदाजा नहीं है कि भ्रष्टाचार कम हुआ या नहीं। महिला सुरक्षा के सवाल पर करीब 67% पुरुषों की राय है कि सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए। केवल 19% पुरुष सरकार के प्रयासों से संतुष्ट हैं जबकि करीब 14% ने पता नहीं में जवाब दिया। जनलोकपाल के मुद्दे पर करीब 66% पुरुष सरकार के प्रयासों से असंतुष्ट दिखे। महिलाओं की तरह यहां भी सिर्फ 14% पुरुषों को लग रहा है कि सरकार ने इस मसले पर उचित कदम उठाए हैं। 20% पुरुषों को इसका कोई अंदाजा नहीं है। केंद्र से टकराव के सवाल पर करीब 38% को लगता है कि केंद्र दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहा तो 41% को ऐसा नहीं लगता। बाकी को इसका जवाब नहीं मालूम। पुरुषों के फेवरेट सीएम फेस में अरविंद केजरीवाल पहले पायदान पर हैं। करीब 33% पुरुषों ने AK के पक्ष में जबकि 30% ने मनोज तिवारी के पक्ष में राय जाहिर की है। यहां भी 18% ने माकन के पक्ष में झुकाव दिखाया जबकि इतनों ने ही तीनों चेहरों को नकार दिया।
महिलाओं का रुझान
185 महिलाओं से बात की गई जिनमें 61% महिलाएं सरकार के 2 साल के काम से संतुष्ट नहीं हैं। 35% ने संतुष्टि जताई जबकि करीब 4% महिलाओं का जवाब ‘पता नहीं’ रहा। भ्रष्टाचार के मसले पर भी करीब 60 पर्सेंट महिलाएं सरकार के कदमों से खुश नहीं दिखीं, जबकि 12% ने कहा कि वह नहीं बता सकतीं कि भ्रष्टाचार कम हुआ या नहीं। महिला सुरक्षा के सवाल पर पुरुषों से ज्यादा असंतोष महिलाओं में दिखा। करीब 71% महिलाओं की राय है कि सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए। केवल 16% महिलाएं ही सरकार के कदमों से संतुष्ट हैं जबकि 13% ने पता नहीं में जवाब दिया। जनलोकपाल के मुद्दे पर भी करीब 61% महिलाएं सरकार से असंतुष्ट हैं, सिर्फ 14 पर्सेंट को लगता है कि सरकार ने इस मसले पर उचित कदम उठाए। 25% महिलाओं को इसका कोई अंदाजा नहीं है। केंद्र से टकराव के सवाल पर वे बंटी हुई नजर आईं। करीब 40% को लगता है कि केंद्र दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहा तो 43% को ऐसा नहीं लगता। बाकी को इसका जवाब नहीं मालूम। महिलाओं के फेवरेट सीएम फेस में मनोज तिवारी अरविंद केजरीवाल से कुछ आगे नजर आ रहे हैं। करीब 35% महिलाओं ने तिवारी के पक्ष में जबकि 29% ने मौजूदा दिल्ली सीएम के पक्ष में राय जाहिर की है। 18% ने माकन के पक्ष में झुकाव दिखाया जबकि इतनी ही महिलाओं को तीनों में से कोई चेहरा पसंद नहीं है।
‘इस सरकार को और काम करने देना चाहिए’
सान्ध्य टाइम्स की ओर से किए गए सर्वे में 14 साल के एक किशोर ने जिद करके सर्वे फॉर्म भरा। यमुना विहार निवासी सिद्धार्थ सोनी नाम का यह छात्र बाल भारती स्कूल में सातवीं क्लास में पढ़ता है। जब उसके परिजनों से इस सर्वे के बारे में बात की जा रही थी तो उसने भी फॉर्म लिया और आप सरकार पर अपने सुझाव दिए। सर्वे में हां, नहीं, पता नहीं ऑप्शन थे। उसने अपने सभी सवालों के जवाब तो दिए, साथ ही एक सवाल (क्या आप अरविंद केजरीवाल सरकार के 2 साल के कामकाज से खुश हैं?) के जवाब में हां के साथ लिखा, ‘इस सरकार को और काम करने देना चाहिए।’ सिद्धार्थ के वोटर नहीं होने के कारण इस फॉर्म को सर्वे में शामिल नहीं किया गया है।
सर्वे पर यह बोले नेता
सांध्य टाइम्स के सर्वे के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आई हैं। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, 'दिल्ली की जनता जो चाहती है, इस सर्वे में उसका सटीक वर्णन मिलता है। जनता वाकई केजरीवाल सरकार से परेशान है।' वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने सर्वे को बोगस करार देते हुए दावा किया कि आगामी एमसीडी चुनाव में कांग्रेस नंबर वन पार्टी बनकर उभरेगी। दूसरी ओर दिल्ली सरकार के मीडिया सलाहकार नागेन्द्र शर्मा ने सैंपल पर सवाल उठाते हुए सर्वे को भ्रम पैदा करने वाला करार दिया। उन्होंने कहा, 'मैं कोई टिप्प्णी नहीं करूंगा। ऐसे सर्वे का आधार क्या है, यह जानना जरूरी है। अगर इसे निष्पक्ष मान भी लें तो दो करोड़ की आबादी वाले शहर में महज 550 लोगों की राय पर कोई नतीजा निकालना भ्रम पैदा करने जैसा है।'
550 लोगों का मतलब
दिल्ली चुनाव आयोग के अनुसार, 2011 की जनगणना के आधार पर दिल्ली की आबादी 1.86 करोड़ है और मतदाताओं की संख्या 1.3 करोड़ है। इतने में केवल 550 लोगों से बात करके कैसे यह नतीजा निकाला जा सकता है कि इनकी राय ही पूरी दिल्ली की राय है? यह वाजिब सवाल है। इसका जवाब इस तरह से समझा जा सकता है। सैंपल का मतलब होता है जिसके बारे में अंदाजा लगाना है, उसका कहीं से भी उठाया गया एक छोटा हिस्सा जांच लिया जाए। अगर आपको एक बोरी चावल की क्वॉलिटी का अंदाजा लगाना है, तो आप बोरी में हाथ डालकर कहीं से भी एक मुट्ठी चावल निकाल लेंगे। उसी से अनुमान लगाएंगे कि बोरी में जो चावल हैं, उनकी क्वॉलिटी कैसी है।