वृंदा श्रीवास्तव, लखनऊ
लॉकडाउन में पुलिसकर्मी दिन-रात ड्यूटी कर रहे हैं। एक तरफ शहर के लोग घरों में सुरक्षित हैं तो पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच जगह-जगह पहरा दे रहे हैं। कोई स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मरीजों का सैंपल लेने जा रहा है तो कोई संक्रमण वाले इलाके में नाकाबंदी पर मुस्तैद है। इन हालात में ये पुलिसकर्मी परिवार को भी समय नहीं दे पा रहे। कोरोना के खिलाफ चल रही जंग के बीच ऐसे ही कुछ पुलिसकर्मियों का हाल-ए-बयां...
'दूर से खाना रख जाता है बेटा'
सब इंस्पेक्टर अनूप मिश्रा आलमबाग में रहते हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में ड्यूटी टाइमिंग बढ़ गई है। सुबह 7 बजे निकल जाता हूं। रात में लौटने का कुछ पता नहीं रहता। दोपहर में समय मिलता है तो खाना खाने घर चला जाता हूं। 16 साल का बेटा दूर से खाना रख देता है और मैं दूर से सबका हाल पूछकर लौट जाता हूं। पत्नी भी पुलिस में है। ऐसे में बुजुर्ग मां-बाप की सेवा भी नहीं कर पा रहा।
'एक महीने से घर नहीं गया
हजरतगंज कोतवाली में तैनात महेंद्र सिंह बीबीडी यूनिवर्सिटी के पास रहते हैं। वह एक महीने से घर नहीं जा पाए हैं। महेंद्र का चार साल का बेटा और दो साल की बेटी है। उन्होंने बताया कि एक महीने पहले राशन खरीद कर घर में रख आया था। दिन में एक-दो बार फोन पर एक-दो मिनट घरवालों से बात हो जाती है। दिनभर बाहर ही रहना पड़ता है। मौका मिलता है तो थाने के हॉस्टल में चला जाता हूं।
सब कहते हैं- 'पहले देश की सेवा करो'
चिनहट निवासी राहुल राठौर हजरतगंज थाने में साइबर क्राइम सेल प्रभारी हैं। वह बताते हैं कि शाम को एक घंटे का वक्त निकालकर घर चला आता हूं। दूर से सबको देखकर आ जाता हूं। दिनभर कहीं न कहीं चेकिंग के लिए जाना पड़ता है। दिल्ली से मजदूरों के आने के वक्त चार दिन तक घर नहीं जा पाया था। घर में चार लोग हैं। सभी कहते हैं कि पहले देश की सेवा करो।
'बेटे को वक्त नहीं दे पा रही'
आलमबाग निवासी कंचन चौधरी महिला थाना में सिपाही हैं। वह बताती हैं कि सुबह 7 बजे ड्यूटी पर निकल जाती हूं। चेकिंग करना, भीड़ इकट्ठा न होने देना जैसे काम करने पड़ते हैं। कई बार तो लोग अभद्रता भी करते हैं। चार साल का बेटा भी है। उसे भी वक्त नहीं दे पाती। घर में पति ही सब संभालते हैं। सुबह किसी तरह नाश्ता और दिन का खाना बनाकर आ जाती हूं।
'दूर सामान रखकर चली जाती हूं'
गोमतीनगर निवासी शीलम सिंह महिला थाने में कार्यरत हैं। वह बताती हैं कि सुबह 7 से रात 9 बजे तक ड्यूटी का टाइम है, लेकिन यह सिर्फ कहने को है। घर विनीत खंड में है। वहां दिन में सब्जी-फल भी नहीं मिलता। ऐसे में जो बन पड़ता है, वह रात में खरीदकर ले जाती हूं। सामान रखकर सबसे अलग चली जाती हूं। घर में कोई खाना भी देने आता है तो दूर से रख कर चला जाता है।