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राज्य के 80% पेट्रोल पंप कर रहे तेल चोरी

रिमोट और चिप के जरिए प्रदेशभर के तमाम पेट्रोलपंप संचालक हर महीने पब्लिक को करीब 250 करोड़...

नवभारत टाइम्स 29 Apr 2017, 2:31 am

लखनऊ

नवभारतटाइम्स.कॉम 80 percent petrol pump indulge in petrol theft
राज्य के 80% पेट्रोल पंप कर रहे तेल चोरी

रिमोट और चिप के जरिए प्रदेशभर के तमाम पेट्रोलपंप संचालक हर महीने पब्लिक को करीब 250 करोड़ रुपये की चपत लगा रहे थे। पेट्रोल पंप पर चिप लगाने के आरोप में एटीएफ के शिकंजे में आए राजेंद्र से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ है कि उसके साथ सात और लोग इस गोरखधंधे से जुड़े हैं। इन लोगों ने बीते सात साल के अंदर 1000 से ज्यादा पेट्रोलपंप में ये डिवाइस लगाईं। राजेंद्र ने बताया कि प्रदेश के 80 प्रतिशत से अधिक पेट्रोलपंप पर यही खेल चल रहा था। औसतन शहरी इलाकों में एक पेट्रोल पंप पर महीने में 12 से 15 लाख और ग्रामीण इलाकों में छह से सात लाख रुपये की काली कमाई की जा रही थी।

एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक के मुताबिक वह और एएसपी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी अपनी टीम के साथ कई महीनों से इस नेटवर्क पर काम कर रहे थे। राजेंद्र की गिरफ्तारी के बाद शुरुआती पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि प्रदेशभर में करीब 6300 से अधिक पेट्रोलपंप हैं। इनमें 80 प्रतिशत से अधिक पेट्रोलपंप पर यही खेल चल रहा था। इसकी जांच के लिए सभी जिलों को निर्देश भिजवाए जा रहे हैं। इसके अलावा ऑयल कंपनियों से भी सभी पेट्रोलपंपो की बिक्री और स्टॉक का ब्योरा मांगा जा रहा है। एक पेट्रोलपंप पर औसतन प्रति लीटर पांच से छह प्रतिशत फ्यूल की घटतौली इस डिवाइस के जरिए हो रही थी। शहरी इलाके का एक पेट्रोलपंप हर दिन औसतन 40 से 50 हजार रुपये कमाए जा रहे थे। पब्लिक को एक लीटर पेट्रोल के भुगतान के एवज में 900 या 925 एमएल फ्यूल मिल रहा था।

शहर में ही 18 जगह चिप लगाई थी

एसटीएफ को अकेले राजधानी में 18 पेट्रोलपंप में रिमोट और डिवाइस लगाने की जानकारी राजेंद्र ने दी थी। एसटीएफ के पास उस समय इतनी मैनपावर नहीं थी कि एक साथ इतने ठिकानों पर छापेमारी की जा सके। इसके अलावा ज्यादा लोगों को ऑपरेशन में शामिल करने से खबर लीक होने का भी डर था। एसटीएफ ने गुरुवार रात जब पहले पेट्रोलपंप पर छापा मारा तो वहां से दो लोग बाइक से दूसरे पेट्रोलपंपों को खबर देने के लिए भागे, लेकिन उन्हें रास्ते में ही पकड़ लिया गया।

दिल्ली में चिप लगाना सीखा था

एसटीएफ की पूछताछ में राजेंद्र ने कबूला कि वह सात साल से चिप लगा रहा था। उसके सात साथी हैं। इनमें से तीन के ठिकानों को एसटीएफ ने चिह्नित कर लिया है। उनकी तलाश में छापेमारी की जा रही है। राजेंद्र चिप लगाने का काम दिल्ली से सीखकर आया था। इस गैंग के लोग यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी यह गोरखधंधा कर रहे हैं।

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