ऐपशहर

Mukhtar Ansari 23 साल पुराने मामले में दोषमुक्त करार, कैदी को पीटने और जेलर को धमकाने का था आरोप

लखनऊ जेल में बंद रहने के दौरान मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों पर एक बंदी को मारने-पीटने और जेलर-उप जेलर को धमकी देने का आरोप था। 23 साल पुराने इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने आरोपी माफिया को साथियों समेत बरी कर दिया है।

Edited byराघवेंद्र शुक्ला | नवभारतटाइम्स.कॉम 28 Mar 2023, 6:46 am
लखनऊ: एक ओर अतीक अहमद पर साल 2006 में उमेश पाल अपहरण मामले में कोर्ट का शिकंजा कसने वाला है। वहीं दूसरी ओर बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी 23 साल पुराने एक मामले में कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कारापाल और उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव और जानमाल की धमकी देने के 23 साल पुराने मामले में एसीजेएम अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने मुख्तार अंसारी समेत 4 अभियुक्तों को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों पर लगाए गए आरोपों को साबित करने में असफल रहा है।
नवभारतटाइम्स.कॉम मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी


लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने तीन अप्रैल, 2000 को इस मामले की एफआईआर आलमबाग थाने में दर्ज करवाई थी। केस के मुताबिक पेशी से लौटे बंदियों को जेल में दाखिल करवाया जा रहा था। इस दौरान बंदी चांद को विधायक मुख्तार अंसारी के साथी पीटने लगे। कारापाल एसएन द्विवेदी व उपकारापाल बैजनाथ राम चौरसिया और कुछ अन्य बंदीरक्षक उसे बचाने का प्रयास करने लगे। इस पर उन्होंने दोनों जेल अधिकारियों व प्रधान बंदीरक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया।

इस मामले में आरोपी लालजी यादव, कल्लू पंडित, युसूफ चिश्ती एवं आलम के विरुद्ध 17 अगस्त, 2021 को आरोप तय किए गए थे जबकि मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 28 मार्च, 2022 को आरोप तय किए गए थे। पत्रावली के अनुसार, घटना की शिकायत जेलर एसएन द्विवेदी और उप जेलर बैजनाथ राम ने एक अप्रैल, 2000 को लखनऊ के आलमबाग थाना में दर्ज कराई थी। उसमें कहा गया था कि 29 मार्च, 2000 को शाम करीब छह बजे पेशी से वापसी के बाद जब बंदी जेल में जा रहे थे, उसी समय माफिया विधायक मुख्तार अंसारी अपने साथियों युसूफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित, प्रभु जिंदर सिंह एवं लालजी यादव के साथ कैदी चांद के बैरक में घुस गया और उसे मारना शुरू कर दिया।

आरोप था कि जब जेलर और उप जेलर ने चांद को बचाने का प्रयास किया तो आरोपियों ने जेल के अधिकारियों व प्रधान बंदी रक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया। यह भी आरोप था कि अलार्म बजने पर पर आरोपी पथराव करते हुए अपने-अपने बैरक में चले गए तथा दोनों जेल अधिकारियों को धमकी दी थी कि उन्हें व उनके परिवार को जान से मार दिया जाएगा।

(भाषा इनपुट के साथ)
लेखक के बारे में
राघवेंद्र शुक्ला
राघवेंद्र शुक्ल ने लिखने-पढ़ने की अपनी अभिरुचि के चलते पत्रकारिता का रास्ता चुना। नई दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल करने के बाद जुलाई 2017 में जनसत्ता में बतौर ट्रेनी सब एडिटर दाखिला हो गया। वहां के बाद नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की लखनऊ टीम का हिस्सा बन गए। यहां फिलहाल सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रड्यूसर के पद पर तैनाती है। देवरिया के रहने वाले हैं और शुरुआती पढ़ाई वहीं हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री है। साहित्यिक अभिरूचियां हैं। कविता-उपन्यास पढ़ना पसंद है। इतिहास के विषय पर बनी फिल्में देखने में दिलचस्पी है। थोड़ा-बहुत गीत-संगीत की दुनिया से भी वास्ता है।... और पढ़ें

अगला लेख

Metroकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर