लखनऊ
यूपी के मुख्य सचिव का फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर ठगी के मामले में साइबर क्राइम के बड़े रैकेट का पता चला है। यूपी एसटीएफ की गिरफ्त में आए शराफत उर्फ काला ने बताया कि उसे मथुरा निवासी साबिर ने जालसाजी सिखाई थी। साबिर ने शराफत समेत उसके गांव मडौरा और करीबी गांव देवसेरस के लगभग 100 से 150 लोगों को साइबर जालसाजी सिखाई है। उधर, गोरखपुर में किसी भी दस्तावेज से अंगूठे का निशान मिलने के बाद उसका क्लोन तैयार कर ग्राहक सेवा केंद्र के जरिए करीब ढाई करोड़ रुपये उड़ाने वाला गैंग पुलिस की गिरफ्त में आया है। गैंग के आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ के मुताबिक, पूछताछ में सामने आया है कि ये लोग रेंडम नंबर को फेसबुक आईडी और पासवर्ड में डालकर हैकिंग का प्रयास करते रहते है। जिन फेसबुक प्रोफाइल का आईडी और पासवर्ड का नंबर एक ही होता है, वह आसानी से हैक हो जाती है। वहीं कुछ लोगों की प्रोफाइल से पता लग जाता है कि वह बहुत पैसेवाले हैं। उसकी बात को उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोग मना नहीं करेंगे।
प्रोफाइल फोटो कॉपी कर बनाते हैं फेक अकाउंट
ये लोग उनकी प्रोफाइल फोटो को कॉपी कर उनके नाम की फेसबुक प्रोफाइल बना लेते है और उनकी फ्रेंड लिस्ट को खंगालने के बाद चुनिंदा लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते है। इनमें से तमाम लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते है। फिर उनको मैसेंजर पर वॉइस टाइपिंग के माध्यम से मैसेज भेजकर किसी का एक्सीडेंट होने या बीमार होने की बात कहकर आर्थिक मदद मांगते हैं।
असम, उड़ीसा, महाराष्ट्र से फर्जी नाम-पते पर लेते हैं सिम
जो लोग रुपये देने के लिए राजी हो जाते है उनको फर्जी नाम पते पर खोले गए पेटीएम, फोन पे, गूगल-पे यूपीआई अकाउंट भेज कर रुपये जमा करने को कहते हैं। पैसा आने पर उसे अलग-अलग अकाउंट में जमा करा दिया जाता था। शराफत के मुताबिक इंटरनेट कॉलिंग के लिए वे लोग सिम असम, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैसे दूसरे राज्यों से फर्जी नाम पते पर लेते हैं।
गोरखपुर में अंगूठा निशान से क्लोन बना खातों से गैंग ने 2.5 करोड़ उड़ाए
किसी भी दस्तावेज से अंगूठे का निशान मिलने के बाद उसका क्लोन तैयार कर ग्राहक सेवा केंद्र के जरिए करीब ढाई करोड़ रुपये उड़ाने वाला गैंग पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। गैंग के आठ लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस ने काफी मात्रा में फिंगर प्रिंट, 1500 से ज्यादा आधार कार्ड नंबर सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। एसएसपी जोगेन्द्र कुमार ने बताया कि आरोपियों पर गैंगस्टर लगाया जाएगा। एनएसए भी लगाने की तैयारी है।
जालसाजी की शिकायत की जांच पर सामने आया बड़ा गिरोह
गोरखपुर के एसएसपी जोगिंदर कुमार ने बताया कि रामगढ़ताल इलाके के सुनील सिंह के खाते से बीस हजार रुपये की जालसाजी की शिकायत पुलिस के पास आई थी। इसमें ग्राहक सेवा केंद्र से रुपये निकाले गए थे। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि इसके पीछे एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है। तमाम और शिकायतें मिलीं तो क्राइम ब्रांच को लगाया गया।
पुलिस ने बरामद किया ये सामान
गिरोह का पता चला तो उसके 8 सदस्यों को दबोच कर उनके पास से 775 फिंगरप्रिंट, 4 बायोमीट्रिक डिवाइस, 9 विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, 12 सिम कार्ड, 10 मोबाइल, 135 रजिस्ट्री पेपर, 1574 आधार कार्ड डाटा, एक लैपटॉप, दो चार पहिया वाहन, 44,800 रुपये नकद, एक प्रिंटर और एक स्कैनर बरामद किया गया। एसएसपी ने गिरोह को दबोचने वाली टीम को 50,000 रुपये का इनाम दिया है।
इस तरह करते थे जालसाजी
आरोपितों के मुताबिक, जरूरतमंदों को पैसों का लालच देकर ग्राहक सेवा केंद्र एजेंट बैंकों में खाता खोल कर संबंधित की आईडी, पासवर्ड, एटीएम कार्ड, चेकबुक, पासबुक, इंटरनेट बैंकिंग किट अपने पास रख ली जाती थी। लोगों की रजिस्ट्री संबंधी कागजात से आधार कार्ड नंबर व फिंगर प्रिंट प्राप्त कर उनके फिंगर प्रिंट का क्लोन बनाकर बैंक खाते से रुपये सीएसपी अकाउंट/ ग्राहक सेवा केंद्र एजेंट खाता में ट्रांसफर करने के बाद विभिन्न बैंक खाते में रुपये ट्रांसफर कर एटीएम से निकाल लेते थे।
यूपी के मुख्य सचिव का फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर ठगी के मामले में साइबर क्राइम के बड़े रैकेट का पता चला है। यूपी एसटीएफ की गिरफ्त में आए शराफत उर्फ काला ने बताया कि उसे मथुरा निवासी साबिर ने जालसाजी सिखाई थी। साबिर ने शराफत समेत उसके गांव मडौरा और करीबी गांव देवसेरस के लगभग 100 से 150 लोगों को साइबर जालसाजी सिखाई है। उधर, गोरखपुर में किसी भी दस्तावेज से अंगूठे का निशान मिलने के बाद उसका क्लोन तैयार कर ग्राहक सेवा केंद्र के जरिए करीब ढाई करोड़ रुपये उड़ाने वाला गैंग पुलिस की गिरफ्त में आया है। गैंग के आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।
प्रोफाइल फोटो कॉपी कर बनाते हैं फेक अकाउंट
ये लोग उनकी प्रोफाइल फोटो को कॉपी कर उनके नाम की फेसबुक प्रोफाइल बना लेते है और उनकी फ्रेंड लिस्ट को खंगालने के बाद चुनिंदा लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते है। इनमें से तमाम लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते है। फिर उनको मैसेंजर पर वॉइस टाइपिंग के माध्यम से मैसेज भेजकर किसी का एक्सीडेंट होने या बीमार होने की बात कहकर आर्थिक मदद मांगते हैं।
असम, उड़ीसा, महाराष्ट्र से फर्जी नाम-पते पर लेते हैं सिम
जो लोग रुपये देने के लिए राजी हो जाते है उनको फर्जी नाम पते पर खोले गए पेटीएम, फोन पे, गूगल-पे यूपीआई अकाउंट भेज कर रुपये जमा करने को कहते हैं। पैसा आने पर उसे अलग-अलग अकाउंट में जमा करा दिया जाता था। शराफत के मुताबिक इंटरनेट कॉलिंग के लिए वे लोग सिम असम, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैसे दूसरे राज्यों से फर्जी नाम पते पर लेते हैं।
गोरखपुर में अंगूठा निशान से क्लोन बना खातों से गैंग ने 2.5 करोड़ उड़ाए
किसी भी दस्तावेज से अंगूठे का निशान मिलने के बाद उसका क्लोन तैयार कर ग्राहक सेवा केंद्र के जरिए करीब ढाई करोड़ रुपये उड़ाने वाला गैंग पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। गैंग के आठ लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस ने काफी मात्रा में फिंगर प्रिंट, 1500 से ज्यादा आधार कार्ड नंबर सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। एसएसपी जोगेन्द्र कुमार ने बताया कि आरोपियों पर गैंगस्टर लगाया जाएगा। एनएसए भी लगाने की तैयारी है।
जालसाजी की शिकायत की जांच पर सामने आया बड़ा गिरोह
गोरखपुर के एसएसपी जोगिंदर कुमार ने बताया कि रामगढ़ताल इलाके के सुनील सिंह के खाते से बीस हजार रुपये की जालसाजी की शिकायत पुलिस के पास आई थी। इसमें ग्राहक सेवा केंद्र से रुपये निकाले गए थे। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि इसके पीछे एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है। तमाम और शिकायतें मिलीं तो क्राइम ब्रांच को लगाया गया।
पुलिस ने बरामद किया ये सामान
गिरोह का पता चला तो उसके 8 सदस्यों को दबोच कर उनके पास से 775 फिंगरप्रिंट, 4 बायोमीट्रिक डिवाइस, 9 विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, 12 सिम कार्ड, 10 मोबाइल, 135 रजिस्ट्री पेपर, 1574 आधार कार्ड डाटा, एक लैपटॉप, दो चार पहिया वाहन, 44,800 रुपये नकद, एक प्रिंटर और एक स्कैनर बरामद किया गया। एसएसपी ने गिरोह को दबोचने वाली टीम को 50,000 रुपये का इनाम दिया है।
इस तरह करते थे जालसाजी
आरोपितों के मुताबिक, जरूरतमंदों को पैसों का लालच देकर ग्राहक सेवा केंद्र एजेंट बैंकों में खाता खोल कर संबंधित की आईडी, पासवर्ड, एटीएम कार्ड, चेकबुक, पासबुक, इंटरनेट बैंकिंग किट अपने पास रख ली जाती थी। लोगों की रजिस्ट्री संबंधी कागजात से आधार कार्ड नंबर व फिंगर प्रिंट प्राप्त कर उनके फिंगर प्रिंट का क्लोन बनाकर बैंक खाते से रुपये सीएसपी अकाउंट/ ग्राहक सेवा केंद्र एजेंट खाता में ट्रांसफर करने के बाद विभिन्न बैंक खाते में रुपये ट्रांसफर कर एटीएम से निकाल लेते थे।