सिविल, बलरामपुर समेत सभी अस्पतालों में मरीजों को झेलनी पड़ी मुसीबत
\Bएनबीटी, लखनऊ : \Bउत्तर प्रदेश हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रॉजेक्ट (यूपीएचएसएसपी) के तहत प्रदेश के अस्पतालों में तैनात दस हजार स्वास्थ्यकर्मियों की कार्य सेवा शुक्रवार से समाप्त कर दी गई है। इन स्वास्थ्यकर्मियों को सेवा बढ़ाने का आश्वासन शासन से मिला था, लेकिन मिशन निदेशक की ओर से विस्तारीकरण को लेकर कोई निर्देश न आने से नाराज कर्मचारियों ने सिविल, बलरामपुर, बीआरडी समेत सभी अस्पतालों में विरोध जताया। इससे अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
\Bओपीडी से लेकर इमरजेंसी में इलाज प्रभावित \B
सिविल, बलरामपुर, लोकबंधु समेत सभी सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों के विरोध के बाद से ओपीडी, पर्चा काउंटर, जांच काउंटर समेत इमरजेंसी में मरीजों के भर्ती प्रक्रिया भी प्रभावित रही। मरीजों को जांच करवाने और पर्चा बनवाने के लिए तीन-तीन घंटे लाइन में खड़ा होना पड़ा।
\Bअनिश्चितकालीन विरोध की दी चेतावनी\B
संविदा कर्मचारी नेता शोभित ने बताया कि प्रदेश में करीब दस हजार कर्मचारी अस्पतालों में तैनात हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि शासन ने उन्हें अस्पताल में समायोजित नहीं किया तो सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप कर दी जाएंगी।
\Bयहां से इतने निकाले गए कर्मचारी\B
सिविल अस्पताल : 17
झलकारीबाई अस्पताल : 8
लोकबंधु अस्पताल : 11
डफरिन : 7
बलरामपुर अस्पताल : 15
रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल : 8