प्रवीण राय, लखनऊ
अगर आप अपना घर बनवाने की सोच रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। लंबे अरसे से चढ़े हुए मौरंग-बालू के भाव कम होने लगे हैं। जिससे कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में भी काफी कमी आई है। बीते दो महीने में मौरंग का रेट 45 रुपये तक कम हुआ है। दो महीने पहले तक 100 से 115 रुपये घन फुट में बिकने वाली मौरंग अब 60 से 70 रुपये में बिक रही है।
जानकारों का कहना है कि यह गिरावट खनन के कुछ पट्टों के आवंटन के बाद आई है। हालांकि यह अब भी 2016 के न्यूनतम रेट 25 रुपये घन फुट से काफी ज्यादा है। उप्र सीमेंट असोसिएशन के अध्यक्ष श्याम मूर्ति गुप्ता के मुताबिक सरकार ने पट्टे करने शुरू कर दिए हैं। जिसकी वजह से आवक बढ़ी और रेट कम हुए हैं। हालांकि सरकार ने पट्टों की रॉयल्टी ज्यादा रखी है, जिसकी वजह से ज्यादा गिरावाट नहीं आ रही है।
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2016 में 2200 घन फुट के लिए सरकारी रॉयल्टी 8 हजार रुपये थी। अब 500 घन फुट के लिए रॉयल्टी 22 हजार रुपये कर दी गई है। इस दौरान करीब 12 से 15 हजार रुपये तक पट्टेदार का खर्च बैठता है। ऐसे में मुनाफा पहले से कम हो गया है। रेट कम करने पर मुनाफा और भी कम हो जाएगा। यही वजह है कि आगे चलकर रेट कम होने की उम्मीद काफी कम है।
...लेकिन सरिया हुई महंगी
मौरंग और बालू के दाम भले ही कम हुए हों लेकिन सरिया दस रुपये प्रति किलो तक महंगी हो गई है। जनवरी के आखिर दिन और फरवरी के पहले सप्ताह तक सरिया 40 रुपये किलो थी। अब यह पचास रुपये किलो हो गई है। वहीं टाटा और अन्य ब्रैंडेड कंपनियों की सरिया 60 रुपये किलो में मिल रही है। हालांकि सीमेंट का रेट तीन महीने से जस के तस हैं। सीमेंट कारोबारियों की दलील है कि कम्पनियां मनमानी करती हैं। लागत के हिसाब से रेट काफी ज्यादा है, जिसे कम किया जाना चाहिए
अगर आप अपना घर बनवाने की सोच रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। लंबे अरसे से चढ़े हुए मौरंग-बालू के भाव कम होने लगे हैं। जिससे कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में भी काफी कमी आई है। बीते दो महीने में मौरंग का रेट 45 रुपये तक कम हुआ है। दो महीने पहले तक 100 से 115 रुपये घन फुट में बिकने वाली मौरंग अब 60 से 70 रुपये में बिक रही है।
जानकारों का कहना है कि यह गिरावट खनन के कुछ पट्टों के आवंटन के बाद आई है। हालांकि यह अब भी 2016 के न्यूनतम रेट 25 रुपये घन फुट से काफी ज्यादा है। उप्र सीमेंट असोसिएशन के अध्यक्ष श्याम मूर्ति गुप्ता के मुताबिक सरकार ने पट्टे करने शुरू कर दिए हैं। जिसकी वजह से आवक बढ़ी और रेट कम हुए हैं। हालांकि सरकार ने पट्टों की रॉयल्टी ज्यादा रखी है, जिसकी वजह से ज्यादा गिरावाट नहीं आ रही है।
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2016 में 2200 घन फुट के लिए सरकारी रॉयल्टी 8 हजार रुपये थी। अब 500 घन फुट के लिए रॉयल्टी 22 हजार रुपये कर दी गई है। इस दौरान करीब 12 से 15 हजार रुपये तक पट्टेदार का खर्च बैठता है। ऐसे में मुनाफा पहले से कम हो गया है। रेट कम करने पर मुनाफा और भी कम हो जाएगा। यही वजह है कि आगे चलकर रेट कम होने की उम्मीद काफी कम है।
...लेकिन सरिया हुई महंगी
मौरंग और बालू के दाम भले ही कम हुए हों लेकिन सरिया दस रुपये प्रति किलो तक महंगी हो गई है। जनवरी के आखिर दिन और फरवरी के पहले सप्ताह तक सरिया 40 रुपये किलो थी। अब यह पचास रुपये किलो हो गई है। वहीं टाटा और अन्य ब्रैंडेड कंपनियों की सरिया 60 रुपये किलो में मिल रही है। हालांकि सीमेंट का रेट तीन महीने से जस के तस हैं। सीमेंट कारोबारियों की दलील है कि कम्पनियां मनमानी करती हैं। लागत के हिसाब से रेट काफी ज्यादा है, जिसे कम किया जाना चाहिए