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Coronavirus 4th wave: 15 जुलाई तक चौथी लहर का पीक, डरने की जरूर नहीं, इस बार की लहर होगी छोटी: IIT कानपुर

Coronavirus News: आईआईटी कानपुर के प्रो. मणींद्र अग्रवाल का अनुमान है कि कोरोना की चौथी लहर का पीक 15 जुलाई तक आएगा। इस समय सबसे ज्‍यादा कोरोना के केस होंगे लेकिन इनकी संख्‍या 15 से 20 जुलाई के बीच 25 हजार तक पहुंचेगी। लेकिन इस बार यह लहर बड़ी नहीं होगी।

Edited byआलोक भदौरिया | नवभारत टाइम्स 27 Jun 2022, 3:16 pm
लखनऊ: कोरोना वायरस की चौथी लहर ( corona 4th wave) का पीक जुलाई में आ सकता है। 15 जुलाई तक संक्रमण के सर्वाधिक केस आएंगे, इसके बाद कमी आ सकती है। आईआईटी कानपुर के प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने गणितीय मॉडल के आधार पर बताया कि देश में रोज आने वाले कोरोना (corona pendemic) मामलों की संख्या 17 हजार पार गई है। यह 15 से 20 जुलाई तक 25 हजार केस तक पहुंचेगी। यूपी में भी इसी के आसपास पीक आने की उम्मीद है। हालांकि इस बार बड़ी लहर आने की आशंका नहीं है।
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प्रतीकात्‍मक चित्र


डॉ. मणींद्र ने बताया कि अब तक के आंकड़ों के आधार पर इस बार कोरोना की एक छोटी लहर ही है। इसकी पिछली लहरों से तुलना नहीं की जा सकती है। प्रदेश और जिला स्तर पर अलग से आंकलन किया जा रहा है। अब तक सामने आया कैलकुलेशन देश की स्थिति से अलग नहीं है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यूपी और लखनऊ में भी जुलाई मध्य के बाद केस कम होने लगेंगे।

बाहर से आने वाले फैला रहे संक्रमण
शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग इसका कारण बाहर से आने वालों को मान रहा है। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के दौरान ज्यादातर मामलों में दूसरे राज्यों या शहरों से आने वालों के कारण संक्रमण फैलने की पुष्टि हुई है। वर्तमान में शहर में नौ सौ से ज्यादा सक्रिय केस हैं। पिछले एक सप्ताह में 135 मरीज कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग जबकि 90 ट्रैवल हिस्ट्री वाले मिले हैं।

लखनऊ के जिला सर्विलांस अधिकारी मिलिंद वर्धन के अनुसार लखनऊ में नैशनल और इंटरनैशनल कनेक्टिविटी आसान है। इसके साथ ही बड़े अस्पतालों की संख्या भी अधिक होने से पूरे प्रदेश से लोग इलाज करवाने के लिए आते हैं। इलाज से पहले लक्षण के आधार पर जांच में संक्रमण का पता चल रहा है।

सेकंड्री कॉन्टैक्ट पर फोकसकोरोना नियंत्रण के लिए अब सेकंड्री कॉन्टैक्ट पर फोकस किया जा रहा है। संक्रमित सामने आने पर प्राइमरी संपर्क में आने वालों की आरटीपीसीआर जांच करवाई जा रही है। इसके साथ ही हफ्ते दस दिन के अंदर मिलने वाले सेकंड्री कॉन्टैक्ट जिनमें पड़ोसी या साथ काम करने वाले शामिल हैं, उनकी भी एंटिजेन जांच करवाई जा रही है। ऐसे में 20 से 25 लोगों के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के आधार पर सैंपल लिए जा रहे हैं।
लेखक के बारे में
आलोक भदौरिया
आलोक भदौरिया असिस्टेंट न्यूज़ एडिटर हैं। 2008 से टाइम्‍स ग्रुप के सदस्य रहे हैं। पहले नवभारत टाइम्‍स प्रिंट दिल्‍ली में अब एनबीटी ऑन लाइन के साथ लखनऊ में।... और पढ़ें

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