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फरहान अख्तर जैसी फिल्म बनाने की है चाहत: अविनाश सचदेव

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Navbharat Times 23 Sep 2017, 9:00 am

Mulayam.Yadav@timesgroup.com

पैरंट्स चाहते थे मैं आईएएस बनूं, मैं चाहता था फाइटर प्लेन पायलेट बनूं लेकिन किस्मत अलग ही चाहती थी और मैं एक्टर बन गया। यह कहना है कि छोटी बहू, बात हमारी पक्की है, इस प्यार को क्या नाम दूं और बालिका वधू जैसे सीरियल में एक्टिंग के जौहर दिखा चुके टीवी एक्टर अविनाश सचदेव का। इंडस्ट्री में 16 साल गुजार चुके अविनाश की पहचान तो एक एक्टर के तौर पर है लेकिन उन्होंने पहले डायरेक्शन की फील्ड में हाथ आजमाया था। यही वजह है कि अब भी वह ट्रैवल डॉक्यूमेंट्री भी बनाते रहते हैं। अविनाश जल्द ही स्टार भारत के सीरियल अयुष्मान भव में अविनाश दूबे की भूमिका में नजर आ रहे हैं। पुनर्जन्म पर आधारित इस शो में मासूमियत, छल, कपट और बदला जैसी चीजें देखने को मिलेंगी।

किस्मत से आया इंडस्ट्री में

गुजरात से ताल्लुक रखने वाले अविनाश कहते हैं कि पैरंट्स का अपना बिजनेस है लेकिन वह चाहते थे कि मैं आईएएस बनूं। मेरा सपना फाइटर पायलेट बनने का था लेकिन आंखों में चश्मा लगने की वजह से यह सपना महज सपना बनकर रह गया। इसके बाद करने के लिए कुछ बचा नहीं तो मैंने पापा को कहा कि मैं आपका बिजनेस संभाल लेता हूं क्योंकि इस घर का मैं ही अकेला वारिस हूं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि यह कंपनी मेरी मेहनत से खड़ी की गई है। इसमें तेरा कोई रोल नहीं। मैं कंपनी बंद कर दूंगा लेकिन इसकी कमान तेरे हाथ में नहीं दूंगा। मैं अब और परेशान हो गया। घर के पास ही एक स्टूडियो था। मैं वहां काम मांगने चला गया। उन्होंने कहा एडी (असिस्टेंट डायरेक्टर) बनोगे तो मैंने बिना इसका फुल फॉर्म जाने ही हां कर दी। इस दौरान काम करने में मजा आने लगा और मैं काम सीखता गया। आखिर में मैंने मुंबई जाकर डायरेक्शन करने का मन बनाया लेकिन किस्मत ने एक बार फिर से यू टर्न मार लिया।

फरहान अख्तर को किया असिस्ट

मुंबई गया तो लोगों ने कहा कि कहां डायरेक्शन के चक्कर में पड़े हो। दिखने में हैंडसम हो, एक्टर बनो। वैसे भी लोग एक्टर बनने के लिए मरे जा रहे हैं और तुम हो कि चार्म को ठुकरा रहे हो और इत्तेफाक ऐसा हुआ कि मुझे सीरियल में काम मिल गया। मेरा सबसे पहला शो हातिम था। इसके बाद मैंने करम अपना अपना, ख्वाहिश, किस देश में है मेरा दिल, छोटी बहू, इस प्यार को क्या नाम दूं जैसे शोज किए। टीवी के सफर के दौरान कभी काम की कमी नहीं पड़ी इसलिए डायरेक्शन पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाया। हालांकि, मैं आज भी मल्टी टास्किंग में यकीन रखता हूं। बहुत पहले मुझे किसी ने कहा था कि अगर तुम्हारे अंदर डायरेक्शन का जरा भी कीड़ा होगा तो डायरेक्शन की ओर जरूर लौटोगे। यही वजह है कि मैं लद्दाख पर डॉक्यूमेंट्री और दूसरे एडवेंचरस विडियोज बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर डालता रहा हूं। मैंने रॉक ऑन मूवी में फरहान अख्तर को भी असिस्ट किया है।

टीवी को चाहिए एक्सपेरिमेंट का डोज

अपने आने वाले सीरियल आयुष्मान भव: के बारे में अविनाश बताते हैं कि यह एक पुनर्जन्म पर आधारित कहानी है। यह एक आठ साल के बच्चे कृष की कहानी है, जिसे अपने पिछले जन्म में हुईं सभी घटनाएं याद आने लगती हैं। इसमें उसके हत्या से जुड़ी कहानी जब उसके सामने आती है तो वह अपने दुश्मनों से बदला लेने की ठान लेता है। इसमें मेरा किरदार पिछले जन्म के अविनाश दुबे का है, जिसे मार दिया गया है। कहानी वर्तमान और फ्लैशबैक दोनों में साथ-साथ चलती है। मथुरा की पृष्ठभूमि पर आधारित इस शो की शूटिंग मथुरा में भी हुई है। यह कहानी और किरदार मुझे काफी अलग लगा, इसलिए मैंने इसे निभाने का फैसला किया। जहां तक टीवी की बात करें तो मेरा मानना है कि टीवी इंडस्ट्री में कंटेंट को लेकर बदलाव की जरूरत है क्योंकि ऑडियंस बदल रही है। अब वह सास-बहू के इतर कॉन्सेप्चुअल कहानी देखना चाहती है। इस चीज को मैंने लॉस एंजेल्स में अटेंड की गई वर्कशॉप के दौरान महसूस किया। इस किरदार के लिए खुद को तैयार करना चैलेंजिंग था क्योंकि यह एक 24 साल के लड़के की कहानी है और मैं 31 का हो गया हूं। यंग दिखने के लिए मैंने खूब पसीना बहाया और तीन महीने की जिमिंग के दौरान मैंने लगभग दस किलो वजन कम किया है।

दिल चाहता है जैसी फिल्म करनी है डायरेक्ट

अगर डायरेक्शन की बात करें तो मैं एक फिल्म डायरेक्ट करना चाहूंगा। मुझे 'दिल चाहता है' और 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' जैसी फिल्में डायरेक्ट करने का बहुत मन है। इन फिल्मों में फ्रेशनेस नजर आती है, जिसके साथ ऑडियंस जुड़ना चाहती है। फरहान अख्तर मुझे निजी तौर पर पसंद हैं क्योंकि वे बेहद टैलंटेड एक्टर हैं, जो न सिर्फ एक्टिंग बल्कि डायरेक्शन और सिंगिंग भी करते हैं। इससे पहले मैं लखनऊ अपने दोस्त की शादी अटेंड करने आया था। मुझे यहां के गलावटी कबाब बहुत पसंद हैं। इसके अलावा यहां से चिकन के कुर्ते भी खरीद कर ले गया था। इस बार भी लखनऊ की वही याद लेकर आया हूं, यहां का नॉनवेज जमकर टेस्ट करूंगा।

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