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जन्नत की जो वादियां लोगों के मन में जोश भर देती हैं वही वादियां इकबाल खान को उदास और स्याह लगती हैं। इतनी उदास कि वहां की तस्वीरें वह अक्सर अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं। टीवी इंडस्ट्री का अहम हिस्सा होने के बाद भी वे कश्मीर के मुद्दों पर अपनी राय देने से नहीं चूकते। वे भारत अम्मी की जय कहने का साहस रखते हैं तो ओवैसी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देने से नहीं घबराते। उनका कश्मीर आज भी एक छोटे बच्चे की तरह है, जिसे देश के हुक्मरानों ने सही से गाइड नहीं किया और यही बच्चा (कश्मीर) देश की सबसे बड़ी मुसीबत बन गया है। कैसा ये प्यार है, छूना है आसमान, काव्यांजलि और विरसा जैसे सीरियल्स में दमदार रोल की वजह से खास पहचान बनाने वाले इकबाल खान ने अपनी एक्टिंग और कश्मीर जैसे मुद्दों पर खुलकर बातचीत की।
बेच आया हूं डैड की मारुति
कश्मीर में जब हालात खराब हुए तो मैंने घर छोड़ दिया। वहां से मैं कसौली आ गया और वहीं पढ़ाई की। फिर मैं दिल्ली गया और मॉडलिंग करने लगा। इसी दौरान एक्टिंग का शौक चढ़ा तो सोचा क्यों न मुंबई में एकबार किस्मत आजमा ली जाए। खुदा का शुक्र है कि मैं इंडस्ट्री में फिट हो गया। न सिर्फ फिट हुआ बल्कि लोगों को मेरी एक्टिंग भी खूब पसंद आई। मेरे पिता रिटायर्ड आईएएस हैं। बेहद सिंपल किस्म के इनसान हैं वो। उन्होंने करियर को लेकर कभी मेरे ऊपर दबाव नहीं बनाया। अब मैंने ठीक-ठाक पैसा कमा लिया तो सोचा उन्हें कुछ लेकर दूं। हालांकि, अभी मैं उनकी कई साल पुरानी मारुति 800 बेचकर आया हूं।
कश्मीर एक बच्चा है
'मेरे जन्नत को मरम्मत की जरूरत है।' इकबाल खान के ट्विटर अकाउंट में इस तरह के कई पोस्ट और तस्वीरें मिल जाएंगी। इसके पीछे की कहानी के बारे में वे कहते हैं कि कश्मीर से मुझे बहुत प्यार है। वहां मेरा दिल बसता है लेकिन वहां के हालात की वजह से अब दूरियां पैदा हो गई हैं। आज जो कश्मीर के हालात हैं, वह कुछ हफ्तों या महीनों का नतीजा नहीं है। कई साल कश्मीर को गलत ढंग से हैंडल करने का नतीजा है यह। कश्मीर तो एक बच्चा है। आप ही बताइए अगर कोई बच्चा गलती करता है तो क्या आप उसे सबसे अलग कर देते हैं या मनमाने ढंग से बर्ताव करते हैं। कश्मीर के साथ यही हुआ है। कश्मीर के हालात हमेशा ऐसे नहीं थे।
बोलूंगा, भारत अम्मी की जय
दो संप्रदायों के बीच खटास पैदा करने की स्क्रिप्ट (कहानी) नई नहीं है। ऐसी स्क्रिप्ट तो अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है। कभी आपने सुना है कि जातीय दंगों के दौरान कोई नेता, उसका बेटा या सगा संबंधी मरा। ऐसी हिंसा में तो आम लोग मारे जाते हैं। वही आम लोग, जो हुक्मरानों के लिए मरने तक तैयार हो जाते हैं, बिना यह जाने कि क्या वाकई में उन्हें मार-काट करने की जरूरत है। अब भारत माता की जय वाला ही विवाद ले लीजिए। देश की जय बोलने में भला किसे आपत्ति लेकिन ओवैसी और साक्षी महाराज जैसे लोग इन विवादों के जरिए सियासी रोटियां सेंक लेते हैं और हम लोग आसानी से उनका मोहरा बन जाते हैं। मैं तो बोलूंगा भारत अम्मी की जय। मुझे कोई आपत्ति नहीं है साहब।
नई इमेज की तलाश है
पुराने किरदारों से अलग हटकर मैं कोई नया रोल करना चाहता था इसलिए 'विरसा' में पंजाबी रोल एक्सेप्ट कर लिया। कसौली में मेरे साथ कुछ पंजाबी दोस्त भी रहते थे तो वहीं से पंजाबी टच सीख लिया था। इसके अलावा, रोल को और मजबूती से निभाने के लिए मैं पंजाब यूनिवर्सिटी गया। वहां स्टूडेंट्स के बीच उन्हें बोलते हुए सुनता और हाव-भाव कॉपी करने की कोशिश की।