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मुझे सब गरीब और फटेहाल दिखाना चाहते थे : सीमा काजमी

ZebaHasan@timesgroup...

Navbharat Times 25 Jul 2017, 9:00 am

Zeba.Hasan@timesgroup.com

फिल्म चक दे इंडिया में झारखंड से आने वाली हॉकी प्लेयर रानी डिस्पोटा को भला कौन भूल सकता है, लेकिन रानी यानि सीमा काजमी झारखंड की नहीं अपने यूपी की बेटी हैं। आजमगढ़ से जुड़ीं सीमा को फिल्म चक दे इंडिया ने पहचान तो दिलाई, लेकिन अपने इस किरदार की वजह से ही इंडस्ट्री में उन्हें दो साल परेशानी का सामना करना पड़ा था। काफी टाइम तक लोग यही समझते रहे कि सीमा झारखंड की कोई प्लेयर हैं। जब लोगों ने जाना कि सीमा प्लेयर नहीं बल्कि एक्टर हैं तो फिर उन्हें सबने उसी तरह के रोल ऑफर मिलने शुरू हुए। यूपी के आजमगढ़ और लखनऊ से ताल्लुक रखने वाली सीमा ने अपने करियर से जुड़ी ऐसी ही कई दिलचस्प बातों को हमारे साथ शेयर किया।

पहली बार कर रही हूं कॉमेडी

इन दिनों स्टार प्लस के शो 'इस प्यार को क्या नाम दूं' में मेन लीड चांदनी की मासी काजल का किरदार निभा रहीं सीमा का तकिया कलाम हिट हो गया है। शो में हर बात में 'लिपिश्टिक की कसम' बोलने वाली सीमा कहती हैं कि मैं जिस रोल का इंतजार कर रही थीं, वह मुझे इस शो में करने का मौका मिला है। यह मेरा पहला प्रॉपर डेली सोप है, जिसमें मैं पहली बार कॉमिडी कर रही हूं। काफी वक्त से मैं इस इंडस्ट्री में हूं, काफी काम भी किया है, लेकिन कॉमेडी करने का मौका मुझे पहली बार मिला है। अच्छी बात यह है कि मेरे काम को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। कई लोग तो मेरा तकिया कलाम बोलकर मुझे ही सुना देते हैं। इस किरदार को निभाने में काफी मजा आ रहा है।

मुझे अलग राह पकड़नी थी

असोम में जन्मी और दिल्ली में पली-बढ़ी सीमा कहती हैं कि भले ही मैं असोम में जन्मी और दिल्ली में बड़ी हुई हूं लेकिन मेरी जड़ें यूपी में ही हैं। मेरा परिवार आज भी यूपी के आजमगढ़ में ही रहता है और लखनऊ तो मेरा सेकेंड होम है। मैं अपने दोस्तों से मिलने, प्ले करने और घूमने के लिए लखनऊ आती रहती हूं। रही बात एक्टिंग की तो, बचपन से मुझमें कुछ अलग करने का जुनून था। दिल्ली में कॉलेज टाइम में मुझे उस जुनून से मेरे दोस्तों ने रू-ब-रू करवाया। उन्होंने मुझे बताया कि रंगमंच वह जगह है, जहां मैं अपने लिए रास्ते तलाश कर सकती हूं। फिर मैंने थिएटर करना शुरू किया और कुछ ही वक्त बाद मेरा सिलेक्शल एनएसडी में हो गया।

'वॉटर' पहला प्रॉजेक्ट था

अपने करियर की शुरुआत बतौर असिस्टेंट कॉस्ट्यूम डिजाइनर करने वाली सीमा कहती हैं कि जब मैं एनएसडी में थीं, उस वक्त वॉटर फिल्म बनने जा रही थी। एक्टर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर डॉली आहलूवलिया एनएसडी में टीचर थीं। वह वॉटर के लिए कपड़े डिजाइन कर रही थीं। जब मुझसे पूछा कि क्या तुम यह फिल्म करोगी तो मैंने फौरन हां कर दी थी। इतनी बड़ी फिल्म, विदेश जाने का मौका, पहली बार प्लेन में बैठना, यह सब मेरे लिए बहुत नया और एक्साइटिंग था। मैंने उसमें डॉली मैम को असिस्ट किया था और यह फिल्म मेरे करियर का पहला प्रॉजेक्ट थी। फिल्म में मेरा एक बहुत छोटा सा रोल भी किया था, लेकिन मैं इस फिल्म को एक्टिंग करियर में नहीं जोड़ती हूं। लेकिन काम करने में बहुत मजा आया था। यहां प्रफोशनली सीखने को बहुत कुछ मिला था।

शाहरुख खान की फिल्म को न कौन कहता है

सीमा कहती हैं वॉटर करने के बाद दिल्ली से मुंबई शिफ्ट होने के बाद मुझे मेरी पहली फिल्म 'चक दे इंडिया' मिली। इस फिल्म में मुझे झारखंड की प्लेयर रानी डिस्पोटा का किरदार ऑफर हुआ। बड़े बैनर की फिल्म थी, शाहरुख खान थे फिल्म में तो मना करने जैसा कुछ था ही नहीं। सभी खिलाड़ियों को फुटेज भी अच्छा ही मिला था। लेकिन इस फिल्म को करने के बाद जैसा बॉलिवुड में आम होता है कि मुझे गरीब गुरबा लड़की वाले, मेड के, रोती फटेहाल लड़की वाले ही किरदार ऑफर होने लगे थे। चक दे के करने के दो साल तक तो मुझे काम के ही लाले पड़ गए थे। मुझे लोग रियल में झारखंड से आई प्लेयर ही समझते थे। और जब सबको पता चला कि मैं एक थिएटर एक्टर हूं तो फिर मुझे ऑफर आए लेकिन वह मुझे उसी रूप में दिखाना चाहते थे जैसी मैं चक दे में थीं। यही वजह थी कि मैंने काफी काम के लिए न कहा। मुझे अपनी ही इमेज तोड़ने में बहुत टाइम लग गया, लेकिन मैंने कर दिखाया।

सरवाइवल के लिए करती रहीं काम

खुद को हैप्पली सिंगल कहने वाली सीमा कहती हैं कि मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट रही फिल्म 'द बेस्ट एक्जॉटिक मैरीगोल्ड होटल'। पार्ट वन और पार्ट टू दोनों में मैंने काम किया और इस फिल्म का बहुत ही खूबसूरत एक्सपीरियंस था। इस फिल्म से मुझे काफी पॉपुलैरिटी मिली थी। डायरेक्टर से लेकर एक्टर तक सभी हॉलिवुड के थे। इतने बड़े-बड़े कलाकार थे, लेकिन यहां वालों की तरह किसी में कोई स्टारडम नहीं था। इस फिल्म के अलावा कुछ और भी फिल्में कीं, जिनमें कुछ चलीं, कुछ नहीं चलीं। कुछ अभी रिलीज भी नहीं हुई हैं, जिनमें से एक मोहल्ला अस्सी है। जहां तक मीडियम का सवाल है तो मैं काम लगातार करती रही हूं। थिएटर, टीवी और फिल्में तीनों जगह मैंने बैलंस बनाकर रखा है। मैंने एपिसोडिक भी करती रहती हूं, मुंबई जैसे शहर में सरवाइव करने के लिए काम तो लगातार करना ही पड़ता है।

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