लखनऊ
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का आपसी सहमति से हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता समिति के सदस्यों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी से मुलाकात की।
मौलाना रहमानी ने बताया कि पैनल ने शनिवार रात उनसे लखनऊ स्थित वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मुलाकात की। पैनल के दो सदस्यों- सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम आई कलीफ़उल्ला और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू ने उनसे मुलाकात की। हालांकि पैनल के तीसरे सदस्य आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर मौजूद नहीं थे।
मौलाना रहमानी ने कहा, 'जहां तक मध्यस्थता के समर्थन की बात है तो मैंने पैनल के सदस्यों से कल रात मुलाकात की। इससे जाहिर है कि यह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मदद ही है।' उन्होंने कहा कि हम मदद करने को तैयार हैं लेकिन यह भी साफ है कि बोर्ड के पास और कोई विकल्प नहीं है। बोर्ड सिर्फ सुप्रीम कोर्ट निर्णय ही मानेगा।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद का आपसी बातचीत से हल निकालने के लिए बीते आठ मार्च को मध्यस्थता समिति गठित की थी। न्यायालय ने समिति की कार्यवाही को बेहद गोपनीय रखने की हिदायत देते हुए इसकी मीडिया कवरेज पर पाबंदी लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता पैनल को अपनी रिपोर्ट पहले 18 जुलाई को सौंपने को कहा था मगर बाद में उसकी अवधि 31 जुलाई तक बढ़ा दी है।
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का आपसी सहमति से हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता समिति के सदस्यों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी से मुलाकात की।
मौलाना रहमानी ने बताया कि पैनल ने शनिवार रात उनसे लखनऊ स्थित वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मुलाकात की। पैनल के दो सदस्यों- सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम आई कलीफ़उल्ला और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू ने उनसे मुलाकात की। हालांकि पैनल के तीसरे सदस्य आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर मौजूद नहीं थे।
मौलाना रहमानी ने कहा, 'जहां तक मध्यस्थता के समर्थन की बात है तो मैंने पैनल के सदस्यों से कल रात मुलाकात की। इससे जाहिर है कि यह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मदद ही है।' उन्होंने कहा कि हम मदद करने को तैयार हैं लेकिन यह भी साफ है कि बोर्ड के पास और कोई विकल्प नहीं है। बोर्ड सिर्फ सुप्रीम कोर्ट निर्णय ही मानेगा।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद का आपसी बातचीत से हल निकालने के लिए बीते आठ मार्च को मध्यस्थता समिति गठित की थी। न्यायालय ने समिति की कार्यवाही को बेहद गोपनीय रखने की हिदायत देते हुए इसकी मीडिया कवरेज पर पाबंदी लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता पैनल को अपनी रिपोर्ट पहले 18 जुलाई को सौंपने को कहा था मगर बाद में उसकी अवधि 31 जुलाई तक बढ़ा दी है।