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अमस के पारंपरिक नृत्य सत्रीया ने जीता दिल

संगीत नाटक अकेडमी के संतगाडगे सभागार में जब असम का पारंपरिक लोकनृत्य सत्रीया की प्रस्तुति हुई तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। असम से आईं असमिया ...

Navbharat Times 12 Nov 2017, 6:30 am

एनबीटी, लखनऊ : संगीत नाटक अकेडमी के संतगाडगे सभागार में जब असम का पारंपरिक लोकनृत्य सत्रीया की प्रस्तुति हुई तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। असम से आईं असमिया नृत्यांगना प्रेरणा भुइयन ने शनिवार को असम के शास्त्रीय नृत्य सत्रीया की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। आईपीएएफ आर्गेनाइजेशन की ओर से हुई गजल, कथक और लोकनृत्य की शाम का दर्शकों ने खूब आनंद लिया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरणा भुइयन ने अपने एकल सत्रीय नृत्य से की। वहीं, उन्होंने भगवान राम के प्रसंगों को मंच पर जीवंत कर पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया। जिसमें उन्होंने सीता स्वयंवर, परशुराम के धनुष यज्ञ, रामेश्वरम सेतु निर्माण और हनुमान सुग्रीव के प्रसंगों को बखूबी पेश कर वाहवाही लूटी।

कार्यक्रम में जब शहर की कथक नृत्यांगना सुरभि सिंह ने भगवान कृष्ण की माखनचोरी के भावनृत्य पेश किया तो जमकर तारीफ बटोरी। गजल गायक गुलशन भारती ने अपनी गजलों से दर्शकों को ख्रूब प्रभावित किया। उन्होंने अहमद फराज की 'जुल्फ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी'…, डॉ. अनीस अंसारी की 'नज्म छोटी-छोटी बातों में'…, 'आज की रात मेरे साथ रहो कुछ न कहो'… आदि रचनाओं से वाहवाही लूटी।

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