नोट- इसकी फोटो है
नेशनल ऑर्थोबायलॉजिक असोसिएशन ऑफ इंडिया की पहली एनिवर्सरी पर बोले विशेषज्ञ
एनबीटी,लखनऊ
बच्चों में जन्मजात होने वाली हड्डियों की बीमारियों का इलाज केजीएमयू में स्टेम सेल के जरिए शुरू हो गया है। यह जानकारी केजीएमयू के डॉ. अजय ने होटल ट्यूलिप में नैशनल ऑर्थोबायलॉजिक असोसिएशन ऑफ इंडिया की पहली एनिवर्सरी पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में दी।
उन्होंने बताया कि ऑस्टियोजेनेसिस इमपरफैक्टेबल और परथीस जन्मजात होने वाली बीमारी है। इसकी वजह से बच्चों की हड्डियां जन्म से कमजोर होती हैं और अपने आप टूट जाती हैं। उन्होंने बताया कि परथीस में हिप की हड्डियां कमजोर होने का कारण इनमें खून का रिसाव बंद होना होता है। दो महीने पहले पांच साल की बच्ची के हिप में 2MM का छेद करके कैथेटर के जरिए स्टेम सेल डाला गया। अब तक यह प्रोसीजर केवल विदेश में उपलब्ध है। लेकिन अब केजीएमयू में भी इसे शुरू कर दिया गया है।
डायबिटीज में भी राहत
चेन्नै के लाइफ सेल से आए डॉ. सलाउद्दीन ने बताया कि गर्भनाल में मौजूद स्टेम सेल से डायबिटीज का इलाज संभव है। एक रिसर्च में इसकी पुष्टि भी हो चुकी है। 156 टाइप वन डायबिटीज वाले बच्चों पर की गई रिसर्च में पाया गया कि जिनके शरीर में गर्भनाल का स्टेम सेल डाला गया उनका इंसुलिन लेना बंद हो गया। जन्म से डायबिटिक ऐसे बच्चे अब केवल मेडिसिन खाकर ही सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में उन्हेांने यह भी जानकारी दी कि गर्भनाल को प्रिजर्व करने से खून की सभी व अन्य बीमारियों का इलाज संभव है। मिर्गी और ऑटिज्म जैसी बीमारियों पर भी रिसर्च चल रही है। कार्यक्रम में स्पाइनल इंजरी के हेड डॉ आरएन श्रीवास्तव ने भी स्टेम सेल की उपयोगिता पर अपनी राय रखी। इस दौरान कॉन्फ्रेंस में मुख्य वक्ता के रूप में पुणे के डॉ नारायण करणे, डॉ विवेक महाजन, सहित कई वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद थे।