लखनऊ
केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल में भर्ती महिला की जान बचाने के लिए मुंबई से ब्लड लाया गया। यह ब्लड मुंबई से इसलिए लाया गया क्योंकि यह बॉम्बे ब्लड ग्रुप था जो बहुत ही दुर्लभ होता है। यूपी में यह ब्लड ग्रुप नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने दूसरे शहरों के डॉक्टर्स से संपर्क किया काफी प्रयास के बाद दो यूनिट ब्लड ग्रुप बॉम्बे से मिला। हवाई जहाज से ब्लड ग्रुप लाया गया। जिसके चढ़ाने से मां और उसके बच्चे की जान बचाई जा सकी।
एक गर्भवती महिला को केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल लाया गया। उसकी हालत बहुत खराब थी, डॉक्टर्स ने उसकी सर्जरी करने का फैसला किया। डॉक्टर्स ने जांच की तो पता चला कि उसके शरीर में मात्र पांच ग्राम हीमोग्लोबिन है। महिला की सर्जरी नहीं हो सकती थी। महिला और गर्भ में उसके बच्चे दोनों की जान को खतरा था। डॉक्टर्स ने महिला का ब्लड चढ़ाने का फैसला किया। ब्लड ग्रुप चेक किया गया तो पता चला कि महिला का ब्लड ग्रुप बॉम्बे ब्लड ग्रुप का है जो बहुत ही दुर्लभ है। ऐसे में डॉक्टर्स ने बॉम्बे ब्लड ग्रुप वालों की तलाश शुरू की। यूपी के तीन डोनर ढूंढे गए लेकिन तीनों ने ब्लड डोनेट करने से मना कर दिया।
जान बचाने के लिए झोंक दी ताकत
केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि उन्हें बहुत खराब लगा कि एक महिला और उसके बच्चे की क्या इसलिए मौत हो जाएगी कि उसे ब्लड नहीं मिला। इसलिए उन्होंनें तय किया कि हर हाल में दोनों की जान बचानी है। उन्होंने देश भर के डॉक्टर्स से फोन पर संपर्क करना शुरू किया। जितने भी व्हाट्स ऐप ग्रुप थे उसमें मैसेज भेजे। आखिर उन्हें मुंबई के दो बॉम्बे ग्रुप वाले डोनर का पता चला। डॉ. तूलिका ने वहां से डॉक्टर्स की मदद ली और उन दोनों बॉम्बे ब्लड ग्रुप वालों की काउंसलिंग कराई गई। उसके बाद मुंबई के महर्षि ट्रस्ट हॉस्पिटल में दोनों ने ब्लड डोनेट किया। उसके बाद हवाई जहाज से ब्लड लखनऊ भेजा गया। डॉक्टर्स ने महिला के ब्लड से मिलान किया और उसे ब्लड चढ़ाया। महिला की सर्जरी की गई। अब दोनों की हालत ठीक है।
ओ पॉजिटिव दिखता है पर होता नहीं
डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि बॉम्बे ब्लड ग्रुप बहुत दुर्लभ होता है। यूपी में उनके पास जो रेकॉर्ड है उसमें मात्र 10 लोगों का ब्लड ग्रुप ही बॉम्बे है। इसकी जांच भी आसान नहीं होती है, क्योंकि यह साधारण जांच में ओ पॉजिटिव ही दिखता है। छोटी लैब में जांच कराने पर व्यक्ति को उसका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव ही बताया जाता है। सिर्फ ऑटोमेटेड मशीन की जांच में ही इस ब्लड ग्रुप को पकड़ा जा सकता है। जबकि इस ब्लड में एच एंटीजेंट होता है। यह ब्लड ग्रुप पहली बार बॉम्बे में मिला था इसलिए यह बॉम्बे ब्लड ग्रुप से जाना जाता है। डॉ. चंद्रा ने बताया कि अगर बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले को ओ पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया जाए तो मरीज की जान को खतरा होता है।
केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल में भर्ती महिला की जान बचाने के लिए मुंबई से ब्लड लाया गया। यह ब्लड मुंबई से इसलिए लाया गया क्योंकि यह बॉम्बे ब्लड ग्रुप था जो बहुत ही दुर्लभ होता है। यूपी में यह ब्लड ग्रुप नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने दूसरे शहरों के डॉक्टर्स से संपर्क किया काफी प्रयास के बाद दो यूनिट ब्लड ग्रुप बॉम्बे से मिला। हवाई जहाज से ब्लड ग्रुप लाया गया। जिसके चढ़ाने से मां और उसके बच्चे की जान बचाई जा सकी।
एक गर्भवती महिला को केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल लाया गया। उसकी हालत बहुत खराब थी, डॉक्टर्स ने उसकी सर्जरी करने का फैसला किया। डॉक्टर्स ने जांच की तो पता चला कि उसके शरीर में मात्र पांच ग्राम हीमोग्लोबिन है। महिला की सर्जरी नहीं हो सकती थी। महिला और गर्भ में उसके बच्चे दोनों की जान को खतरा था। डॉक्टर्स ने महिला का ब्लड चढ़ाने का फैसला किया। ब्लड ग्रुप चेक किया गया तो पता चला कि महिला का ब्लड ग्रुप बॉम्बे ब्लड ग्रुप का है जो बहुत ही दुर्लभ है। ऐसे में डॉक्टर्स ने बॉम्बे ब्लड ग्रुप वालों की तलाश शुरू की। यूपी के तीन डोनर ढूंढे गए लेकिन तीनों ने ब्लड डोनेट करने से मना कर दिया।
जान बचाने के लिए झोंक दी ताकत
केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि उन्हें बहुत खराब लगा कि एक महिला और उसके बच्चे की क्या इसलिए मौत हो जाएगी कि उसे ब्लड नहीं मिला। इसलिए उन्होंनें तय किया कि हर हाल में दोनों की जान बचानी है। उन्होंने देश भर के डॉक्टर्स से फोन पर संपर्क करना शुरू किया। जितने भी व्हाट्स ऐप ग्रुप थे उसमें मैसेज भेजे। आखिर उन्हें मुंबई के दो बॉम्बे ग्रुप वाले डोनर का पता चला। डॉ. तूलिका ने वहां से डॉक्टर्स की मदद ली और उन दोनों बॉम्बे ब्लड ग्रुप वालों की काउंसलिंग कराई गई। उसके बाद मुंबई के महर्षि ट्रस्ट हॉस्पिटल में दोनों ने ब्लड डोनेट किया। उसके बाद हवाई जहाज से ब्लड लखनऊ भेजा गया। डॉक्टर्स ने महिला के ब्लड से मिलान किया और उसे ब्लड चढ़ाया। महिला की सर्जरी की गई। अब दोनों की हालत ठीक है।
ओ पॉजिटिव दिखता है पर होता नहीं
डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि बॉम्बे ब्लड ग्रुप बहुत दुर्लभ होता है। यूपी में उनके पास जो रेकॉर्ड है उसमें मात्र 10 लोगों का ब्लड ग्रुप ही बॉम्बे है। इसकी जांच भी आसान नहीं होती है, क्योंकि यह साधारण जांच में ओ पॉजिटिव ही दिखता है। छोटी लैब में जांच कराने पर व्यक्ति को उसका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव ही बताया जाता है। सिर्फ ऑटोमेटेड मशीन की जांच में ही इस ब्लड ग्रुप को पकड़ा जा सकता है। जबकि इस ब्लड में एच एंटीजेंट होता है। यह ब्लड ग्रुप पहली बार बॉम्बे में मिला था इसलिए यह बॉम्बे ब्लड ग्रुप से जाना जाता है। डॉ. चंद्रा ने बताया कि अगर बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले को ओ पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया जाए तो मरीज की जान को खतरा होता है।