एनबीटी, बांदा
बुंदेलखंड की सूखी धरती पर बादलों ने मेहरबानी दिखा ही दी। पांच दिन तक झमाझम बारिस से यहां के खेत लबालब हो गए हैं और किसानों के चेहरे की रौनक लौट आई है। अब खेतों में धान की रोपाई के साथ ही लोगों ने ज्वार, अरहर और मूंग की फसलों की बुआई शुरू कर दी है। वहीं कई निचले इलाकों में पानी भर गया है। किसान फसल बोने के लिए पानी के निकलने का इंतजार कर रहे हैं।
खेतों की मेड़बंदी शुरू
बांदा के कालिंजर, फतेहगंज, बदौसा और करतल में अब किसानों ने खेतों की मेड़बंदी शुरू कर दी है। जिससे कि पानी को रोककर वे धान की रोपाई शुरू कर सकें। यहां कई किसानों ने खेतों के पास ही तालाब खोद रखे थे, जो अब लबालब हो गए हैं। वहीं चित्रकूट के मानिकपुर, पाठा, पहाड़ी आदि इलाकों में भी खेतों में ट्रैक्टर चलते दिख रहे हैं।
किसानों की मदद को निकले साइंटिस्ट
कृषि विज्ञान केंद्र बांदा के वैज्ञानिक डॉ. मुलायम सिंह, डॉ. पृथ्वीपाल और डॉ. जितेन्द्र सिंह अपनी टीम के साथ गांव की तरफ निकल पड़े हैं। सोमवार को टीम ने कालिंजर, नरैनी, अतर्रा और बबेरू आदि इलाकों में जाकर किसानों को तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने किसानों को नर्सरी रोपने के आधुनिक तरीके बताए। फसल वैज्ञानिक डॉ. जितेन्द्र सिंह ने किसानों को सलाह दी की जितनी बुवाई हो चुकी है उसके प्रबन्धन और निगरानी में लापरवाही न करें।
इन इलाकों में जलभराव
बांदा के कई निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। पांच दिन हुई लगातार बारिश से निचले इलाकों में पानी भर गया है। मवई, लामा, पचनेही, जमालपुर, पपरेन्दा, गुरेह, अतर्रा, नरैनी और बबेरू सहित कई इलाकों में अब भी बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। यहां के कई गांवों में पानी भर गया था, जिस वजह से लोगों को अपना घर तक छोड़ना पड़ा था।